रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
मधुर मुस्कान
सराबोर कर दे
मन व प्राण
2
तरल नैन
भीगे सरल बैन
लौटा दें चैन
3
रिश्तों की डोर-
भावना से लिपटी
उजली भोर
4
मिलें ज्यों कल
लगे पहचाने-से
भाव निर्मल
5
तुमने जोड़ा
पावन हृदय का
रस निचोड़ा
6
आज का दिन-
ईश्वर ने दिया ज्यों
स्वर्ग का राज
7
वर्षों का तप
हुआ आज सफल
तुम जो मिले
8
साँसों का सच
आँखों में झाँक रहा
बनके गंगा
मिलें ज्यों कल
ReplyDeleteलगे पहचाने-से
भाव निर्मल
Bahut nirmal,pavitra bhavo se bhari rachna ke liye dheron shubkamnayen...
साँसों का सच
ReplyDeleteआँखों में झाँक रहा
बनके गंगा
बहुत सुन्दर...। गंगधार-सी निर्मल अभिव्यक्ति के लिए बधाई...।
गजब कि पंक्तियाँ हैं ...
ReplyDeleteमधुर मुस्कान
ReplyDeleteसराबोर कर दे
मन व प्राण
वर्षों का तप
हुआ आज सफल
तुम जो मिले
साँसों का सच
आँखों में झाँक रहा
बनके गंगा
आद रामेश्वर जी सभी हाइकू एक से बढ़कर एक लगे .....
पर ये तीन बहुत ही बेहतर हैं ....
आभार .....!!
वर्षों का तप
ReplyDeleteहुआ आज सफल
तुम जो मिले
साँसों का सच
आँखों में झाँक रहा
बनके गंगा
रिश्तों की डोर-
भावना से लिपटी
उजली भोर
मिलें ज्यों कल
लगे पहचाने-से
भाव निर्मल
aapke hyku jivit hai aesa lagraha hai ek ek shbd mahak raha hai .
bahut sunder
badhai
saader
rachana
एक से एक बढ़कर भावपूर्ण और काव्यात्मक संवेदना लिए हुए हाइकु हैं। बधाई !
ReplyDeleteRishton ki door se bune hue samvennatmak bimb aankhon ke aage raks karte hue atmeeyata darsha rahe hai
ReplyDeleteतरल नैनभीगे सरल बैनलौटा दें चैन
Har ek haiku mein ek nagenedari se pesh aata hua ek chit hai
shubhkamanyein ho
रामेश्वर जी के पास उन मोतियों का खजाना है जिन को वह हाइकु लिखकर शब्दों की माला में पिरोते हैं !
ReplyDeleteसभी हाइकु बहुत अच्छे है.. मानो निर्मल सी जल-धारा बह रही हो और हम उस जल धारा में अपना ही बिम्ब देख रहें हों ....
मिलें ज्यों कल
लगे पहचाने-से
भाव निर्मल !
बधाई
साँसों का सच
ReplyDeleteआँखों में झाँक रहा
बनके गंगा
मिलें ज्यों कल
लगे पहचाने-से
भाव निर्मल
हाईकु तो सभी दिल को छू गये लेकिन ये विशेष रूप से बहुत अच्छे लगे। शुभकामनायें।
sabhi haaiku bahut achhe lage, visheshkar ye dono to bahut umdaa...
ReplyDeleteमधुर मुस्कान
सराबोर कर दे
मन व प्राण
वर्षों का तप
हुआ आज सफल
तुम जो मिले
bahut gambhirta se komal baaten kah gay hain aap, bahut badhai kamboj bhai.
रिश्तों की डोर-
ReplyDeleteभावना से लिपटी
उजली भोर
तुमने जोड़ा
पावन हृदय का
रस निचोड़ा
वाह...जी, वाह क्या बात है! इन भाव-गर्भित हाइकुओं के लिए बधाई! यहाँ ‘प्रथम’ पंक्ति से ‘तृतीय’ पंक्ति की तुकान्त-योजना ने लालित्य और भी बड़ा दिया है।