कमला निखुर्पा
मीलों दूर रहकर भी
भावसिंचित
नव सृजन पल्लवों से आँगन
अंकुरित
वो मेघ हो तुम।
महक अपनेपन की
सोंधी-सोंधी -सी
जड़ों से जुड़ी है
अभी तक
संस्कारों की माटी
वो माली हो तुम ।
लेना कुछ भी नहीं
जाना बस
देना ही देना
पत्थर भी मारे कोई
तो पाता सुफल
वो वृक्ष रसाल हो तुम।
जो भी हो तुम
जानूँ मैं बस इतना ही
कि विगत जन्मों के
पुण्य फल हो तुम ।
नित जलकर
जगमग राहें कर जाए
वो दीपक हो तुम ।
-०-
भाई हो तो ऐसा । क्या बात है! भाई को और उनके प्रति उदात्त उद्गारों के लिए कवियित्री को
ReplyDeleteबधाई। सु. व.।
बहुत सुंदर ,दिल की गहराई से निकले उद्गार ।ऐसा एक भाई और भी है ,जो सब का है।
ReplyDeleteये भाव हम सबके आदरणीय भाई हिमांशु जी के लिए ही हैं। मेरे उद्गार को यहां स्थान देने के लिए आभार भैया
ReplyDeleteशत-प्रतिशत सहमत हूँ...|
Deleteअगर हमारी ज़िन्दगी में इस तरह का कोई एक व्यक्ति भी मौजूद है,चाहे किसी भी रिश्ते में हो...खून का हो या मन का हो रिश्ता, तो ये मान लीजिए कि हमने कभी तो कोई बहुत बड़ा पुण्य किया ही होगा जिसका यह सुफल मिला...|
ReplyDeleteबहुत ह्रदयस्पर्शी रचना...| बधाई स्वीकारें...|
भावपूर्ण सृजन के लिए हार्दिक बधाई 🙏🙏🙏
ReplyDeleteसरल सहज शब्दों का खूबसूरत ताना बाना दिल छू गया।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना कमला जी बधाई।
ReplyDeleteकमला जी, सुन्दर एवं सकारात्मक सोच वाली रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
ReplyDeletebahut snehpurn,bhavpurn bhavvibhor karne vali rachna meri hardik badhai...
ReplyDeleteबहुत गहरे भाव भैया के लिये इतना प्यार बहुत मूल्यवान है ।घर घर हों ऐसे भाई बहन । राहें रौशन करने वाले भाई ।बहुत सुन्दर रचना है कमला निखुर्पा जी ।
ReplyDeleteगहरे भावों और सम्मान को प्रदर्शित करती कविता के लिए हार्दिक बधाई कमला जी
ReplyDeleteगहरे भावों और सम्मान को प्रदर्शित करती कविता के लिए हार्दिक बधाई कमला जी
ReplyDeleteगहन भाव एवं चिंतन। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना , हार्दिक बधाई कमला जी !
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Deleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना कमला जी... .बहुत-बहुत बधाई आपको !