रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
अब घोर अँधेरा है
क्यों रोता साथी
नज़दीक सवेरा है ।
2
राहें पथरीली हैं
आगे जब बढ़ना
आँखें क्यों गीली हैं ।
3
अन्धड़ भी आएँगे
जो चाहे चलना
वे रोक न पाएँगे ।
4
ताण्डव जब होता है
बचता कौन भला
बादल जब रोता है ।
5
कुछ ऐसे जतन करो
घाव पहाड़ों के
मिलकर सब लोग भरो ।
6
पेड़ों की हरियाली
लूटे ना कोई
टूटे ना इक डाली ।
7
कुछ जान न पाओगे
दु:ख जब पूछोगे
चोटें ही खाओगे ।
8
कितने भी जतन करें
वाणी नीम पगी
कड़वे ही वचन झरे ।
9
सीमा है कहने की
तार-तार टूटी
हिम्मत भी सहने की ।
10
बातों की चोट बड़ी
काँटा तो निकले
निकले कब कील गड़ी ।
-0-
" कुछ ऐसे जतन करो / घाव पहाड़ों के / मिलकर सब लोग भरो।"
ReplyDeleteबहूत खूब !
यहाँ प्रस्तुत सभी माहिया बेहतरीन हैं और आपकी इस सोच के अनुकूल हैं कि " जब सोचना है तो सकारात्मक ही सोचें।"
आपको हार्दिक बधाई !
bahut sundar mahiya bhaisahab ,aapke lekhan ko padjkar ek asim trupti ka anubhav hota hai , man ke vicharo me halchal hoti hai , umda lekhan aur kalam ko naman
Deleteआपको पढ़ती हूँ तो लगता है कुछ पढ़ा है .......
ReplyDeleteसभी माहिया लाजवाब .....!!
बहुत सुन्दर, सामयिक माहिया हैं..
ReplyDeleteबातों की चोट बड़ी
काँटा तो निकले
निकले कब कील गड़ी ।....बहुत गहरा भाई जी ..नमन आपको !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत-बहुत-बहुत... अच्छे माहिया भैया जी!:)
ReplyDelete~सादर!!!
बहुत भावप्रबल और अर्थपूर्ण माहिया ...!!
ReplyDeleteसारगर्भित अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत माहिया है सभी...|
ReplyDeleteअब घोर अँधेरा है
क्यों रोता साथी
नज़दीक सवेरा है ।
अन्धड़ भी आएँगे
जो चाहे चलना
वे रोक न पाएँगे ।
बहुत प्रेरणादायक...|
बातों की चोट बड़ी
काँटा तो निकले
निकले कब कील गड़ी ।
बहुत सही बात है...|
इन सशक्त माहिया के लिए बहुत बहुत बधाई...|
Bahut sunder Mahiyaa .
ReplyDeleteDr.Saraswati Mathur
कुछ ऐसे जतन करो
ReplyDeleteघाव पहाड़ों के
मिलकर सब लोग भरो ......बहुत बेहतरीन!
सभी माहिया बहुत भावपूर्ण!
कितने भी जतन करें
ReplyDeleteवाणी नीम पगी
कड़वे ही वचन झरे ।
bhaiya kahi kaha hai aesa hi hota hai
bahut hi sunder likha hai
rachana
andadhi bhi aayenge, jo chhahen chalana, kuch aisaa jatan karo, kuch jaan na paoge
ReplyDeletesabhi mahiya bahut bhavpurn hain.
Pushpa mehra
Sabhi mahiya eak se badhkar eak hain kis ki prasansha karun kis ko jaane dun taya nahi kar payi isliye sabhi ko chuna aapki kalam yun likhti rahe ...meri hardik shubkamnayen....
ReplyDeleteबहुत सुंदर सशक्त , सामयिक अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteबधाई .
सभी माहिया गहन चिंतन से भरे हुये ... बेहतरीन
ReplyDeleteसभी माहिया सुन्दर भावपूर्ण हैं. एक से एक अनमोल वचन...
ReplyDeleteकितने भी जतन करें
वाणी नीम पगी
कड़वे ही वचन झरे ।
बातों की चोट बड़ी
काँटा तो निकले
निकले कब कील गड़ी ।
जीवन में सिर्फ अपने अनुभव लेना ही काफी नहीं होता बल्कि अपने अनुभव से सीख कर दूसरों का मार्ग प्रशस्त करते हुए उनमें ऊर्जा और उत्साह भरना भी होता है. काम्बोज भाई के अनुभव से जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिलता है. सार्थक सन्देश...
अन्धड़ भी आएँगे
जो चाहे चलना
वे रोक न पाएँगे ।
kuch jaan na paoge, kyon rota saathi...., aage jab badhana.....,aankhen kyon geeli hain,najdeek savera hai, andhad bhi aayenge...... wah rok na payenge...., kuch aise jatan karo......
ReplyDeletebahut hi prenadaayak mahiyaa.prashansha se pare.
badhaai
pushpa mehra
कुछ ऐसे जतन करो
ReplyDeleteघाव पहाड़ों के
मिलकर सब लोग भरो.......अर्थपूर्ण,सामयिक माहिया
आपका इतना स्नेह ! आपकी इतनी सहृदयता !! मेरी रचनाओं का यही सम्बल है । सबका विनम्र स्वीकार और आभार !!
ReplyDeleteबचता कौन भला
ReplyDeleteबादल जब रोता है...
sach aur arthpurn sandesh .... sahi hai agar ham prakriti ko rulayenge to wo bhi hame rulayegi .... ab bhi jaage jo insaan to shayad prakriti ka krodh thame ... varna aage-aage aur prakop jhelna padega ....