पथ के साथी

Wednesday, July 16, 2025

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 हरेला हरियाली का लोकपर्व/ कमला निखुर्पा



 


 देवभूमि उत्तराखंड में सावन मास के पहले दिन हरियाली का लोकपर्व हरेला उत्साह से मनाया जाता है ।

हरेला की तैयारी

 सावन मास से  नौ दिन पहले आरम्भ हो जाती है।  सात  प्रकार के अन्न मक्का, तिल सरसों, उड़द, जौ आदि को बाँस या रिंगाल की टोकरी में बोकर पूजास्थल में रखा जाता है। नौ दिन बाद नवांकुरों को  हरेला पर्व के दिन पूजा के बाद अपने परिजन, इष्ट-मित्रों के सर पर आशीर्वाद स्वरूप यह कहते हुए रखा जाता है -

जी रया,

जागि रया,

यो दिन यो मास

भेटने रया


(जीते रहना, जाग्रत रहना, इस दिन, इस मास को  भेंटते रहना अर्थात्  ये शुभ दिन आपके जीवन में बार-बार आए )

1

सजे हैं द्वार

पकवान महके

आनंद वार ।

2

सप्त अन्न से

अंकुरित हरेला

कृषि का मेला।

3

 सिर पे धरे

नवांकुर हरेला

आशीष झरे ।

-0-

8 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना 🙏

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  2. अनिता मंडा16 July, 2025 11:09

    यही तो जीवन की खूबसूरती है। शुभ की कामना सदैव लोक जीवन का भाग रही है। बहुत सुंदर लिखा कमला जी।

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  3. बहुत सुंदर 👌🏻👌🏻 हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 🌾🌾🌾

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  4. बहुत सुंदर

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