पथ के साथी

Friday, October 14, 2022

1252--कवि के घर में चोर

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

 

घुस गए चोर कवि जी के घर में

सोते-सोते सुना रहे थे कविता

वे ऊँचे स्वर में ;

संयोजक उन्हें बार-बार  कुर्ता खींचकर

टोक रहे थे ,

हर कविता के बाद घण्टी बजाकर  भी

उन्हें रोक रहे थे।

कवि जी झल्लाए,

और गला फाड़ आवाज़ में चिल्लाए-

‘यह मेरा घर है, मैं बार -बार बता रहा हुँ

आखिरी बार  तुम्हें अब समझा रहा हूँ-

यहाँ पर तुम्हारी दाल हरगिज़ न गलेगी

और कहीं चलती होगी तुम्हारी चाल

यहाँ पर बिल्कुल न चलेगी।’

 यह चेतावनी सुनकर

सिर पर रखकर पैर, चोर वहाँ से भागे

भगदड़ सुनकर कवि जी गहरी नींद से जागे।

कविता के फ़ायदे कवि जी को जँच गए

कविता के कारण ही वे लुटने से बच गए।

-0-8-9-1985


21 comments:

  1. सहजता से कह देना जैसे-जैसे सब घटित हुआ, बड़ी बात है सर ,जो आपके शिल्प की खूबसूरती बढ़ाता है ।लाजवाब सर ,हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. सहज, सरल ढंग से सुंदर भावों की लाजवाब अभिव्यक्ति। बधाई

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  3. वाह्ह.... इतनी सुंदर..गूढ़ भाव से पूर्ण है... 🌹🙏🙏सर आपकी लेखनी सदैव दमक रही थी... दमक रही है... और दमकती रहेगी 🙏🌹🌹प्रणाम सर 🌹🙏

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  4. वाह, अच्छी लगी कविता🙏

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  5. वाह,बहुत सहज ढंग से गम्भीर अर्थ की व्यंजना,आज भी चोर कविता की चोरी कर रहे हैं,यहाँ भी व्यंजना में वही चोर नजर आ रहे हैं।परिहास में बढ़िया व्यंग्य।

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  6. वाह! बहुत खूब।

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  7. सभी साथियों का अतिशय आभार ।

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    1. वाह! बहुत ही सुंदर और मज़ेदार! एकदम अलग हट के कुछ नयी सी बात 😊 आपकी लेखनी का यह नया रूप दिखाने के लिए धन्यवाद 😊
      सादर
      मंजु मिश्रा
      www.manykavya.wordpress.com

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  8. बहुत ही सुंदर कविता।

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  9. कविता में व्यंग्य भी छिपा है और चमत्कृत कर देने का तत्व भी । बधाई भैया ।

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  10. कविता की सहजता और सरलता बहुत प्रभावित करती है। पीड़ा की चुटीली अभिव्यक्ति होठों पर सहज मुस्कान ले आती है। बधाई भैया

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  11. वाह. बहुत खूब.

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  12. वाह, बहुत सुंदर

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  13. कविता में व्यंग्य भी छिपा है और चमत्कृत कर देने का तत्व भी । बधाई भैया ।

    शशि पाधा

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  14. एक नए अंदाज की बेहतरीन कविता पढ़ने को मिली, धन्यवाद आदरणीय!!

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  15. मज़ेदार हास्य कविता 😂

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  16. बहुत मज़ेदार! कवि होने का एक यह भी फ़ायदा. बहुत बढ़िया व्यंग्य. बधाई भैया.

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  17. बहुत ही सुंदर और एक नए ढंग की कविता।
    आपकी लेखनी गजब की अभिव्यक्ति करती है।

    सादर प्रणाम

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  18. हास्य - व्यंग्य के घूँघट में घट गयी पूरी घटना , सरल सुन्दर । अरसे पूर्व लिखी कविता सुन्दर अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।

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  19. गज़ब...इतना मज़ा आया इस कविता को पढ़ते हुए , हार्दिक बधाई आदरणीय काम्बोज जी को

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