ज्योत्स्ना प्रदीप
1-पिता
1
तुम्हारे नेत्र
आँसुओं के लिए दो
वर्जित क्षेत्र ।
2
तुम्हारे चक्षु
आशीर्वाद दें जैसे
सात्विक भिक्षु ।
-0-
माँ
1
तेरे नयन
भरी भीड़ में करें
मेरा चयन ।
2
तुम्हारे नैन
बरसात की मानो
युगल रैन
-0-
3-भाई
1
तेरे लोचन
हैं प्रहरी सजग
बैरी-सा जग !
2
तेरी निगाहें
देती सबके बीच
मौन सलाहें ।
-0-
4-प्रियतम
1
तुम्हारी अक्षि
चुगे आँसू के मोती
बनके पक्षी ।
2
तुम्हारी आँखें
भावों -भरी उड़ान ,
युगल पाँखें ।
-0-
5-प्रियतमा
1
रच गयी मन में
हँसती सृष्टि ।
2
सीमन्त रेखा
फैलाए अरुणिमा
तूने जो देखा ।
-0-
6-बेटी
1
तेरी अँखियाँ
पर-पीड़ा को भरें
चुप से झरें ।
-0-
7-बेटा
ये विलोचन
भावी सपनों के हैं
प्रवेश-द्वार ।
-0-
चित्र:गूगल से साभार
कमाल के हाइकु ज्योत्स्ना प्रदीप जी......हार्दिक बधाई !
ReplyDeleteबड़े ही खूबसूरत हाइकु...एकदम सटीक भी...ज्योत्सना जी को बधाई !!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर हाइकु मन भावक
ReplyDeleteमाँ
1
तेरे नयन
भरी भीड़ में करें
मेरा चयन । हर रिश्ते की सच्चाई से जुड़ी नयनों का सत्य । ज्योत्सना जी को हार्दिक बधाई।
सभी हाइकु बेहद सुन्दर। पढ़कर बहुत अच्छा लगा, अलग अलग रिश्तों कि अलग अलग नजर और हर एक के लिए लाजवाब हाइकु। ज्योत्स्ना जी को बधाई।
ReplyDeleteपहले दो हाइकु तो अद्भुत हैं अन्य भी बहुत ही सुंदर और प्रभावपूर्ण !
ReplyDeleteनैना तुम्हारे
जले आखर बाती
साँझ-सकारे ।
- सुशीला
रिश्तों की आँखें क्या कुछ कह गई... सभी बहुत सुन्दर, बधाई.
ReplyDeleteइन आत्मीय रिश्तों को नज़र में रखते हुए लिखे गए ये हाइकु मन को बहुत भाए...| हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteप्रियंका
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को (20-11-2013) जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश : चर्चा मंच 1435 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण हायकू....
ReplyDeleteबधाई ज्योत्सना जी.
अनु
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन हाइकू
ReplyDelete:-)
बहुत-बहुत सुंदर!
ReplyDeleteइतना सुंदर व सटीक वर्णन वो भी हाइकु के रूप में! बहुत ही बढ़िया!
बहुत-बहुत बधाई ज्योत्स्ना जी!:-)
~सादर
अनिता ललित
हिमांशु भाईसाहब, मुझे यहा जगह देने के लिये धन्यवाद l
ReplyDeleteसुन्दर चित्रात्मक हाइकु |
ReplyDeleteबेहद प्रभावी हाइकु रिश्तों की नज़र पर नज़र किए हैं आपने .......एक से बढ़कर एक हाइकु ...बहुत बधाई ज्योत्स्ना प्रदीप जी |
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
वाह ज्योत्सना जी इसे मैं हाइकु पर एक सम्पूर्ण पोस्ट कहूँगी ....!!
ReplyDeleteतेरी अँखियाँ
पर-पीड़ा को भरें
चुप से झरें ।
-0-ये विशेष हाइकु है ...!!बहुत सुंदर .....!!
achchhe lage haiku sabhi ko badhai...
ReplyDeleteBohot hi badiya haiku jyotsna ji........
ReplyDeleteआप सभी ने मेरे लेखन को इतना सराहा .......मैं सबकी हृदय से आभारी हूँ !!!!!!!!!!
ReplyDeletebhot achha haiku jyotsana ji shri bimla sharmaji dwara banaya gaya chitra or apki kavita dono bot sundar hai.........
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