उफ
रहती नहीं जवानी देख
नदी भी माँगे पानी देख
उम्र गुजरती चुपके-चुपके
रहती एक निशानी देख
पुतले दो मिट्टी के मिलके
गढ़ते नई कहानी देख
झिड़की तल्खी तोड़ रही है
मरता आँख का पानी देख
चकनाचूर किए जाती है
तोड़े रिश्ते बानी देख
मेरी मुश्किल मेरी मुश्किल
तू अपनी आसानी देख
तन छूने को ये जग हाजिर
बंध पे आनाकानी देख
जो सीखा उससे सीखा है
दुआ बनी है नानी देख
एक किनारा दे दे इसको
कश्ती हुई पुरानी देख
सपनों के कल फूल खिले थे
अब आँखों का पानी देख
आँखों में ये हुआ तमाशा
बुझा आग से पानी देख
साहिल ही है सच्चा साथी
लहर है आनी जानी देख
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रश्मि 'लहर', इक्षुपुरी
कॉलोनी, लखनऊ-226002
बहुत सुंदर रचना, हार्दिक शुभकामनाऍं।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteवाह,बेहतरीन गजल।रश्मि लहर जी को बधाई।
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर ग़ज़ल...हार्दिक बधाई रश्मि जी।
ReplyDeleteशुक्रिया दिल से
Deleteवाह !बहुत सुन्दर। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deleteअति सुन्दर । सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteसादर धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया
सादर