पथ के साथी

Monday, October 12, 2020

1026-चाहत

 सविता अग्रवाल 'सवि' (कैनेडा)

 

भरोसा जो टूटा था

जोड़ रही वर्षों से....

बोलियाँ खामोश हैं

कितने ही अरसों से ...

दस्तक भी गुम है अब

बारिश के शोर में ....

अधूरे जो वादे थे

दब गए संदूकों में ...

नफरतें धो रही

प्रेम रस के साबुन से ...

चट्टानें जो तिड़क गईं

भर ना पाई परिश्रम से ...

उड़ गई जो धूल बन

ला ना पाई उम्र वही ...

नीर, जो सूख गया

लौटा ना सकी सरोवर में ...

अक्षर जो मिट गए

लिख ना पाई फिर उन्हें ...

पुष्प जो मुरझा गए

खिल ना सके बगिया में ...

पत्ते जो उड़ ग

लगे ना दरख्तों पर ...

बर्फ़ जो पिघल ग

जम ना सकी फिर कभी ...

अगम्य राहें बना ना पाई

सुगम सी डगर कभी ...

निरर्थक यूँ जीवन रहा

हुआ ना सार्थक कभी ....

फिर भी एक आस है

बढ़ने की चाह है ....

हौसले बुलंद हैं ...

चाहतें भी संग हैं ....

-0-

13 comments:

  1. बेहद सुन्दर रचना!
    हार्दिक बधाई आदरणीया!
    सादर!

    ReplyDelete
  2. सविता अग्रवाल जी बहुत सुन्दर रचना।हार्दिक बधाई ।

    ReplyDelete
  3. सुंदर सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई सविता अग्रवाल जी।

    ReplyDelete
  4. जो गुज़र जाता वापस नहीं आता. सुन्दर रचना, बधाई.

    ReplyDelete
  5. सभी मित्रों को कविता पर प्रतिक्रिया के लिए सुशील जी, रश्मि जी, सुरंगमा जी, सुदर्दशन जी और डॉ जेन्नी को ह्रदय से धन्यवाद |

    ReplyDelete
  6. सभी मित्रों को कविता पर प्रतिक्रिया के लिए सुशील जी, रश्मि जी, सुरंगमा जी, सुदर्दशन जी और डॉ जेन्नी को ह्रदय से धन्यवाद |

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया रचना... सविता जी हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  8. फिर भी एक आस है/ बढ़ने की चाह है ..../हौसले बुलंद हैं .../चाहतें भी संग हैं ....
    आशावादी सुंदर पंक्तियाँ

    सुंदर सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ सविता जी

    ReplyDelete
  9. कृष्णा जी और डॉ पूर्वा जी आप दोनों का हार्दिक धन्यवाद |

    ReplyDelete
  10. बहुत अच्छी रचना है, मेरी हार्दिक बधाई...|

    ReplyDelete
  11. प्रियंका जी मेरी कविता पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद |

    ReplyDelete
  12. बेहतरीन रचना!आपको बहुत बहुत बधाई सविता जी!!

    ReplyDelete
  13. सविता अग्रवाल जी,बहुत सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको !

    ReplyDelete