पथ के साथी

Thursday, October 29, 2015

करवा चौथ का चाँद



1-करवा चौथ का चाँद

मंजु मिश्रा

मन का अनुबंध
साल दर साल
लिखता  कुछ नया
प्यार की इबारत में
जैसे करता हो
नवीनीकरण
सम्बन्धों का
नई ताज़गी के साथ
करवा चौथ का चाँद
.
साल दर साल
जीवन भर
संजोई हुई
खट्टी-मीठी यादों को
मन की बगिया में
खिला देता है फिर से
खिलखिलाते फूलों सा
करवा चौथ का चाँद
..
सात फेरों का रिश्ता
प्यार मनुहार की
गलियों से गुजरते हुए
-बाप, दादा-दादी के
रिश्तों में उलझते हुए
उम्र जब साँझ की सीढ़ियाँ
चढ़ती है, उस पल को भी
फिर से नया नया सा कर देता है
करवा चौथ का चाँद
-0-
2-मंजूषा मन
1
कितने पत्ते शाख से
जुदा हो जाएँगे
जब झूम के
चलती हवा
तो सोचती कहाँ !
2
दिल के भीतर
खिंची थी एक
चारदीवारी
दरवाजा अगर होता
तो आती दस्तक।
3
जीना जो चाहें तो
देने लगता है
दुःख भी सुख
लगने लगती है
टीस भी मीठी।
4
जीवन का खाका
खींचने की कोशिश में
उभर कर आते हैं
सिर्फ और सिर्फ
प्रश्नचिह्न ही।
5
जीवन में चलने का
सीखा है उसने
एक ही तरीका-
हर कदम पर
चलता है चालें।
6
नियति का खेल
कि सुख की तलाश में
हो ही न पाया
कभी किसी मोड़ पर
सुख से मेल।
7
मन की आँखों से
देखा तो पाया
हर एक इंसान
दिखाई देता है
अनुत्तरित प्रश्न सा।
-0-

14 comments:

  1. कितने पत्ते शाख से
    जुदा हो जाएँगे
    जब झूम के
    चलती हवा
    तो सोचती कहाँ ...

    बहुत ही सुन्दर ! अगर हवा ये सोच लेती तो फिर बात ही क्या थी :-)

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  2. सात फेरों का रिश्ता
    प्यार मनुहार की
    गलियों से गुजरते हुए
    -बाप, दादा-दादी के
    रिश्तों में उलझते हुए
    उम्र जब साँझ की सीढ़ियाँ
    चढ़ती है, उस पल को भी
    फिर से नया नया सा कर देता है
    करवा चौथ का चाँद
    मनभावन करवा चौथ का चाँद .
    जीवन में चलने का
    सीखा है उसने
    एक ही तरीका-
    हर कदम पर
    चलता है चालें।
    दोनों रचनाकारों की सुंदर प्रस्तुति
    बधाई

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  3. मंजू मिश्रा जी की चाँद पर लिखी कविता पसंद आयी .बधाई .मंजूषा जी की भी क्षणिकांए भावपूर्ण हैं .हार्दिक बधाई.

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-10-2015) को "चाँद का तिलिस्म" (चर्चा अंक-2146) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. karvachauth ke chand par likhi kavita rishte ke gumfan ka ahsas karati bahut sunder rachna hai,mnjushha ji ki sabhi xanikayen bhavpurn hain. badhai.
    pushpamehra

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  6. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमाणु शक्ति राष्ट्र, करवा का व्रत और ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. जीवन में जीवन भरती मंजू मिश्रा जी की सुंदर कविता के लिए उन्हें बधाई !
    मंजूषा जी की भावपूर्ण क्षणिकाएँ भावुक कर गईं ! बहुत-बहुत बधाई !
    नियती का खेल
    मन की आँखों से......बहुत ही सुंदर

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  9. bhavpurn rachnaye..hardik badhai...

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  10. बहुत सुन्दर रचनाएँ......बधाई।

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  11. बहुत प्यारा है करवा चौथ का चाँद ....हार्दिक बधाई मंजु मिश्रा जी !

    बहुत भावपूर्ण क्षणिकाएँ मंजूषा जी ..बहुत-बहुत बधाई !

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  12. बहुत सुन्दर रचनाएँ...हार्दिक बधाई...|

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  13. कितने पत्ते शाख से
    जुदा हो जाएँगे
    जब झूम के
    चलती हवा
    तो सोचती कहाँ !

    सभी रचनाएँ बहुत गहन एवं अर्थपर्ण

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  14. आप सभी का हृदय से आभार क्षणिकाएँ पसन्द करने के लिए। यह प्रेम ही लेखन की प्रेरणा है ई बनाये रखिये।

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