रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
गिरने
नहीं देना,
धूल
में मिलेंगे
किसके
काम आएँगे !
लाओ
मैं अँजुरी में भर लूँगा
आचमन
कर लूँगा
इससे
बड़ा सुधा-पान नहीं होगा
इस
जनम के वास्ते !
2
जिसने पाया,वह भरमाया
जिसने खोया,वह तो रोया
पाना-खोना,यही है जीवन
आँसू से होता है तर्पण
हम रोते, रोता है दर्पण
।
-0-
कितना पावन ये आँसुओं का आचमन ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ .
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeletekisi ke dukh ko khud men aatmsaat karna badi baariki se likha hai aapne meri hardik shubkamnaye....
ReplyDeleteक्या खोना क्या पाना है
ReplyDeleteबस मन को बहलाना है.
आपकी कविता बहुत अच्छी लगी।
Dusare ke ansuon ka achaman aur usi me jeevan ki sarthakata jiina hi samvednajanya anubhutiyon ka dyotak hai aur Bbhai ji apaki udarata se bhari mahanta ka bhi. ..Apako bahut bahut badhai.
ReplyDeletepushpa mehra
.
बहुत सुंदर ...कोमल अभिव्यक्ति .....!!
ReplyDeleteविजयदशमी की शुभकामनायें .....!! ....
सुन्दर रचना
ReplyDeleteआँसू से होता है तर्पण
ReplyDeleteहम रोते, रोता है दर्पण ।
अत्यंत मर्मस्पर्शी एवं बेहद सुंदर अभिव्यक्ति । बधाई !
दोनों रचना में मन के संवेदनापूर्ण भाव. बहुत बधाई.
ReplyDeleteहम रोते, रोता है दर्पण.... वाह
ReplyDeletekya baat ha !
ReplyDeletemy blog - samaj-vichar.blogspot.com
अंजुरी में आँख के मोती समेट कर उनका आचमन...दिल को छूने वाली पंक्तियाँ...|
ReplyDeleteदोनों क्षणिकाएँ बहुत ही पसंद आ आई...|
आभार और बधाई...|
Respected Sir,
ReplyDeleteAt the out set I want to wish you a very Happy New Year 2014.
Very heart touching creation.
Congratulations.