रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
आहा!!! अत्यंत मर्मस्पर्शी... 🌹सत्य कहा सर... कोरोना सा स्वार्थ भी संक्रमित व्याधि है... समस्त संबंधों को निगल जाता है..... 🙏नमन आपकी लेखनी को 🌹🙏🙏🙏
संक्रमित सम्बंध सारे---कटु सत्य।सुंदर रचना। बधाई आदरणीय।
बेहतरीन सर ! हार्दिक शुभकामनाएँ ।
समझता नही कुटिल समयअनुराग की भाषा कभीक्या खूब लिखा है? बहुत बहुत शुभकामनाएं सर!
भटके शिशु की सी रुलाई, कितना मर्म स्पर्शी ..बधाई भाई साहब
अत्यंत मर्मस्पर्शी ! एक-एक शब्द गहराई लिए हुए! सादर नमन आदरणीय भैया जी एवं उनकी लेखनी को!~सादर अनिता ललित
आहा!!! अत्यंत मर्मस्पर्शी... 🌹सत्य कहा सर... कोरोना सा स्वार्थ भी संक्रमित व्याधि है... समस्त संबंधों को निगल जाता है..... 🙏नमन आपकी लेखनी को 🌹🙏🙏🙏
ReplyDeleteसंक्रमित सम्बंध सारे---कटु सत्य।
ReplyDeleteसुंदर रचना। बधाई आदरणीय।
बेहतरीन सर ! हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteसमझता नही कुटिल समय
ReplyDeleteअनुराग की भाषा कभी
क्या खूब लिखा है?
बहुत बहुत शुभकामनाएं सर!
भटके शिशु की सी रुलाई, कितना मर्म स्पर्शी ..बधाई भाई साहब
ReplyDeleteअत्यंत मर्मस्पर्शी ! एक-एक शब्द गहराई लिए हुए! सादर नमन आदरणीय भैया जी एवं उनकी लेखनी को!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित