सुशीला शील राणा
लिखो अग्रसंधानी में
सबके कर्म
पाप-पुण्य
धर्म-अधर्म
समय !
पूरे धैर्य-विवेक से
करना विवेचन
जो रहे जीवन का हिस्सा
क्या रहा उनका किस्सा
क्या रही उनकी फ़ितरत
क्या रहा उनका क़िरदार
कौन कितना रहा वफ़ादार
अपनों के मुखौटे लगा
कौन कितना रहा गद्दार
समय !
लिखो अपनी बही में
सारे के सारे षड़यंत्र
धोखे-छल-कपट-प्रपंच
सब की सब जालसाजियाँ
पीठ में घोंपी गईं छुरियाँ
समय !
रखना पूरा का पूरा हिसाब
किसने कितने दिए घाव
किसने लगाया मरहम
किसने कितने दिए आँसू
किस-किस ने दी मुस्कुराने की वज़ह
किस-किस ने छीना
जीने का आधार
किस-किस के साथ ने
भरोसे ने लिया थाम
समय !
यहीं करो न्याय
इसी जीवन में
इसी धरती पर
बहा दो वैतरणी
तड़पे यहीं हर पापी
लागू हों शास्त्र वर्णित
पुराणों के दंड विधान
कि देख सकें लोग
जीवितों को भोगते
अपने पापों का दंड
ताकि डरे हर इंसान
करने से पहले पाप
समय !
खोलो स्वर्ग के द्वार
इसी धरती पर
कि जीते जी
भोग सकें पुण्यात्माएँ
अपने पुण्यों का फल
स्वर्ग सा सुख
ताकि कायम रहे
अटूट आस्था
धर्म में, कर्मों के फल में
समय !
कर रहे हैं आह्वान
सभी सरल जन, भोले मन
कि बची रहे यह धरा
पापों के बोझ से
महा प्रलय से
बना रहे अस्तित्व
धर्म का
कर्म का
ईश्वर का
न्याय का
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ReplyDeleteबहुत ही उत्कृष्ट, हृदयस्पर्शी रचना।
हार्दिक बधाई आदरणीया।
💐🌷
सादर
"समय!
Deleteयहीं करो न्याय
इसी जीवन में..." समय से आँख मिला कर रची गई मर्मस्पर्शी कविता
धन्यवाद आदरणीय दिनेश जी
Deleteसमय से सार्थक संवाद करती उत्कृष्ट कविता।बधाई सुशीला शील राणा जी।
ReplyDeleteसराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteसमय को संबोधित सभी रचनाएँ बहुत भावपूर्ण हैं. काश! समय सबका हिसाब रखता और न्याय इसी जन्म में कर देता. बधाई सुशीला जी.
ReplyDeleteकविता के मर्म को महसूसने के लिए, तारीफ़ के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया डॉ जेन्नी।
Deleteबहुत सुंदर, हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय कविता जी।
Deleteअत्यंत उत्कृष्ट सृजन आदरणीया 💐💐💐अत्यंत हृदयस्पर्शी 💐💐💐💐
ReplyDeleteसराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अनिमा जी।
Deleteउत्कृष्ट रचनाएँ...हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआभार आदरणीय कृष्णा जी।
Deleteसुन्दर .....
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया
सराहना हेतु हार्दिक आभार डॉ पूर्वा।
Deleteसुशीला शील जी की बहुत परिपक्व, हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति । बधाई शील जी ।
ReplyDeleteप्रशंसा के लिए आभारी हूँ विभा जी।
Deleteसुन्दर रचना के लिए बहुत बधाई
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