रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
जब-जब छुपकर वार करेगा
तब-तब वो मुस्काएगा ।
गुण जीभर कर गाएगा ।।
दौर मुसीबत का जब होगा
साथ रहेंगे बेगाने ।
वह अपनों का लगा मुखौटा
दूर कहीं छिप जाएगा ।।
घाव -लगे तन-मन पर लाखों
बैरी मरहम ला देंगे ।
उसके वश में जितना होगा
उतना नमक लगाएगा ॥
इस बस्ती में बैठके प्यारे
प्यार –वफ़ा की बात न कर ।
बंजर दिल की इस धरती पर
उपवन कौन खिलाएगा ॥
अपनी चादर कितनी मैली
समय नहीं जो देख सके ।
उजली चादर जिनकी दिखती
उस पर दाग़ लगाएगा ॥
0-(14-12-2007)
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ReplyDelete"बैठ सामने चारण बनकर
ReplyDeleteगुण जीभर कर गाएगा ।।"
....वाह वाह हिमांशु भाई नमन आपको ...बहुत ही खूबसूरत कविता !
सरस्वती माथुर
घाव -लगे तन-मन पर लाखों
ReplyDeleteबैरी मरहम ला देंगे ।
उसके वश में जितना होगा
उतना नमक लगाएगा ॥
उम्दा रचना
इतनी देर ये कविता कहाँ छुपाकर रखी थी आपने ………। दिल की गहराई से लिखी गई कविता। .... एक एक शब्द दिल को छूने वाला। ....
ReplyDeleteये पंक्तियाँ तो सीधे दिल में उतर गईं। ................
अपनी चादर कितनी मैली
समय नहीं जो देख सके ।
उजली चादर जिनकी दिखती
उस पर दाग़ लगाएगा ॥
बहुत बधाई !
हरदीप
Bahut sach
ReplyDeleteक्या खूब सच्चाई एवं वास्तविकता के धरातल पार दिल के दर्द का अंकुर उभर आया है
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर, वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य में मानव के चरित्र्तिक पतन का इस्ससे बढकर चित्रण हो ही नहीं सकता
बधाइयाँ स्वीकारें
डॉ. कविता भट्ट
वाह! सर, मानव के अधोगमन का इससे बढ़िया शब्दचित्र हो ही नहीं सकता
ReplyDeleteबधाइयाँ स्वीकारें
डॉ.कविता भट्ट
सत्य कथन... बहुत ही बढ़िया रचना .... हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति एवं प्रस्तुति भैया जी !
ReplyDeleteदौर मुसीबत का जब होगा
साथ रहेंगे बेगाने ।
वह अपनों का लगा मुखौटा
दूर कहीं छिप जाएगा ।।
घाव -लगे तन-मन पर लाखों
बैरी मरहम ला देंगे ।
उसके वश में जितना होगा
उतना नमक लगाएगा ॥
--सच बयान करती कविता !
~सादर
अनिता ललित
इस दुनिया की सच्चाई बयान कर दी है आपने इन पंक्तियों में...हर एक बात मन में उतर जाती है...| ये पीड़ा शायद सबको अपनी ही लगे...|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...बधाई और आभार...|
चारण से चादर तक ..अनुपम भावाभिव्यक्ति है आपकी ....जीवन के कटु सत्य की बहुत सरस उदघाटना के लिए सादर नमन वंदन के साथ ..
ReplyDeleteज्योत्स्ना शर्मा
आज समाज में ऐसे ही स्वार्थी - मौकापरस्त इंसान भरे हुए हैं .दूसरों के सुख में राह के काटें बन जाते हैं . यथार्थवादी सुंदर रचना .
ReplyDeleteभाई हिमांशु जी हार्दिक बधाई .
घाव -लगे तन-मन पर लाखों
ReplyDeleteबैरी मरहम ला देंगे ।
उसके वश में जितना होगा
उतना नमक लगाएगा ॥
हर पंक्ति मन पर गहरा असर कर जाती है ... कई घटनाएं फिर याद आने लगी ...कई चेहरे आँखों के सामने गड्डमड्ड होने लगे ... राथार्थ का अनुपम चित्रण ..
यथार्थ उकेरती कविता बधाई
ReplyDeleteअपनी चादर कितनी मैली
ReplyDeleteसमय नहीं जो देख सके ।
उजली चादर जिनकी दिखती
उस पर दाग़ लगाएगा ॥
इन तमाम मुश्किलों से लड़ते हमें सत्पथ पर अग्रसर होना है। यही सीखा है आपसे।
बहुत ही सुंदर और सार्थक रचना। बधाई भैया !
हमारी दुनिया का सच कविता की एक-एक पंक्ति कह रही है. आपकी रचनाएँ पढ़कर ऐसा महसूस होता है जैसे हमारे मन के भाव जिसे हम व्यक्त नहीं कर पाते आप सहजता से शब्द दे देते हैं. प्रवाह में बहती हुई रचना जो सीधे मन पर असर करती है.
ReplyDeleteदौर मुसीबत का जब होगा
साथ रहेंगे बेगाने ।
वह अपनों का लगा मुखौटा
दूर कहीं छिप जाएगा ।।
हार्दिक बधाई काम्बोज भाई.
बहुत सुंदर सार्थक रचना आदरणीय भैया जी
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