पथ के साथी

Wednesday, March 23, 2016

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1-नारी उठ जग ज़रा   
कमला घटाऔरा

नारी उठ जाग ज़रा  
वक्त नही अब सोने का
निज अधिकार खोने का

संर्ष खड़ा ललकारे तुझको।
बहुत जी लिया मर मर कर
चुप चाप आँसू पी- पी कर
वक्त की अवाज सुन जो
खड़ा पुकारे तुझको।
क्या होगा महिला दिवस मनाने से
चीखने चिल्लाने से
आधी सृष्टि पर अधिकार है तेरा
कौन भला छीनेगा तुझसे।
तू क्यों पीछे खड़ी सदा ?  
सुना होगा यह कथन तुमने-
बिन माँगे मोती मिले माँगे मिले न भीख।
भूल न इस कथन को
कर दृढ़ निश्चय अपना
चलने से न रोक पाये
आ जाये गिरि खंड सामने
नर राक्षस खाने हड़पने
मारे तड़पाये करदे छलनी
हर ले यदि तन मन तेरा
करदे तार तार तू भी उसको
दिखला दे रण चंडी है तू
नहीं बिचारी युगों पुरानी
चारदिवारी की बंद चिड़िया
शिक्षा ने हैं पंख दिए
भर उडान तू ऊँची -नभ पुकारे है
सुदृढ़ बन सशक्त बन
आँख कान खुले रख
चुस्त _दुरुस्त रह हर वक्त तू ।
अपनी शक्ति जगा
अब तुझे शान से जीना है
जीने से न रोक सके तुझे
कोई अत्याचारी या मनचला।
जला सकें न तेज़ाब या तेल से
भाँप इरादा उसका
टकरा जा पहले करे गर बार कोई
तू आज की सशक्त नारी है
वक्त नही सोने का 
नारी उठ अब जग जरा।     

-0-    
 2-साहित्य सृजन -सुनीता शर्मा ,गाजियाबाद

                                                                                                                                                
एक ग्रंथ छुपा सभी के अन्तस् में ,
माँ शारदे की कृपा बरसने से ,
खुलता सृजन कपाट ..
जिससे निकलते असंख्य ....
कल्पना के पंछी जो ...
शब्दों की शक्ल में ..
अंकित होते कागजों में ....
पर ये मात्र पन्ने नहीं ......
होता सृजनकर्ता का कोमल हृदय ,
जो है सवेदनाओ का अनूठा संसार ,
पर शायद वह नहीं जानता कि ..
साहित्य सृजन नहीं सरल ,
जो आज हैं उनसे होता संघर्ष निरंतर ,
अपने अस्तित्व की तलाश में ,
सहने पड़ते हैं असंख्य ...
वक़्त के थपेड़े ..
साहित्यकारों के व्यंग्यबाण...
बनते है जो अवरोध ,
एक चट्टान की भाँति ,
उस नदी पर जो ...
मनमौजी है ,सरल है ,
नहीं जानती कि.. 
साहित्य क़ी डगर है कठिन ,
सागर तक पहुँचने में 
उसे पार करने हैं ,
छोटे से बड़े सभी ,
अडिग प्रहरियों को ,
जो समझते हैं ...
साहित्य को अपनी धरोहर ,
भ्रम में जीते जो अक्सर कि..
उनसे अच्छा व सच्चा कोई नहीं है ,
नहीं समझते जो सृष्टि का नियम ...
जो कल थे वे आज नहीं हैं ,
जो आज हैं , उन्हे भी पीछे हटना होगा ...
वैसे ही जैसे ....
बागों में पड़े पीले पत्ते 
' वृक्षों के नवीन हरे पत्ते ,
 दे देते हैं उत्तम सीख
***

20 comments:

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    1. सादर धन्यवाद आदरणीय सर जी ,आपका प्रोत्साहन नन्ही कलम को दिया आशीर्वाद है ,सादर प्रणाम |

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  2. बहुत उम्दा रचनाएं ... आप दोनों को बहुत बधाई तथा होली की शुभकामनाएं।

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    1. सादर धन्यवाद आदरणीय कृष्णा जी सादर वंदे |

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  3. कमला जी और सुनीता जी आपदोनो को सुन्दर प्रेरणा पूर्ण सृजन पर हार्दिक बधाई ।

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    1. सादर धन्यवाद आदरणीय सविता जी सादर वंदे |

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  4. नारी के सशक्तीकरण का उद्घोष करती , साहित्यकारों के जीवन में अपना स्थान बना पाने में आई कठिनाइयों को कविता के मूक शब्दों द्वारा मुखर करती कविता हेतु कमला जी और सुनीता जी को बधाई |समस्त हाइकु परिवार को होली की अशेष शुभकामनायें|

    पुष्पा मेहरा

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    1. आपकी प्रेरणामयी प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद आदरणीय पुष्पा जी सादर वंदे |

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  5. दोनों ही सशक्त रचनाएँ ... आदरणीया कमला जी और सुनीता जी को हार्दिक बधाई !
    सभी को holi के पावन पर्व पर बहुत शुभ कामनाएँ !

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    1. सादर धन्यवाद आदरणीय ज्योति - कलश जी सादर वंदे |

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  6. सर्व प्रथम आप सभी सहज साहित्य के पाठकों और रचनाकारों को होली की ढेर सारी शुभ कामनायें ।सुभाष जी, कृष्णा जी, सविता जी ,पुष्पा जी एवं ज्योति जी आप का आभार उत्साह वर्धक टिप्पणी के लिये ।सुनीता शर्मा जी बहुत सच्ची बात कही ---जो कल थे आज नहीं है/ जो आज हैं उन्हें भी पीछे हटना होगा । सहित्य सृजन नही सरल ।आपको हार्दिक बधाई।और शुभ कामनायें ।सम्पादक जी का भी हृदय से आभार ।जिन्होंने अपने सहज साहित्य में स्थान दे कर मुझे प्रोत्साहित किया ।

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    1. आपकी प्रेरणामयी प्रतिक्रिया हेतु सादर धन्यवाद आदरणीय कमला जी सादर वंदे |

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  7. दोनों रचनाकारों की सशक्त सामयिकरचना .
    बधाई

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    1. सादर धन्यवाद आदरणीय मंजू जी सादर वंदे |

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  8. Nari shakyi par likhi rachna bahut achhi lagi dono rachnakaron ko meri hardik badhai...

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    1. सादर धन्यवाद आदरणीय भावना जी सादर वंदे |

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  9. सर्वप्रथम मैं आदरणीय हिमांशु सर जी की आभारी हूँ कि उन्होंने इस बेबाक कलम की धृष्टता को सहर्ष स्वीकारते हुए अपने ब्लॉग में स्थान दिया !

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  10. नारी की शक्ति का उल्लेख करते हुए उसकी सुप्त चेतना को जगाने का आपका सफल प्रयास पर सादर बधाई |

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  11. Sundar Srijan, !Nari shakti par likhi rachnayen sashkt honen ke saath -saath prernaprad bhi hain aap dono rachnakaron ko meri hardik badhai...

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  12. बहुत ओजपूर्ण रचना कमला जी...मेरी बधाई...|

    सुनीता जी, सुन्दर रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकारें...|

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