पथ के साथी

Saturday, June 19, 2021

1110-उसने कहा

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'









18 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता। सच में हर मुस्कान के पीछे दर्द की एक नदी बहती है

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  2. दुख सहने के लिए होते हैं, दुखी होने के लिए नहीं, यह समझ आने तलक ज़िंदगी गुज़र जाती है, बिना मुस्कुराए ही, जिसने मर्म को जान लिया , वही जीया। हार्दिक बधाई सुंदर कविता की आदरणीय।

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  3. बहुत सुंदर,भावों की कोमलता सुकुमारता और पावनता को बहुत ही खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया आपने, अनेक बधाई भैया💐😊🙏

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  4. बहुत भावपूर्ण, मार्मिक अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय भाईसाहब जी।

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  5. बहुत भावपूर्ण बहुत सुंदर

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  6. बहुत बढ़िया

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  7. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई भाईसाहब।

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  8. बहुत ही मार्मिक,गम्भीर अर्थ व्यंजक कविता।सादर नमन।

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  9. बहुत सुंदर, भावपूर्ण कविता! हार्दिक बधाई!

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  10. बिंब और प्रतीकों को उभरारने का हुनर किसी ओर को भी सिखा दो सर , बेहतरीन से थोड़ा ऊपर ।

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  11. बहुत सुंदर मार्मिक कविता, धन्यवाद भाई साहब!!

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  12. सच कहा जो जितने जोर से हँसता है वह उतना ही अंदर से दुखी होता है ।

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  13. मार्मिक कविता

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  14. वही दूसरों की खुशी का ख्याल रखता है । जिसने दुख जिया हो....
    बहुत ही लाजवाब हृदयस्पर्शी सृजन

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  15. उसकी हर हँसी की खनक में
    दर्द की नदी दबी पड़ी थी

    गहन भाव लिए, संवेदना में पगी अत्यंत भावपूर्ण और मार्मिक रचना। लाजवाब कविता

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  16. आप सबका हृदय से आभार । काम्बोज

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  17. दिल को छू लेने वाली रचना...
    हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें

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  18. बहुत मार्मिक रचना भैया जी, हार्दिक बधाई ।

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