पथ के साथी

Sunday, December 16, 2018

859-ठिठुरे दिन


कृष्णा वर्मा
1
ठिठुरे दिन
कौन करेगा गर्म
सूरज नर्म।
2
लटका पाला
सूर्य की राह देखे
पंछी बेचारा।
3
शीत प्रकंप
काँपते हाड़-मां
सिहरे मन।
4
जाड़ा ऊँघता
एक हाथ दूजे को
फिरे ढूँढता।
5
रुत का रंग
पंख फैलाए सर्दी
सिकुड़ें हम।
6
कोहरा जवाँ
सिगरेट न बीड़ी
मुख में धुँआ।
7
सर्दी डराए
चाय वाले खोखे का
स्वामी मुस्काए।
8
सूर्य दहाड़े
दिवस सुनहरी
धुंध दरारें।
9
सूरज आए
धूप के कसोरे में
पंछी नहाएँ
10
धूप को लादे
चपल गिलहरी
चौगिर्द भागे।
11
धूप के साये
आनन्दित कपोत
पंख फुलाएँ
-0-


14 comments:

  1. एक से बढ़कर एक सभी हाइकु। बधाई कृष्णा जी।

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  3. "धूप को लादे/ चपल गिलहरी/ चौगिर्द भागे":
    बहुत सुंदर हाइकु! जाड़े की धूप के बहुत अच्छे चित्रण के लिए बधाई! - डाॅ. कुँवर दिनेश

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  4. गुनगुनी धूप का एहसास कराते सुंदर हाइकु ।बधाई कृष्णा जी ।

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  5. बहुत सुंदर हाइकु आदरणीया कृष्णा दीदी! हार्दिक बधाई!!!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  6. एक से बढ़कर एक बिम्ब । सर्दी का सुंदर वर्णन । बधाई स्वीकारें ।

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  7. शीत का सुन्दर वर्णन...सभी हाइकु बहुत सुन्दर...
    हार्दिक बधाइयाँ

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  8. बहुत सुन्दर रचना है शीत ऋतु के बिम्ब दर्शाते है ये हाइकु कृष्णा जी |हार्दिक बधाई |

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  9. kya baat hai gajab haiku bahut bahut badhai..

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  10. शीत ऋतु पर सुन्दर हाइकु , बहुत बधाई !

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  11. शीत ऋतु के सभी हाइकु एक से बढ़कर एक । बधाई आदरणीया।

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  12. सभी हाइकु लाजवाब हैं आद. कृष्णा जी.... हृदय -तल से बधाई !!

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  13. धूप को लादे
    चपल गिलहरी
    चौगिर्द भागे।
    सभी हाइकु बहुत सुन्दर हैं, पर ये वाला बहुत भाया...| ढेरों बधाई...|

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