कृष्णा वर्मा
1
कौन करेगा गर्म
सूरज नर्म।
2
लटका पाला
सूर्य की राह देखे
पंछी बेचारा।
3
शीत प्रकंप
काँपते हाड़-मांस
सिहरे मन।
4
जाड़ा ऊँघता
एक हाथ दूजे को
फिरे ढूँढता।
5
रुत का रंग
पंख फैलाए सर्दी
सिकुड़ें हम।
6
कोहरा जवाँ
सिगरेट न बीड़ी
मुख में धुँआ।
7
सर्दी डराए
चाय वाले खोखे का
स्वामी मुस्काए।
8
सूर्य दहाड़े
दिवस सुनहरी
धुंध दरारें।
9
सूरज आए
धूप के कसोरे में
पंछी नहाएँ।
10
धूप को लादे
चपल गिलहरी
चौगिर्द भागे।
11
धूप के साये
आनन्दित कपोत
पंख फुलाएँ।
-0-
एक से बढ़कर एक सभी हाइकु। बधाई कृष्णा जी।
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ReplyDelete"धूप को लादे/ चपल गिलहरी/ चौगिर्द भागे":
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकु! जाड़े की धूप के बहुत अच्छे चित्रण के लिए बधाई! - डाॅ. कुँवर दिनेश
बहुत खूब
ReplyDeleteगुनगुनी धूप का एहसास कराते सुंदर हाइकु ।बधाई कृष्णा जी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकु आदरणीया कृष्णा दीदी! हार्दिक बधाई!!!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
एक से बढ़कर एक बिम्ब । सर्दी का सुंदर वर्णन । बधाई स्वीकारें ।
ReplyDeleteशीत का सुन्दर वर्णन...सभी हाइकु बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteहार्दिक बधाइयाँ
बहुत सुन्दर रचना है शीत ऋतु के बिम्ब दर्शाते है ये हाइकु कृष्णा जी |हार्दिक बधाई |
ReplyDeletekya baat hai gajab haiku bahut bahut badhai..
ReplyDeleteशीत ऋतु पर सुन्दर हाइकु , बहुत बधाई !
ReplyDeleteशीत ऋतु के सभी हाइकु एक से बढ़कर एक । बधाई आदरणीया।
ReplyDeleteसभी हाइकु लाजवाब हैं आद. कृष्णा जी.... हृदय -तल से बधाई !!
ReplyDeleteधूप को लादे
ReplyDeleteचपल गिलहरी
चौगिर्द भागे।
सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं, पर ये वाला बहुत भाया...| ढेरों बधाई...|