[ पिछले कुछ
दिनों से मैं कोविड 19 के कारण
एक क्वारेंटाइन सैंटर पर कार्यरत
हूँ । अन्य कोरोना वारियर्स की तरह वर्तमान
हालात का सामना करते हुए मन में जो भाव उपजे उनसे जो गीत रचना हुई है वह सादर
प्रेषित है।]
-परमजीत
कौर 'रीत'
एक आहुति अपनी भी है
महासमर के महायज्ञ में
कण-कण अपना तोल रहीं हैं
एक आहुति अपनी भी है
सब समिधाएँ बोल रही हैं
वन में अब भी शिखी नाचते!
वहाँ भला देखेगा कौन
कोयल को आदेश मिला तो
पावस में तज डाला मौन
और जिजीविषा की चिड़ियाँ
ये सभी रहस्य खोल रहीं हैं
एक आहुति अपनी भी है
सब समिधाएँ बोल रही हैं
महासमर के महायज्ञ में
कण-कण अपना तोल रहीं हैं
दावानल का यह समय तो
निज से ऊपर उठने का है
रे ! हिम-पंछी वृक्ष के हित में
अवसर आज पिघलने का है
तो क्या, जो समकाली सिन्धु में
मन नौकाएँ डोल रहीं हैं
एक आहुति अपनी भी है
सब समिधाएँ बोल रही हैं
महासमर के महायज्ञ में
कण-कण अपना तोल रहीं हैं
-0-श्री
गंगानगर
परमजीत जी की अपनी एक आहुति .... कोरोना के खिलाफ मोर्चे पर सुंदर कविता । बधाई
ReplyDeleteसमकालीन भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDelete-आशा बर्मन
परमजीत जी की वर्तमान स्थितियों पर भावनात्मक कविता ।मन भीग गया । बधाई कविता के लिए ।
ReplyDeleteमहासमर के महायज्ञ में
ReplyDeleteकण-कण अपना तोल रहीं हैं
एक आहुति अपनी भी है
सब समिधाएँ बोल रही हैं... परमजीत जी अाप जो सेवा का कार्य कर रही है, उसके लिए अापका बहुत बहुत अभिनंदन! कविता भी बहुत सुन्दर है, बधाई। सहज साहित्य का भी अाभार, अापसे और अापकी कविता से जोडऩे के लिए
बहुत ही भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteमन भींग गया ।
आपको नमन है
दावानल का यह समय तो
ReplyDeleteनिज से ऊपर उठने का है
रे ! हिम-पंछी वृक्ष के हित में
अवसर आज पिघलने का है
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मन को छू गईं सभी पंक्तियाँ|
रचनाकार को हार्दिक अभिनंदन
महासमर के महायज्ञ में
ReplyDeleteकण-कण अपना तोल रहीं हैं
एक आहुति अपनी भी है
सब समिधाएँ बोल रही हैं
....बहुत सुंदर,महामारी के इस महासमर से जूझते हुए प्रत्येक कर्मवीर के प्रयास अभिनन्दनीय हैं,परमजीत जी इस पवित्र कार्य हेतु बधाई की पात्र हैं,मनोभावों को कविता में सशक्त प्रस्तुति दी है।आपके सत्कार्य का हार्दिक अभिनन्दन
बहुत सुन्दर!महामारी के इस दावानल की भयंकर लपटों की परवाह किये बिना जो कर्मवीर मोर्चा संभाले हुए हैं, उनका शत् शत् अभिनन्दन । परमजीत जी आपके सत्कार्य एवं भाव पूर्ण कविता के आपको हार्दिक नमन।
ReplyDeleteआपके सत्कार्य को नमन है आदरणीया
ReplyDeleteकोरोना की जंग को जीतने के लिए जो हवन हो रहा है उसमें परमजीत जी के अमूल्य योगदान के लिए उन्हें हमारी ओर से नमन |
ReplyDeleteएक आहुति अपनी भी है, बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति, आपको नमन परमजीत जी!
ReplyDeleteWeldone nice poetry
ReplyDeleteएक आहुति अपनी भी है
ReplyDeleteसब समिधाएँ बोल रही हैं
महासमर के महायज्ञ में
कण-कण अपना तोल रहीं हैं
bahu sunder badhayi
rachana
बहुत सुंदर तथा भावपूर्ण सृजन, हृदय-तल से बधाई परमजीत जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई परमजीत जी.
ReplyDeleteआप सभी गुणीजनों का हार्दिक आभार।-परमजीत कौर'रीत'
ReplyDelete‘एक आहुति अपनी भी है ‘बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।बधाई परमवीर कौर जी
ReplyDeleteसबसे पहले तो परमजीत जी का अभिनन्दन...और साथ ही इन दिल से निकली पंक्तियों के लिए दिल से बधाई...|
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