रामेश्वर काम्बोज
‘हिमांशु’
1
तेज़ हवाएँ
घायल हुए डैने
उड़ें किधर जाएँ ?
कोहरा छाया
जीवन-पथ पर
आहत हैं दिशाएँ।
2
कौन अपना?
हर साथी हो गया
इक टूटा सपना,
शब्दों की कीलें
चुभती दिन- रात
बोलो किसे बताएँ।
3
बेरुखी तोड़े
सारे प्यारे सम्बन्ध
जीवन-अनुबन्ध,
जब अपने
चोट दे मुस्कुराएँ
किसे दर्द बताएँ ?
-0-
बेहद ही सटीक तरह से आपने जीवा का कटु सत्य लिखा है रामेश्वर जी -
ReplyDeleteबेरुखी तोड़े
सारे प्यारे सम्बन्ध
जीवन-अनुबन्ध,
जब अपने
चोट दे मुस्कुराएँ
किसे दर्द बताएँ ?
तेज़ हवाएँ
ReplyDeleteघायल हुए डैने
उड़ें किधर जाएँ ?
कोहरा छाया
जीवन-पथ पर
आहत हैं दिशाएँ।
bhaiya kya kahun bhavon ka gahra sagar bahut sunder
saader
reachana
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ जी, जीवन के अनुभवों से जुड़े आपके ये तीन सेदोका बहुत अच्छे लगे।
ReplyDeleteमैं इतना कहना चाहूंगा, " बेहतरीन / आपकी अभिव्यक्ति / ये लगें मुझे सूक्ति / राह सुझाएँ / कोहरे से बचाएं /
इनसे ज्ञान पाएं। " आपको बहुत - बहुत बधाई !
मन में मन की पीर छिपाये,
ReplyDeleteतथाकथित उत्कर्ष बिताये।
भैया जी … कितने मार्मिक, सत्य के कितने निकट.. सभी सेदोका !
ReplyDeleteदिल को छू गए सभी !
~सादर
अनिता ललित
मर्मस्पर्शी बहुत उमदा सेदोका.....बधाई !
ReplyDeleteमन की पीर / दिशाएँ भी आहत / किसे जताएं | इन सार गर्भित सेदोका के लिए आपकी लेखनी को नमन |
ReplyDeleteसादर,
शशि पाधा
शब्दों की कीलें
ReplyDeleteचुभती दिन- रात
जब अपने
चोट दे मुस्कुराएँ
किसे दर्द बताएँ
बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति….एकदम सच कहा जब दुःख अपनों से मिलता है जादा असह्य होता है, शब्द कील से जादा चुभते है ……
berukhi tode sare sambandh .......,satya ko jeeta hua bhav hai bhai ji apake sabhi sedoka jeevan ke katu anubhavon ko vyakt kar rahe hain.apako bahut badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
तीनो सेदोका जीवन के तीन कटु-सत्य बयान कर रहे हैं...|
ReplyDeleteएक बार फिर बहुत सुन्दर रचनाएँ जो सीधे दिल तक पहुँचती हैं...| आभार और बधाई...|
बहुत गहन भाव ...हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति भैया ....!!
ReplyDeleteकोहरे भरा जीवन पथ ,शब्दों की कीलें और चोट देकर मुस्कुराते अपने ....इन सबसे दो-चार होना ही पड़ता है जीवन में कभी न कभी ...बहुत कठोर सत्य की बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति है आपकी ....हृदय से बधाई ... नमन !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
शब्द की कीलें ऐसी चुभती हैं जिसे कोई मरहम भर नहीं पाता, तब और भी जब वो कीलें अपनों द्वारा चुभाई गई हों. गहरे भाव...
ReplyDeleteकौन अपना?
हर साथी हो गया
इक टूटा सपना,
शब्दों की कीलें
चुभती दिन- रात
बोलो किसे बताएँ।
जब अपने
चोट दे मुस्कुराएँ
किसे दर्द बताएँ ?
तीनों सेदोका मन के गहरे एहसास को बयाँ करते हैं. कटु सत्य पर सबका सच... उत्कृष्ट सेदोका के लिए हार्दिक बधाई.
sabhi sedoke uttam ...
ReplyDeleteबहुत मार्मिक सेदोका !
ReplyDeleteदिल को छू गए।
सादर
Bahut hrdyasparsi sedkoa hain aapko meri hardik badhai...
ReplyDeleteअपनों के दिए दर्द की पीड़ा से मन आँगन में पतझड़ छा जाती है,
ReplyDeleteकितना दर्द भरा है हर सेदोका में !
कोहरा छाया
जीवन-पथ पर
आहत हैं दिशाएँ
आपकी लेखनी को नमन |
हरदीप
sashakt sedokon ne mann ki gehraiyon ko choo liya......waah kya baat hai bhaisahab !!!!!!
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