पथ के साथी

Tuesday, June 27, 2023

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 पुलिया 

भीकम सिंह 

 


गाँव के सिवानों पे 

खेतों के बीचों- बीच 

ईंट और सीमेंट से 

सम्बंध तोड़ चुकी

एक पुलिया थी।

 

इस पुलिया पर 

घास के गट्ठर ढोते 

धूप में तपते बैल

जुआ उतारकर

अपना मुँह धोते

 

इस पुलिया से ही

खेतों की रंगीनी 

परवान चढ़ती 

और सड़क की दौड़ 

रफ्तार पकड़ती।

 

इस पुलिया से ही 

खाँसते बूढ़ों की

बेरुखी के ढोल बजते 

और उनमें डर की

बारात चती 

 

सब अपने-अपने बूते

पुलिया पर ही रोते 

पुलिया के कंधों पर

बहते ही रहते 

आँसुओं के सोते।

 

रात के नंगे पैर 

यहीं पर गायब होते 

सूर्य के घोड़े 

किरणों के बीज

इसी पुलिया से बोते

 

एक तरह से पुलिया 

गाँव की तिथि रेखा-सी

सबका समय बदलती

खेतों का आर्त्तनाद  

नाली से बयाँ करती 

 

निरर्थक और मिथ्या 

सार्थक और समृद्ध 

पुलिया के जबड़ों तक

जब पहुँचता पानी

तो फाइलें ही भरतीं 

 जब -जब सारा गाँव 

दुःख की तरह टूटता 

ये पुलिया ही एक ,

ठौर थी

यह बात और थी।

-0-

2-अनुपमा त्रिपाठी सुकृति


1

काँपते हाथों से लिखे अक्षर

कह गए बीते हुए जीवन की

अधूरी -सी पूरी कहानी

कहीं वो छिपा- छिपा सा दर्द

कहीं वो नदिया की बहती- बहती सी रवानी

 

कौन है जो जीवन की धूप में मुझे

छाँव देता है

जीवन की नदिया में उस पार जाने

मुझे नाव देता है

 

भटक- भटकके जब थक जाते कदम

फिर सपनों को पनाह

मेरी लेखनी को ठाँव देता है

2

सुरभिमय फाल्गुन की उन्मद बयार

बहती भर लाती युग- युग जीवन सार

प्रस्फुटित पल्लवित धरा का रुप मनोहर

सुगुम्फित भावों का हो रहा शृंगार

और लेता मन पंख पसार

अभिनव गीत गाता खुश हो बार- बार

बार- बार !!

 

श्यामल बादल से आच्छादित घन

नव स्वप्न उल्लसित मन

घन घन घनन घनन

बिजुरिआ चमके

थिरके ये तन

सखीरी आज घर आए सजन !!

-0-

3

विपदा की असंख्य सीढियाँ लाँघते हुए

मुखरित होता है जब मौन

चंद शब्दों में सिमटा- सिमटा -सा

भावों में बिखरा- बिखरा- सा

तुम्हारे और मेरे बीच का वही सेतु

सजीव हो उठता है

और नारंगी आसमान चहक उठता है

नीड़ की ओर

उड़ते हुए पंछियों से.....!!!

-0-

8 comments:

  1. भावपूर्ण , यथार्थ का हृदय स्पर्शी चित्रण करती कविता पुलिया। बहुत बहुत बधाई भीकम सिंह जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण कविताएँ अनुपमा जी। हार्दिक बधाई सुदर्शन रत्नाकर

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  3. अनुपमा त्रिपाठी27 June, 2023 10:21

    सादर आभार कम्बोज भैया जी मेरी कविता यहाँ प्रकाशित करने हेतु 🙏तथा सादर 🥰आभार सुदर्शन रत्नाकर जी प्रशंसा हेतु|🙏आपने कविताएँ पसंद की ह्रदय से आभार 🙏🙏

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  4. बेहतरीन कविताएँ

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  5. भीकम सिंह जी की "पुलिया "कविता हृदयस्पर्शी , भावमय है ।हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी । अनुपमा जी की कविता प्रकृति की सुन्दर, भावनात्मक कविता के लिए हार्दिक बधाई ।
    विभा रश्मि

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  6. आदरणीय भीकम सर की 'पुलिया' जैसे शब्द-शब्द साकार हो उठा -बेहद भावपूर्ण!
    अनुपमा जी की कविताएँ भी प्रकृति एवं भावनाओं को समेटे हुए -बहुत सुंदर!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. वाह! सर हमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना ।अनुपमा जी को श्रेष्ठ सृजन के लिए बहुत-बहुत बधाई।

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  8. भावपूर्ण, उत्कृष्ट कविताएँ...भीकम सिंह जी, अनुपमा जी को बहुत-बहुत बधाई।

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