कृष्णा वर्मा
बेहतरीन दोहे,कृष्णा वर्मा जी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जिनसे थी सुख आस 🙏🙏🙏❤️❤️❤️
सभी दोहे बहुत सुंदर हैं। सुधा समझ पी लिया बहुत अच्छा प्रयोग। बधाई कृष्णा जी।
सभी दोहे बहुत सुंदर।बधाई कृष्णा वर्मा जी
बहुत सुंदर दोहे।बधाई कृष्णा वर्मा जी।
सभी दोहे उत्तम। सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई कृष्णा वर्मा जी।
बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे,, हार्दिक बधाई।
वाह!एक से बढ़कर एक सुंदर दोहे! धन्यवाद कृष्णा जी!!
सुन्दर दोहे, हार्दिक बधाई।
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण दोहे।हार्दिक बधाई आदरणीया।सादर
रिश्तों में अपेक्षाओं का बोझ उपेक्षा ही देता है इसी केंद्रीय भाव के सुंदर दोहे प्रस्तुत हुए हैं-बधाई
बहुत सुन्दर दोहे हैं, बधाई कृष्णा जी |
सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं हार्दिक बधाई।
सुंदर दोहे
बहुत सुंदर दोहे
बहुत ही शानदार लिखा कृष्णा जी ने ... बधाई सहित शुभकामनाएं
कृष्णा जी के दोहे उने मन की वेदना है | सब कुछ कह दिया है आपने इन दोहों में | हम जानते हैं कि दुनिया में आजकल जिन्हें हम मित्र समझते हैं वही पीठ में छुरा बोंकते हैं |बहुत ही सत्य लिखा है कृष्णा जी !श्याम -हिन्दी चेतना
जीवन के कटु सत्य को ख़ूबसूरती से दर्शाते बहुत भावपूर्ण दोहे।हार्दिक बधाई आ.दीदी 🙏🏼
अतिसुन्दर अभिव्यक्ति! मन को छू गए सभी दोहे!हार्दिक बधाई आ.कृष्णा दीदी!~सादरअनिता ललित
बेहतरीन दोहे,कृष्णा वर्मा जी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteजिनसे थी सुख आस
ReplyDelete🙏🙏🙏❤️❤️❤️
सभी दोहे बहुत सुंदर हैं। सुधा समझ पी लिया बहुत अच्छा प्रयोग। बधाई कृष्णा जी।
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत सुंदर।बधाई कृष्णा वर्मा जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे।बधाई कृष्णा वर्मा जी।
ReplyDeleteसभी दोहे उत्तम। सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई कृष्णा वर्मा जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे,, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteवाह!एक से बढ़कर एक सुंदर दोहे! धन्यवाद कृष्णा जी!!
ReplyDeleteसुन्दर दोहे, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण दोहे।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया।
सादर
रिश्तों में अपेक्षाओं का बोझ उपेक्षा ही देता है इसी केंद्रीय भाव के सुंदर दोहे प्रस्तुत हुए हैं-बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे हैं, बधाई कृष्णा जी |
ReplyDeleteसभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसुंदर दोहे
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे
ReplyDeleteबहुत ही शानदार लिखा कृष्णा जी ने ... बधाई सहित शुभकामनाएं
ReplyDeleteकृष्णा जी के दोहे उने मन की वेदना है | सब कुछ कह दिया है आपने इन दोहों में | हम जानते हैं कि दुनिया में आजकल जिन्हें हम मित्र समझते हैं वही पीठ में छुरा बोंकते हैं |बहुत ही सत्य लिखा है कृष्णा जी !
ReplyDeleteश्याम -हिन्दी चेतना
जीवन के कटु सत्य को ख़ूबसूरती से दर्शाते बहुत भावपूर्ण दोहे।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आ.दीदी 🙏🏼
अतिसुन्दर अभिव्यक्ति! मन को छू गए सभी दोहे!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आ.कृष्णा दीदी!
~सादर
अनिता ललित