पथ के साथी

Thursday, April 21, 2011

है हमारी कामना !


रामेश्वर काम्बोज’हिमांशु’

है हमारी कामना
यही पावन भावना ।
दु:ख कभी न पास आएँ
अधर सदा मुसकुराएँ
खिल जाएँ सभी कलियाँ
महक उठे मन की गलियाँ
हृदय जब हो जाए दुर्बल
बन जाना तू ही सम्बल
       हाथ आकर थामना
है हमारी कामना ।
कौन अपना या पराया
मन कभी न जान पाया
यह मेरा वह भी मेरा
साँझ अपनी व सवेरा
बाँट दो दुख कम कर लो
सुख द्वारे पर यूँ धर लो
       सुखों से हो सामना
है हमारी कामना ।     
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22 comments:

  1. रमेश्वर जी,
    वह क्या लिखा है
    सुन्दर सन्देश देती कविता.....
    कुछ आगे हम कह देतें हैं.....

    दिल हमारा
    करे ऐसी कामना
    खिलते रहें
    खुशियों के ही फ़ूल
    हर गली में
    तेरे मेरे आँगना
    फ़िर रब से
    क्या है और माँगना
    मिल ही गया
    मोतियों का खजाना
    ऐसी पावन
    दिल की ये भावना
    हरदीप

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  2. बाँट दो दुख कम कर लो
    सुख द्वारे पर यूँ धर लो
    सुखों से हो सामना
    है हमारी कामना ।
    बहुत सुन्दर कामना है सार्थक भाइचारे का सन्देश दिया है । आगर इसकी लौ सब तक पहुँचे तो दुनिया एक हो जाये। धन्यवाद आपका।

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  3. हरदीप जी आपने सही लिखा है मुझे भी बस यही कहना है
    ऐसी पावन अराधना
    सुंदर मन की भावना
    कलयुग में करता है कौन
    आपके जैसी कामना
    आपके इस सुंदर आशीष के लिए धन्यवाद
    सादर
    रचना

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  4. आदरणीय काम्बोज जी को भी ऐसी ही शुभकामना...सोने पर सुहागा हरदीप जी की कविता...।
    इसे ही शायद कहते हैं उम्मीद से दुगुना मिलना...।
    सादर,
    प्रियंका

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  5. एक सार्थक प्रार्थना !

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  6. कौन अपना या पराया मन कभी न जान पाया यह मेरा वह भी मेरासाँझ अपनी व सवेराबाँट दो दुख कम कर लोसुख द्वारे पर यूँ धर लो
    कौन अपना या पराया मन कभी न जान पाया यह मेरा वह भी मेरासाँझ अपनी व सवेराबाँट दो दुख कम कर लोसुख द्वारे पर यूँ धर लो

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  7. कौन अपना या पराया मन कभी न जान पाया यह मेरा वह भी मेरासाँझ अपनी व सवेराबाँट दो दुख कम कर लोसुख द्वारे पर यूँ धर लो

    बहुत सुंदर ...सशक्त भाव

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  8. sundar, pyari...dil se likhi gai kavitaa....

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  9. भाई साहब, आपकी इस पावन भावना को नमन ! ऐसी कामना हर प्राणी यदि करे तो क्या बात है, दुनिया ही बदल जाए !

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  10. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  11. कौन अपना या पराया
    मन कभी न जान पाया
    यह मेरा वह भी मेरा
    साँझ अपनी व सवेरा...


    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई।

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  12. shabdon ke sath pavan bhavnaon ka pravah man ko sukhad ahsas deta hua sunder laga . shrahniy rachana .sadhvad ji .

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  13. सद्भाभानाओं से ओत-प्रोत सुन्दर कामना!

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  14. bahut sunder kamna ....!!
    prabhu sada sahay rahen .

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  15. एक सशक्त और बेहतरीन रचना...और हो भी क्यों ना...इतनी सुंदर कामना जो है....काश सभी ऐसा सोचें...

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  16. aapki rachnayein behtarin aur prenaspad hain. aap isi tarh likhte rahein

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  17. हृदय जब हो जाए दुर्बल
    बन जाना तू ही सम्बल
    हाथ आकर थामना
    है हमारी कामना ।

    ati uttam, prerak, sandeshprad aur saarthak rachna. bahut bahut shubhkaamnaayen kamboj bhai.

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  18. amita kaundal12 May, 2011 23:30

    कौन अपना या पराया
    मन कभी न जान पाया
    यह मेरा वह भी मेरा
    साँझ अपनी व सवेरा
    बाँट दो दुख कम कर लो
    सुख द्वारे पर यूँ धर लो

    बहुत सुंदर कविता है
    सादर
    अमिता

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