पथ के साथी

Sunday, May 22, 2022

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 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' 




6 comments:

  1. आहा!!! अत्यंत मर्मस्पर्शी... 🌹सत्य कहा सर... कोरोना सा स्वार्थ भी संक्रमित व्याधि है... समस्त संबंधों को निगल जाता है..... 🙏नमन आपकी लेखनी को 🌹🙏🙏🙏

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  2. संक्रमित सम्बंध सारे---कटु सत्य।
    सुंदर रचना। बधाई आदरणीय।

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  3. बेहतरीन सर ! हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  4. समझता नही कुटिल समय
    अनुराग की भाषा कभी
    क्या खूब लिखा है?
    बहुत बहुत शुभकामनाएं सर!

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  5. भटके शिशु की सी रुलाई, कितना मर्म स्पर्शी ..बधाई भाई साहब

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  6. अत्यंत मर्मस्पर्शी ! एक-एक शब्द गहराई लिए हुए! सादर नमन आदरणीय भैया जी एवं उनकी लेखनी को!

    ~सादर
    अनिता ललित

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