पथ के साथी

Saturday, October 12, 2013

इस जनम के वास्ते !

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
पलकों पे लरजते मोती
गिरने नहीं देना,
धूल में मिलेंगे
किसके काम आएँगे !
लाओ मैं अँजुरी में भर लूँगा
आचमन कर लूँगा
इससे बड़ा सुधा-पान नहीं होगा
इस जनम के वास्ते !
2
जिसने पाया,वह भरमाया
जिसने खोया,वह तो रोया
पाना-खोना,यही है जीवन
आँसू से होता है तर्पण
हम रोते, रोता है दर्पण ।

-0-

14 comments:

  1. कितना पावन ये आँसुओं का आचमन ...

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर ....विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ .

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति !!

    ReplyDelete
  4. kisi ke dukh ko khud men aatmsaat karna badi baariki se likha hai aapne meri hardik shubkamnaye....

    ReplyDelete
  5. क्या खोना क्या पाना है
    बस मन को बहलाना है.

    आपकी कविता बहुत अच्छी लगी।

    ReplyDelete
  6. Dusare ke ansuon ka achaman aur usi me jeevan ki sarthakata jiina hi samvednajanya anubhutiyon ka dyotak hai aur Bbhai ji apaki udarata se bhari mahanta ka bhi. ..Apako bahut bahut badhai.

    pushpa mehra



    .

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर ...कोमल अभिव्यक्ति .....!!
    विजयदशमी की शुभकामनायें .....!! ....

    ReplyDelete
  8. आँसू से होता है तर्पण
    हम रोते, रोता है दर्पण ।

    अत्यंत मर्मस्पर्शी एवं बेहद सुंदर अभिव्यक्‍ति । बधाई !

    ReplyDelete
  9. दोनों रचना में मन के संवेदनापूर्ण भाव. बहुत बधाई.

    ReplyDelete
  10. हम रोते, रोता है दर्पण.... वाह

    ReplyDelete
  11. kya baat ha !
    my blog - samaj-vichar.blogspot.com

    ReplyDelete
  12. अंजुरी में आँख के मोती समेट कर उनका आचमन...दिल को छूने वाली पंक्तियाँ...|
    दोनों क्षणिकाएँ बहुत ही पसंद आ आई...|
    आभार और बधाई...|

    ReplyDelete
  13. Respected Sir,
    At the out set I want to wish you a very Happy New Year 2014.
    Very heart touching creation.
    Congratulations.

    ReplyDelete