पथ के साथी

Thursday, June 11, 2020

1006


[ इस बार वसन्त आया और आतंकित करके चला गया। जीवन बेमानी हो गया। क्रूर विषाणु ने तन और मन सभी को प्रभावित किया है।  मेरी फ़ाइल में 11 जून 2013 की कमला निखुर्पा की एक कविता  सुरक्षित थी। आज के सन्दर्भ में उसी वसन्त को बुलाने का विनम्र प्रयास है। सम्पादक ]

ॠतु वसन्त तुम आओ ना…
कमला निखुर्पा

ॠतु वसन्त तुम आओ ना 
चित्र;प्रीति अग्रवाल
वासन्ती रंग बिखराओ ना!
उजड़ रही आमों की बगिया,
बौर न खिलाओ ना।
सूनी हैं वन उपवन की डालें,
कोयल को भी  बुलाओ ना!
कुछ गीत नए सुनाओ ना,
ओ वसन्त तुम आओ ना!

कहीं-कहीं ऊँचे महलों में,
जाम  बहुतेरे छलक रहे हैं…।
कहीं अँधेरी झोपड़ियों में,
दुधमुँहे भूखे  बिलख रहे है॥
कुटिया  के बुझते दीपक को तुम बनके, तेल जलाओ ना…
भूखी माँ के आँचल में तुम, दूध बन उतर आओ ना…
प्रिय वसन्त तुम आओ ना…

कोई धो रहा जूठे बर्तन,
कोई कूड़ा को बीन रहा।
पेट की आग मिटाने को,
जीवन को ही छीन रहा
काम पे जाते बच्चे के, हाथों में किताब बन आओ ना……
घना अँधियारा छाया है, तुम ज्ञान के दीप जलाओ ना…
ॠतु वसंत तुम आओ ना…।

भटक रहा अपनी मंजिल से,
मतवाला युवा नशे में गुम है।
देख फ़ट रही पिता की छाती,
हुईं माँ की आँख भी नम है।
बिखर रहे सपने घर-घर के, फ़िर से उन्हें सजाओ ना…
खो गई हैं जो मुस्कानें उनको लौटा लाओ ना !
प्रिय वसन्त तुम आओ ना…

चित्र;प्रीति अग्रवाल
देखो सरसों ने भी धरा को,
धानी चूनर ओढ़ाई है।
पीले पत्ते गिर चुके पेड़ों से,
किसलय किसलय मुस्काई है।
कली बन मानव मन में आ जाओ, फ़ूल प्रेम के खिलाओ ना!
त्रिविध बयार बहाओ ना,आकर फिर से जाओ ना
ॠतु वसंत तुम आओ ना…
प्रिय वसन्त तुम आओ ना…
-0-

13 comments:

  1. कितनी सुंदर, सकारात्मक। वाह!!

    ReplyDelete
  2. ऋतु बसन्त को सकारात्मक भाव बोध के साथ आमंत्रित करती सुंदर कविता।बधाई कमला निखुर्पा जी

    ReplyDelete
  3. कमला निखुर्पा जी का वसंत ऋतु की याद में लिखा गया गीत अपने आप में बहुत ही सुंदर और हर शब्द में वसंत की सुगंध है | शब्दों से आपने एक चित्र बना दिया | अत्यंत स्मरणीय है | बधाई के साथ -श्याम हिंदी चेतना

    ReplyDelete
  4. बसंत का बहुत ही सुंदर चित्रण
    मनभावन कविता
    हार्दिक शुभकामनाएँ कमला जी

    ReplyDelete
  5. वसंत ऋतु का ऐसा सुंदर आवाह्न, मन खुशी से झूम उठा, कमला जी को ढेरों बधाई!
    इसे साझा करने के लिए काम्बोज भाई साहब आपका बहुत बहुत आभार!

    ReplyDelete
  6. वसंत का बहुत ख़ूबसूरत वर्णन.... कमला जी हार्दिक बधाई आपको।

    ReplyDelete
  7. भावपूर्ण मनुहार...कमला जी को बधाई और सहज साहित्य का आभार|

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  9. इस समय समस्त संसार जिस शुष्क और निराशा भरे दौर से गुज़र रहा, उसमे यह कविता सच में किसी वासंती बयार से कम नहीं...| बहुत बधाई कमला जी...|

    ReplyDelete
  10. वसंत ऋतु के खूबसूरत वर्णन के साथ उसे बुलाने की गुहार लगाती सुन्दर कविता है कमला जी हार्दिक बधाई स्वीकारें | प्रीति जी के मनोरम चित्रों ने मंत्रमुग्ध कर दिया |

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर भावबोध की कविता ।बधाई कमला जी।

    ReplyDelete
  12. वाह! कितनी सुन्दर रचना. वसंत ऋतु तो इस बार सबको दुःख देकर गया. अब जो वसंत आए तो यह सब हो जो कविता में वर्णित है. बहुत भावपूर्ण रचना, बधाई कमला जी.

    ReplyDelete

  13. वसंत ऋतु पर कमला जी की बेहद ख़ूबसूरत रचना और प्रीति जी के अति सुन्दर चित्रों के लिए हार्दिक बधाई एवँ शुभकामनाएँ !

    ReplyDelete