1-सॉनेट
अनिमा दास
यूँ जागकर यह निशा रहेगी चंद्रछाया में
कोई श्वास में भरकर तप्त वायुमंडल
पड़ा रहेगा प्रांगण में अनवरत माया में
हरित पीड़ा पर रहेगा अग्निकण तरल।
मन विद्वेष होगा,नभ त्याग खग व्याकुल
वीणा के स्वर में गाएगा व्यथित आलाप
पराधीन ऊषा वारिदों में रहेगी आकुल
मृदु पवन में जलेगा एक प्राक् अभिशाप।
कहाँ होंगी बूँदें उद्वेलित दृगों
की..मोहना?
कौन करेगा स्पर्श क्षताक्त अंगों को..कहो?
असीम व्यथा विदीर्ण रेखाओं की..मोहना
कौन भरेगा स्मित से इन अधरों को..कहो?
भीषण रौद्र के इन तीक्ष्ण शरों में है शांत
वयस अवयव का..शून्य की इच्छाएँ क्लांत।
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कटक, ओड़िशा
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2-दर्पण
डॉ.
सुरंगमा यादव
हम कहते हैं
तुम कहते हो
सब कहते हैं
ये दुनिया मैली हो गयी है
रहने लायक नहीं है
क्या हम अपने घर में
कचरा फैलाते हैं?
घर को साफ रखना
या न रखना
हमारा स्वभाव दर्शाता है
हम अपने मन की फैक्ट्री से
निकलने वाले कचरे को
दुनिया में फैला रहे हैं
तरह-तरह का कचरा
अपनी क्षमता और बुद्धि के
अनुसार
वही कचरा री-साइकिल होकर
दुनिया को मैला और मैला बना रहा है
कौन कर रहा है इसे मैला?
प्रश्न पूरा होने से पहले ही
कितने नाम और चेहरे घूम जाते हैं
आँखों के सामने
चूँकि हम बिना दर्पण
स्वयं को देख नहीं पाते
इसीलिए अपना नाम छूट जाता है
दर्पण दिखाना तो आसान है
देखना कितना मुश्किल ।
अनिमा दास और डॉ सुरंगमा यादव जी की हमेशा की तरह बेहतरीन रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद 🌹🙏
Deleteबहुत सुंदर रचनाएँ। हार्दिक बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद 🙏🌹
Deleteबहुत सुंदर रचनाओं के लिए सुरंगमा जी एवं अनिमा दास जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद 🙏🌹
Deleteसुंदर रचनाएँ
ReplyDeleteसादर धन्यवाद 🙏🌹
Deleteसुन्दर कविताएँ! हार्दिक बधाई आ.अनिमा दास जी एवं डॉ. सुरंगमा यादव जी!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
सादर धन्यवाद 🙏🌹
Deleteदोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर. अणिमा जी एवं सुरंगमा जी को हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद 🙏🌹
Deleteबहुत सुंदर रचनाएँ...अनिमा दास और डॉ सुरंगमा यादव जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचनाएँ
ReplyDeleteअनिमा जी एवं सुरंगमा जी को हार्दिक बधाई।
सुंदर भावपूर्ण रचनाओं के लिए अनिमा जी और सुरँगमा जी को अनेकों बधाई!
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