शशि पाधा
परदेसी मन
पता ठिकाना पूछता
जड़ें पुरानी ढूँढता
घूम रहा परदेसी मन ।
काकी, चाची, मामा,मौसा
एक गली का इक परिवार
बीच सजा वो चाट खोमचा
आस –पास बसता संसार
रोज़ हवा को सूँघता
खुश्बू वो ही ढूँढता
तड़प रहा परदेसी मन ।
जुड़ी- सटी सब छत मुँडेरें
रात आधी की कथा कहानी
खाट दरी बस चादर तकिया
मिट्टी की सुराही –पानी
यादों में ही झूमता
छत वही फिर ढूँढता
पछताया परदेसी मन ।
दोपहरी की धूप गुनगुनी
आँगन तकिया लंबी तान
पके रसोई चाय पकौड़ी
सर्दी से तब बचते प्राण
उनींदा -सा ऊँघता
हरी चटाई ढूँढता
पगला -सा परदेसी मन ।
संग मनाए मेले- ठेले
चौगानों में तीज त्योहार
आपस में बाँटे थे कितने
चूड़ी रिब्बन के उपहार
बिन झूले के झूलता
ठाँव वही फिर ढूँढता
बेचारा एकाकी मन ।
-0-
2-सपना मांगलिक
दोहे
1
उर में गहरा जख्म हो ,दवा न दे आराम
प्रेम पगे दो बोल ही ,करें दवा का काम
2
खून आज का हो रहा ,लोहे से भी गर्म
नहीं कद्र माँ बाप की ,खोई नैना शर्म
3
मन्दिर मस्जिद चर्च में ,ढूंढा चारों धाम
जो मन खोजा आपना ,मिले वहीं पर राम
4
चूसत खून गरीब का ,नेता भरते कोष
गंगाजल से कब भला ,धुलते उनके दोष
5
मानुष जो न कभी करे ,सही गलत
में भेद
जीवन चूहे –सा जिये,
करे न कोई खेद
6
धरते- धरते आस को ,बीती जीवन-
शाम
लग जाए कब क्या पता,
इन पर पूर्ण विराम
7
बातों से लौटें नहीं ,काले धन का कोष
जनता भूखी मर रही ,फ़ैल रहा आक्रोश
8
नेता फिर दिखला रहे ,जनता को अंगूर
समझें सब इस चाल को ,करें नहीं मंजूर
-0-
शशि जी भावपूर्ण गीत के लिए बधाई।
ReplyDeleteसपना जी यथार्थपूर्ण दोहे अच्छे हैं। बधाई।
शशि जी भावपूर्ण गीत बधाई!!
ReplyDeleteभावपूर्ण गीत; यथार्थपूर्ण दोहे ! शशि जी, सपना जी - बधाई।
ReplyDeleteभावपूर्ण गीत; यथार्थपूर्ण दोहे ! शशि जी, सपना जी - बधाई।
ReplyDeleteशशि जी सुन्दर भाव गीत लिखा है सच मन बार बार वही छत ढूंढता है | सपना जी आप ने भी दोहों की सुन्दर रचना की है |आप दोनों को हार्दिक बधाई |
ReplyDeletebechara ekaanki man ,achcha geet hai
ReplyDeleteशशि जी दिल को छूने वाली कविता हेतु बधाई , सपना जी के दोहे भी अच्छे लिखे हैं बधाई |
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
मेरे प्रवासी मन की अनुभूति को आप सब ने सराहा , हार्दिक आभार | धन्यवाद भैया काम्बोज जी का , इसे स्थान देने के लिए | सपना जी भावप्रबल दोहों के लिए बधाई |
ReplyDeleteSundar rachnayen
ReplyDeleteShashi ji, sapna ji
Badhai evam shubhkamna
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteशशि जी दिल को छूने वाली कविता हेतु बधाई , सपना जी आप ने भी दोहों की सुन्दर रचना की है |आप दोनों को हार्दिक बधाई |
आपस में बाँटे थे कितने
ReplyDeleteचूड़ी रिब्बन के उपहार
बिन झूले के झूलता
ठाँव वही फिर ढूँढता
बेचारा एकाकी मन ।
bachpan lota diya aapki is rachna ne...hardik badhai..
उर में गहरा जख्म हो ,दवा न दे आराम
प्रेम पगे दो बोल ही ,करें दवा का काम
sabhi dohe bahut achhe hain ye bahut achha laga..meri badhai...
गीत और दोहे दोनों की बहुत सुन्दर प्रस्तुति....शशि जी, सपना जी बधाई।
ReplyDeleteशशि जी को इस भावपूर्ण कविता और सपना जी को सार्थक दोहों के लिए बहुत बधाई...|
ReplyDeleteसुन्दर स्मृतियाँ संजोए ..परदेसी मन को बारम्बार नमन ...बहुत सुन्दर गीत दीदी ..बधाई !
ReplyDeleteविविध भावों भरे सुन्दर दोहे सपना जी बहुत बधाई !