पथ के साथी

Monday, April 26, 2021

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कमला निखुर्पा

1

आशीष हाथ

धरा मेरे सर पे

घनी छाँव पा

पुरसुकून हुई

भरी दुपहरी भी ।

2

दूर से आई

नेहिल पुरवाई ।

चहके पंछी

झूमा तरु- मन ये

नन्ही कली भी खिली ।

-0-

11 comments:

  1. बहुत सुंदर!

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  2. अति सुन्दर।

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  3. धन्यवाद आप सभी का

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  4. स्नेह और आशीष का आकांक्षी ये मन प्रोत्साहित हो जाता है, यही आजके वक्त की बड़ी जरूरत है।
    बधाई।

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  5. बहुत सुन्दर।
    हार्दिक बधाई आदरणीया।

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  6. बहुत सुन्दर... हार्दिक बधाई कमला जी।

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  7. भावपूर्ण
    हार्दिक शुभकामनाएँ कमला जी

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  8. बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई कमला जी।

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  9. बहुत सुंदर कमला जी। हार्दिक बधाई।

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  10. बहुत सुन्दर, हार्दिक बधाई दीदी।

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