सत्या शर्मा ' कीर्ति '
1 - हम - तुम
सुनो ना ....
मेरे मन के
गीली मिट्टी
से बने
चूल्हे पर
पकता
हमारा- तुम्हारा
अधपका-सा प्यार
हर बार मुझे
एक नए
स्वाद से
भर देता है
पता है तुम्हें......
2
कभी - कभी
अपनी हसरतों को
टाँग देती हूँ
मन की खूँटी पे
और सींचती हूँ
उसे अपने
खूबसूरत सपनों से
अकसर देखती हूँ
उसमें अंकुरित होते
अपने अरमानों को
पुष्पित प्रेम की कलियों को
खोंस लेती हूँ
अपने अन्तर्मन के
गुलदस्ते में,
ताकि जब कभी आओ तुम
तुम्हें सौंप सकूँ
हमारे - तुम्हारे
अनकहे पलों के
बासंती रंग
3
हाँ
फिर आऊँगी
तुम्हारी यादों में
अपने दिल
के कमरे को
रखना तुम
खाली
सुनो! बाहर
शोर होगा
जमाने का
और
दुखों की तेज़
धूप में
पीले हो जाएँगे
हमारे रिश्ते के
कोमल पत्ते
पर फिर भी
आऊँगी तब
मेरी धड़कनों की
आहटों पर
तुम खोल देना
अपने मन में
चढ़ी वेदना की
साँकल को .....
-0-
फिर आऊँगी
तुम्हारी यादों में
अपने दिल
के कमरे को
रखना तुम
खाली
सुनो! बाहर
शोर होगा
जमाने का
और
दुखों की तेज़
धूप में
पीले हो जाएँगे
हमारे रिश्ते के
कोमल पत्ते
पर फिर भी
आऊँगी तब
मेरी धड़कनों की
आहटों पर
तुम खोल देना
अपने मन में
चढ़ी वेदना की
साँकल को .....
-0-
सुंदर
ReplyDeleteतहे दिल से आभरी हूँ आदरणीय हिमांशु सर
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए
हार्दिक धन्यवाद आदरणीया सुषमा गुप्ता जी
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-07-2017) को 'पाठक का रोजनामचा' (चर्चा अंक-2661) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मयंक सर
ReplyDeleteसादर आभार सहित
सत्या जी शानदार सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteतहे दिल से आभरी हूँ प्रिय सुनीता जी
ReplyDeleteतहे दिल से आभरी हूँ प्रिय सुनीता जी
ReplyDeleteवाह! भा गया अध पके प्यार का स्वाद । सुन्दर लगा आप का यह सृजन सत्या शर्मा जी ।इसके लिये बधाई स्वीकारें ।
ReplyDeleteरचना को पसन्द करने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteरचना को पसन्द करने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteसत्या जी बहुत सुंदर रचनाएँ। बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteतहे दिल से आभरी हूँ आदरणीय
Deleteतहे दिल से आभरी हूँ आदरणीय
Deleteसुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय रचना को पसन्द करने हेतु
Deleteबहुत भावपूर्ण रचना मेरी बधाई .
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीया भावना जी
Deleteसादर धन्यवाद आदरणीया भावना जी
Deleteव्यंजनापूर्ण .
ReplyDeleteतहे दिल से आभरी हूँ आदरणीया प्रतिभा जी
Deleteसुन्दर सृजन कीर्ति जी बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दिल को छूती रचनाएं हैं सत्या जी हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...ढेरों बधाई...|
ReplyDelete