1-आहट फागुन की-कृष्णा वर्मा
पुरवा नेह बरसाए
आहट फागुन की
रितु चपला जो लाए।
सूनी गलियाँ चहकीं
फाग महक ओढ़े
जो ठुमक-ठुमक ठुमकी।
बासंती छवि न्यारी
सुखद करे तन-मन
ज्यों शिशु किलकारी।
कण-कण माटी हरषा
फाग के गीतों की
चहुँदिश सतरंग वर्षा।
हरियल रंग ओढ़ चूनर
लतिका लचक रही
जूड़े में खोंस कुसुम।
घूँघट सरकाए गया
अरुण कपोलों पे
रंग चटक लगाए गया।
नव कुमकुम नवल अबीर
प्रेम छिड़क रंगे
साँवरा सखियन चीर।
गोरी भई मतवारी
नेह का रंग नयन
भर मारी पिचकारी।
छीनी गागर मोरी
बरबस छलिया ने
मल दी गालन रोरी।
मरोर बहियाँ मोरी
घना भिगोय गया
किसना कर बरजोरी।
-0-
2-जीवन है चक्रव्यूह-कृष्णा वर्मा
1
जीवन है चक्रव्यूह
तो कैसा त्रास
तुझमें निहित है
अभिमन्यु आप।
2
भेदेगा इसको बस
तेरा ही ताब
मरने से डरता कब
जीने का ख़्वाब।
3
कुछ ना कर पाएँगे
जग वाले तेरा
जिस दिन मिटा देगा
डर वाला घेरा।
4
तू ही ख़ुद खुशियाँ
तू ही बनवास
तेरे ही हाथों
रच कैसा इतिहास।
5
उठ थाम ले आज
शक्ति पतवार
छिद्रित नैया भी
लग जाएगी पार।
6
शामों सहर
खुशियों का सफ़र
कोमल से तन में
प्राण मुठ्ठी भर
7
खुशनुमा बनत
बांका रंग-रूप
दिल जाए सदके देख
ओजस्वी स्वरूप
8
बागों का शृंगार
भौरों का प्यार
गंध का सौदागर
लुटाए खुमार
9
किताबों में सोए
जगाए हिय प्यार
बीता दोहरा के
करे अंतस गुलज़ार
10
पुष्पों का समरूप
अनोखी मिसाल
महके पूर्णत:
चरण हों या भाल
11
शूलों घिरा फिर
ना पीड़ा जताए
फ़ितरत गुलाब की
मुसकानें लुटाए।
-0-
ReplyDeletebahut sunder atmshakti jagate taanka va fagun ki galiyon mein rang barasata rangeen parv , ulahnon ke dariya mein dubate phir bhi chhal aur barjori karne se baj na ate kanhaiya ki chapal mohak chahvi darshati kavita hetu krishna ji apako badhaiHoli ki mangalmayi kamana .
pushpa mehra
धन्यवाद पुष्पा मेहरा जी!
Deleteकृष्णा जी बहुत सुन्दर शब्द और भावों में रची कवितायें हैं हार्दिक बधाई |
Deleteफागुन राग और सुन्दर भाव भरी छोटी-छोटी कविताएँ मन मोह गईं ...हार्दिक बधाई दीदी !
ReplyDeleteसादर नमन !
धन्यवाद ज्योत्स्ना जी!!
Deleteवरिष्ठ कवयत्री कृष्णा जी की हर रचना मनमोहक शब्द चित्रण कर रही हैं .
ReplyDeleteबधाई .
होली के महापर्व पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ
होली पर आप सब के जीवन में सारे रंग बरसे , मुक्तक के रंग में सतरंगी हो जाओ ,
स र ररररर
रंग रंगना रंग - रंग के
उतरे न रंग तेरे संग के
होली की रस्म निभाने ' मंजु '
गुलाल मले सबको रंग के .
मंजु गुप्ता
धन्यवाद मंजु गुप्ता जी!!
Deleteकृष्णा वर्मा जी आप की दोनों कवितायें बहुत कुछ कह गई ।हर्षा गई । जैसे:- बसंती छबि न्यारी / सुखद करे तन मन / ज्यें शिशु किलकारी । हिम्मत जगा गई :- उठ थाम ले आज / शक्ति पतवार/ छिद्रित नैया भी / लग जायेगी पार । और गुलाब की फितरत तो संकटों में घिरे रहने पर मुसकाना सिखा गई । नन्हीं कवितायों में बहुत उत्तम विचार भरे आप ने बधाई स्वीकारें और होली की शुभ कामनायें भी ।
ReplyDeleteधन्यवाद कमला जी!!
Deleteमेरी रचनाओं को सहज साहित्य में प्रकाशित करने के लिए आदरणीय काम्बोज भाई जी का हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteBahut bhavpurn rachnayen meri hardik badhai...
ReplyDeleteकृष्णा जी सुन्दर शब्द और भावों में रची कवितायें हैं हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteमनमोहक, अतिसुंदर फागुन के रंग एवं प्रेरणा तथा ऊर्जा से भरपूर, आत्मशक्ति बढ़ाती कविताएँ !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई कृष्णा दीदी !
~सादर
अनिता ललित
aadarniya krishna ji ki kavitao mein sunder bhaavon ke saath -saath man ko mohnen ki shakti bhi nihit hai ....man ko sukh pahunchanen wali rachnaon ke liye haardik badhai !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रंग रंगीली मनभावन कविताएँ. प्रेरणा जगाते भाव...
ReplyDeleteउठ थाम ले आज
शक्ति पतवार
छिद्रित नैया भी
लग जाएगी पार।
कृष्णा जी का हार्दिक आभार. बधाई.
बहुत सुन्दर...मेरी बधाई...|
ReplyDeleteमनभावन कविताएँ ।बधाई
ReplyDelete