1-
खड्ग ले जीना होगा
सदियों
से रिसी है
अंतस् में ये पीड़ा
स्त्री संपत्ति
पुरुष पति
हारा जुए में
हरा सभा में चीर
कभी अग्निपरीक्षा
कभी वनवास
कभी कर दिया सती
कभी घोटी भ्रूण में साँस
क्यों स्वीकारा
संपत्ति, जिन्स होना
उपभोग तो वांछित था
कह दे
लानत है
इस घृणित सोच पर
इनकार है
मुझे संपत्ति होना
तलाश अपना आसमाँ
खोज अपना अस्तित्व
अब पद्मिनी नहीं
लक्ष्मी बनना होगा
जौहर में आत्मदाह नहीं
खड्ग ले जीना होगा
-0-
2- विधाता से एक प्रश्न ?
हे सृजनहार
पूछती हूँ मैं
एक सवाल
क्यों लिख दी तूने
जन्म के साथ
मेरी हार ?
सौंदर्य के नाम पर
अता की दुर्बलता
सौंदर्य का पुजारी
कैसी बर्बरता !
इंसां के नाम पर
बनाए दरिंदे
पुरूष बधिक
हम परिंदे
नोचे-खसोटें
तन, रूह भी लूटें
आ देख
कैसे, कितना हम टूटे !
-0-
अंतस् में ये पीड़ा
स्त्री संपत्ति
पुरुष पति
हारा जुए में
हरा सभा में चीर
कभी अग्निपरीक्षा
कभी वनवास
कभी कर दिया सती
कभी घोटी भ्रूण में साँस
क्यों स्वीकारा
संपत्ति, जिन्स होना
उपभोग तो वांछित था
कह दे
लानत है
इस घृणित सोच पर
इनकार है
मुझे संपत्ति होना
तलाश अपना आसमाँ
खोज अपना अस्तित्व
अब पद्मिनी नहीं
लक्ष्मी बनना होगा
जौहर में आत्मदाह नहीं
खड्ग ले जीना होगा
-0-
2- विधाता से एक प्रश्न ?
हे सृजनहार
पूछती हूँ मैं
एक सवाल
क्यों लिख दी तूने
जन्म के साथ
मेरी हार ?
सौंदर्य के नाम पर
अता की दुर्बलता
सौंदर्य का पुजारी
कैसी बर्बरता !
इंसां के नाम पर
बनाए दरिंदे
पुरूष बधिक
हम परिंदे
नोचे-खसोटें
तन, रूह भी लूटें
आ देख
कैसे, कितना हम टूटे !
-0-
स्त्री मन की दशा को अभिव्यक्त करती ...और ...उसे सजग दिशा देती बहुत प्रभावी प्रस्तुति ...बधाई सुशीला जी
ReplyDeleteसादर ...ज्योत्स्ना शर्मा
धन्यवाद !
Deleteदमदार प्रभावी रचना ....
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार अनुपमा जी।
Deleteसच है..
ReplyDeleteसोच साझा करने के लिए शुक्रिया प्रवीण जी।
Deleteबहुत भावुक प्रस्तुति सुशीला जी बधाई।
ReplyDeleteपरिस्थितियाँ भार भर देती हैं, मन भी !
Deleteआभार कृष्णा जी।
दमदार प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत गहन भाव लिए सुंदर रचनाएँ
ReplyDeleteयथार्थ को दिखाती सामयिक रचनाएँ!!
ReplyDeletebahut bahut sunder jaise kisi ne man ki baat kah di
ReplyDeletekya kahun jo kuchh bhi ho raha hai kuchh aesehi vochar mere man me bhi aarahe the aapne shayad sabhi ke man ki baat kahi hai
ReplyDeleteuffffffffffffff
rachana
bahut sundar rachna .badhai ho
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