1-कुछ देर तो
डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
कुछ देर तो बातें करें हम, आइए!
दिल का खालीपन भरें हम, आइए!!
ये है अँधेरा बढ़ रहा चारों तरफ ही,
अब रोशनी बनकर झरें हम,आइए!!
मौत आनी लाज़मी है,जानते हैं हम,
क्यूं मौत से पहले मरे हम, आइए!!
जो नहीं भाता हमें अपने लिए साथी,
क्यूं आप की खातिर करें हम,आइए!!
कोई तो है वो, जो देखता है सबको ही
बस 'अरुण' उस से डरें हम, आइए!!
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पूर्व प्राचार्य,74/3,न्यू नेहरू नगर,रुड़की-247667
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2-रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
बीच सफ़र में कुछ छूटेंगे, कुछ तोड़ेंगे सपने
थोड़े से होंगे बेगाने , अनगिन होंगे अपने
इन अपनों से ,बेगानों से , कब तक डरकर जीना
बहुत दिनों तक नहीं चलेगा, छुपकर आँसू
पीना
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कोई तो है वो,जो देखता है सबको ही ......,और थोड़े से होंगे बेगाने,अनगिन होंगे अपने .....विश्वास और सच को जीती पंक्तियाँ |
ReplyDeleteवरिष्ठ रचनाकार श्री 'अरुण'जी व काम्बोज भाई जी को बधाई |
पुष्पा मेहरा
मौत आनी लाज़मी है,जानते हैं हम,
ReplyDeleteक्यूं मौत से पहले मरे हम, आइए!!
उम्मीद जगाती अभिव्यक्ति डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ जी।
इन अपनों से ,बेगानों से , कब तक डरकर जीना
बहुत दिनों तक नहीं चलेगा, छुपकर आँसू पीना
राह दिखाती रचना।
जैसे यही सुनने का मन था,शुक्रिया रामेश्वर काम्बोज‘हिमांशु’जी।
अनगिनत होंगे अपने आशावादी दृष्टि कोण ।
ReplyDeleteकोई तो है वो,दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर
आशा और विश्वास जगाती बहुत सुन्दर सशक्त रचनाएँ।
ReplyDeleteआ० काम्बोज जी, डा० योगेंद्र जी---हार्दिक बधाई।
बहुत आभार पुष्पा और रत्नाकर दीदी जी एवं बहन पूनम चन्द्रा जी और कृष्णा जी।
ReplyDeleteआ.रामेश्वर सर,बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...धैर्य का संदेश देता मुक्तक....
ReplyDeleteडॉ.अरुण जी बढ़िया भावों से सजी गज़ल ...शिल्प ,कथ्य बेहतरीन..
ReplyDeleteडॉ.अरुण जी बढ़िया भावों से सजी गज़ल ...शिल्प ,कथ्य बेहतरीन..
ReplyDeleteआ.रामेश्वर सर,बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...धैर्य का संदेश देता मुक्तक....
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती बहुत सारगर्भित रचनाएँ !
ReplyDeleteआदरणीय डॉ. अरुण जी एवं आ काम्बोज भैया जी की सजग,सशक्त लेखनी को नमन !
बहुत सुन्दर सशक्त रचनाएँ ...आदरणीय रामेश्वर काम्बोज‘हिमांशु’जी, आदरणीय डॉ. अरुण जी---हार्दिक बधाई....
ReplyDelete.भावपूर्ण अभिव्यक्ति को नमन !नमन !
जिससे इस दुनिया का कुछ भी नहीं छुपा, सच में उसके सिवा किसी और से डरने की ज़रूरत ही क्या है | बहुत सुन्दर बात कही है आदरणीय अरुण जी...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteजो लोग हमारे सपनो को तोड़ते न हिचकें, ऐसे लोग अगर अपने `अपने' भी हों तो भी उनकी क्या परवाह करना | बहुत सटीक बात कहती हुई रचना...मेरी बहुत बधाई...|