1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
तीखे-कड़वे बोल का ,गहरा था आघात
।
मरहम- सा सुख दे गई,तेरी मीठी बात
।।
2
रिश्तों ने विश्वास का ,छोड़ दिया
जब साथ ।
ख़ुशियाँ चम्पत हो गईं,पकड़ प्रेम
का हाथ ।।
3
रोज़ दुआएँ माँगती,माँ तुलसी के
पास ।
दर्द भरा देना नहीं ,बच्चों को अहसास
।।
4
सुखमय हों दिन-रैन सब,मिले सुयश
,मन प्रीत
मधुर-मधुर बजता रहे ,जीवन का संगीत
5
दर्प तमस का तोड़कर,आया नया विहान
।
सूरज ने फिर बाँट दी,कलियों में
मुसकान॥
6
नयन दिखे नाराज़ से,हुई नयन से बात।
पिघल गया मन मेघ सा ,खूब हुई बरसात
।।
-0-
2-अनिता ललित
1
प्रेम खड़ा बाज़ार में , भूला अपनी
बाट।
रिश्तों में दीमक लगी, बैठी सब कुछ
चाट।।
-0-
3-हरकीरत ‘हीर’
1
ना मैं पानी माँगती,ना माँगूँ कुछ
और ।
प्यास इश्क़ की है लगी, दिल का दे
दे ठौर ॥
-0-
4-कमल कपूर
1
दोहे पढ़े कबीर के,उपजा अति सम्मान
।
आखर आखर रस बसा ,बनी शहद की खान
।
2
खारे सागर से कभी, नहीं बुझेगी प्यास।
पीना मीठा नीर तो,चलो नदी के पास
।।
3
सूरज जी माली बने,बो रहे रश्मि बीज।
धूप सयानी खाद बन,देती जीवन सींच।।
4
भाई -भाई के बीच,बने नहीं दीवार।
चूल्हा चौंका एक हो ,न अलगाव की
मार।।
5
बेटी बाबुल वास्ते,बने कभी ना भार।
पढ़- लिख खुद निर्भर बने,खोजे ना
आधार।।
6
रिश्तों की गगर से यूँ,बहा नेह का
नीर।
खाली गगरी रह गई,करती शोर गंभीर।।
-0-
5-प्रियंका गुप्ता
1
हाथ हाथ से जो मिले, बन जाती है
डोर
मन से जब-जब मन जुड़े , खींचे अपनी
ओर ।।
-0-
6-गुंजन अग्रवाल
1
दिन-प्रतिदिन चुभने लगा, अब तो हर सम्बन्ध।
हुई प्रदूषित जब हवा, टूट रहे सब बन्ध।।
2
झटपट किरणें आ गिरीं, सुप्त धरा की गोद।
कसमसाती रात गई, वन उपवन में मोद।।
-0-
7-अनिता मण्डा
1
पतझड़ का मौसम गया,झड़े न दुख के पात।
ऐसा कोई ना मिला,कर लें मन की बात।।
2
खुशियों के मोती चुगें, हंस रहेंगे
पास।
सबके मन पुलकित रहें, हो न कोई उदास।।
3
बेटी बिन सूना हुआ, मिटता रहा समाज।
मरे न बेटी कोख में,सुन लो तुम सब
आज।।
4
कलियों का मन खिल गया,पा भँवरों
का साथ।
दें संदेशे प्रेम के,महक हवा के
साथ।।
6
ना पाया कुछ भी यहाँ,सागर रहा लजाय।
नीर नदी से जो मिला ,बादल चला उड़ाय।।
7
जुगनू चमके तब तलक, जब तक भरे उड़ान।
छूना है आकाश को, मन में तुम लो
ठान।।
-0-
Ek se bdhkar eak dohe padne ko mile yaha kis ko rakhun kisko chhudun vali sithiti ho gaye sabko bahut sari dil se duaa khub likhiye...
ReplyDeleteअतिसुन्दर ! सभी के दोहे बहुत-बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteहमारे एक अकेले दोहे को भी यहाँ स्थान मिला, इसके लिए हृदय से आभार आदरणीय भैया जी एवं हरदीप जी का !
~सादर
अनिता ललित
वाह … सुन्दर सुन्दर दोहों की बहार है ।
ReplyDeleteरिश्तों ने विश्वास का ,छोड़ दिया जब साथ ।
ख़ुशियाँ चम्पत हो गईं,पकड़ प्रेम का हाथ ।।
इस दोहे ने तो कुछ ऐसा मन मोहा कि कई कई बार पढ़ गयी
मेरी अपरिपक्व रचनाओं को सँवार कर यहाँ
ReplyDeleteस्थान देकर मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु आभार।
सबके दोहे सुंदर । सबको बधाई।
विविध भाव ,विषय संजोये सुन्दर दोहावली ! सभी को बधाई !
ReplyDeleteसबका साथ , सबका विकास की भावना के साथ यहाँ अपनी उपस्थिति सुखकर लगी भैया जी !
हृदय से आभार सादर नमन वंदन !
परस्पर प्रोत्साहन देती सखियों -भावना जी , अनिता ललित जी , मंजु जी , अनिता मंडा जी का सौहार्द सदैव ऐसे ही बना रहे ..मंगल कामना करती हूँ !
ReplyDeleteसादर ,सस्नेह
ज्योत्स्ना शर्मा
दोहे मन को भाए, ऐसा हुआ एहसास।
ReplyDeleteकर दिया मन को आनंदित, सबका सफल प्रयास।।
दोहे मन को भाए, ऐसा हुआ एहसास।
ReplyDeleteकर दिया मन को आनंदित, सबका सफल प्रयास।।
विविध भावों में गुंथे सभी एक से बढ़कर एक दोहे
ReplyDeleteबधाई सभी को
Behad khoobsurat avum rachanatamank dohe.. Anita Manda ubharti hui kavyitri :)
ReplyDeleteBadhaai :)
ReplyDeleteबहतरीन ...आप सभी को शुभकामनायें !!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुन्दर दोहे भावपूर्ण ।बधाई सब को
ReplyDeleteसुन्दर दोहे
ReplyDeleteati sundar !..eak se badhkar eak ....sabhi dohe manmohak v utkrisht lage ...aap sabhi rachnakaaron ko hridy se badhai .
ReplyDeleteअति सुंदर।
ReplyDeleteवाह ! अति सुंदर दोहे ......बधाई आप सब को ।
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