पथ के साथी

Friday, May 6, 2011

भाव-धारा


                         
1
बिना कहे जो सब कुछ कह जाते हैं

बिना दोष जो सब कुछ सह जाते हैं ।
दूर  हैं पर दिल के क़रीब रहते हैं
उनको हम अपना नसीब कहते हैं ।
-मुमताज-टी एएच खान
2

सपना ही सही ,सजाए रखिए  
ज़िन्दगी का भ्रम, बनाए रखिए   
हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है 
                              कुछ तो उम्मीद , बचाए रखिए ।                                                 -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

7 comments:

  1. हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है कुछ तो उम्मीद , बचाए रखिए!
    These lines give hope for life.

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  2. ये उम्मीद ही तो है जिसके सहारे उम्र काट लेते हैं ! ये उम्मीद ही तो जिंदा रखती है, वरना… ज़िन्दगी जीना क्या इतना आसान है ? बहुत खूब हिमांशु जी…

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  3. ummid na hoti to shayad kychh na hota .aap ne jo likha bahut sahi hai .
    subhash ji aapne jo kaha zindagi jina asan na hota sahi kaha hai
    saader
    rachana

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  4. सपना ही सही ,सजाए रखिए
    ज़िन्दगी का भ्रम, बनाए रखिए
    हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है
    कुछ तो उम्मीद , बचाए रखिए ।

    बहुत प्रेरक!

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  5. भगवान राम ने शिव-धनुष तोंड़ा, कार-सेवकों ने ढ़ाँचा तोड़ा, सचिन ने दूसरों का बनया रिकार्ड तोड़ा, अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ा, प्रदर्शन-कारियों रेलवे-ट्रैक तोड़ा, विकास-प्राधिकरण ने झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ा। तोड़ा-तोड़ी की परंपरा हमारे देश में पुरानी है। ऐसे में आप ’कुछ तो उम्मीद, बचाए रखिए’ की बात कहते हैं। इस रचना में घोर निराशा के बीच आशा की एक किरण है। आपको बधाई!
    ===========================
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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  6. हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है
    कुछ तो उम्मीद , बचाए रखिए ।
    वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! आख़िर उम्मीद पर ही तो ज़िन्दगी कायम है!

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  7. उम्मीद है....
    तो ज़िन्दगी है!
    बहुत खूब लिखा है....
    सपना ही सही ,सजाए रखिए
    ज़िन्दगी का भ्रम, बनाए रखिए
    हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है
    कुछ तो उम्मीद , बचाए रखिए ।

    09 May, 2011 17:48

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