पथ के साथी

Wednesday, June 6, 2018

826-भोर के उद्गार


भोर के उद्गार
कमला निखुर्पा


मीलों दूर रहकर भी
भावसिंचित
नव सृजन पल्लवों से आँगन अंकुरित
वो मेघ हो तुम।

महक अपनेपन की
सोंधी-सोंधी -सी
जड़ों से जुड़ी है
अभी तक
संस्कारों की माटी
वो माली हो तुम ।

लेना कुछ भी नहीं
जाना बस
देना ही देना
पत्थर भी मारे कोई
तो पाता सुफल
वो वृक्ष रसाल हो तुम।

जो भी हो तुम
जानूँ मैं बस इतना ही
कि विगत जन्मों के
पुण्य फल हो तुम ।
नित जलकर
जगमग राहें कर  जाए
वो दीपक हो तुम ।
-०-

16 comments:

  1. भाई हो तो ऐसा । क्या बात है! भाई को और उनके प्रति उदात्त उद्गारों के लिए कवियित्री को
    बधाई। सु. व.।

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  2. बहुत सुंदर ,दिल की गहराई से निकले उद्गार ।ऐसा एक भाई और भी है ,जो सब का है।

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  3. ये भाव हम सबके आदरणीय भाई हिमांशु जी के लिए ही हैं। मेरे उद्गार को यहां स्थान देने के लिए आभार भैया

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  4. अगर हमारी ज़िन्दगी में इस तरह का कोई एक व्यक्ति भी मौजूद है,चाहे किसी भी रिश्ते में हो...खून का हो या मन का हो रिश्ता, तो ये मान लीजिए कि हमने कभी तो कोई बहुत बड़ा पुण्य किया ही होगा जिसका यह सुफल मिला...|
    बहुत ह्रदयस्पर्शी रचना...| बधाई स्वीकारें...|

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  5. भावपूर्ण सृजन के लिए हार्दिक बधाई 🙏🙏🙏

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  6. सरल सहज शब्दों का खूबसूरत ताना बाना दिल छू गया।हार्दिक बधाई

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  7. बहुत मर्मस्पर्शी रचना कमला जी बधाई।

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  8. कमला जी, सुन्दर एवं सकारात्मक सोच वाली रचना के लिए बहुत बहुत बधाई

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  9. bahut snehpurn,bhavpurn bhavvibhor karne vali rachna meri hardik badhai...

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  10. बहुत गहरे भाव भैया के लिये इतना प्यार बहुत मूल्यवान है ।घर घर हों ऐसे भाई बहन । राहें रौशन करने वाले भाई ।बहुत सुन्दर रचना है कमला निखुर्पा जी ।

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  11. गहरे भावों और सम्मान को प्रदर्शित करती कविता के लिए हार्दिक बधाई कमला जी

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  12. गहरे भावों और सम्मान को प्रदर्शित करती कविता के लिए हार्दिक बधाई कमला जी

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  13. गहन भाव एवं चिंतन। हार्दिक बधाई।

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  14. बहुत प्यारी रचना , हार्दिक बधाई कमला जी !

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    1. बहुत मर्मस्पर्शी रचना कमला जी... .बहुत-बहुत बधाई आपको !

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