1-तेरी छुवन- डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
तेरी छुवन
मादक लगती है
अमृत जैसी
मादक लगती है
अमृत जैसी
तुमने कहा
हम तुम्हारे हैं
खुश हैं हम
हम तुम्हारे हैं
खुश हैं हम
आओ तो कभी
मन बुलाता तुम्हे
कभी तो सुनो
मन बुलाता तुम्हे
कभी तो सुनो
प्रतीक्षा करूँ?
बोलो तो कब तक?
जीवन कहाँ?
बोलो तो कब तक?
जीवन कहाँ?
इंतज़ार है
उनके ही आने का
शायद आएँ
-0-
उनके ही आने का
शायद आएँ
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2-तुम से मिलना-नीति
राठौर
तुमसे मिलना,तुमको पाना,
लगता प्रभात का आना है।
जीवन की तपती राहों में,
जैसे छाँव का मिल जाना है।
लगता प्रभात का आना है।
जीवन की तपती राहों में,
जैसे छाँव का मिल जाना है।
तूफान है ये विचारों का
आना और चले जाना है।
शीतल -सी मंद बयार है ये
जीवन जिससे महकाना है।
आना और चले जाना है।
शीतल -सी मंद बयार है ये
जीवन जिससे महकाना है।
है कौन जन्म का रिश्ता ये,
मैंने जो तुमको पाया है?
ना जाने नियति ने क्योंकर,
हम दोनों को मिलवाया है।
मैंने जो तुमको पाया है?
ना जाने नियति ने क्योंकर,
हम दोनों को मिलवाया है।
मरुथल की तपती राहों का
संताप हर एक मिटाना है।
प्रेम के सागर-मंथन से प्रिय,
अमृत का रस छलकाना है।
संताप हर एक मिटाना है।
प्रेम के सागर-मंथन से प्रिय,
अमृत का रस छलकाना है।
पावन सच्चा प्रेम हमारा,
मैंने तो इतना ये जाना है।
बहते जीवन की धारा में,
ये हाथ थाम बढ जाना है।
मैंने तो इतना ये जाना है।
बहते जीवन की धारा में,
ये हाथ थाम बढ जाना है।
-0-
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3-शिव डोयले
भोर मे सूरज की लाली
खिलते फूलों को चूमती
अल्हड़ तितली
डाल -डाल पर पक्षियों का कलरव
मंदिर की आरती
यह दुनिया सुबह की तरह
खूबसूरत क्यों नहीं होती ।
-0-
डॉ.योगेन्द्र नाथ शर्मा जी की 'तेरी छुवन' ,नीता कोठारी जी की 'तुम से मिलना' व शिव डोयले जी की 'भोर की लाली' की सुन्दर कविताओं के लिये सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई ।
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ReplyDeleteतीनों रचनाएं बेहद सुन्दर। योगेन्द्र जी, नीता कोठारी जी तथा शिव डोयले जी आप सभी को बहुत बधाई!
ReplyDeleteयोगेन्द्र जी बढ़िया भावनाएं
ReplyDeleteनीति जी सुंदर भावों से सजी गीतिका ..पर कहीं कहीं मात्राभार 17 हो गया है जांच लें
शिव जी सुबह सांझ रात .तीनों ही खूबसूरत हैं ..काश हम दृष्टिकोण बदल लें जीने का....
बेहतरीन बात
योगेन्द्र जी बढ़िया भावनाएं
ReplyDeleteनीति जी सुंदर भावों से सजी गीतिका ..पर कहीं कहीं मात्राभार 17 हो गया है जांच लें
शिव जी सुबह सांझ रात .तीनों ही खूबसूरत हैं ..काश हम दृष्टिकोण बदल लें जीने का....
बेहतरीन बात
आदरणीय योगेंद्र जी बहुत सुंदर रचना ..सादर नमन
ReplyDeleteआ.नीति जी बहुत सुन्दर रचना हार्दिक
बधाई
आदरणीय शिव जी ये दुनिया सुबह की तरह खूबसूरत क्यों नहीं है वाहह्ह्ह्ह् बहुत सुंदर
बेहद खूबसूरत ! ! सुन्दर कविताओं के लिये आ.योगेन्द्र जी,आ. नीता कोठारी जी तथा आ. शिव डोयले जी... आप सभी को बहुत- बहुत बधाई!
ReplyDeleteआदरणीय योगेंद्र जी प्रेम में पगी मोहक कविता
ReplyDeleteनीति जी प्रेम से सब जुड़ जाते हैं
बहते जीवन की धारा में,
ये हाथ थाम बढ जाना है।
बेहतरीन पंक्तियाँ
शिव डोयले जी लाजवाब प्रकृति चित्रं
आप सभी को
बहुत बधाई!
आ. योगेन्द्र जी, नीति जी एवं शिव जी .... सभी रचनाएँ बहुत ख़ूबसूरत हैं! आप तीनों को बहुत बधाई !!!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
Aadarneey Kamboj ji, Yogendra ji, neeti ji evam shiv ji ki rachnayen atyant sundar, prasangik va sargarbhit badhayi evan shubhkamnaen
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचनाएँ...आप सभी को बहुत बधाई...|
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