1-करवा चौथ का चाँद
मंजु मिश्रा
मन का अनुबंध
साल दर साल
लिखता कुछ
नया
प्यार की इबारत में
जैसे करता हो
नवीनीकरण
सम्बन्धों का
नई ताज़गी के साथ
करवा चौथ का चाँद
.…
साल दर साल
जीवन भर
संजोई हुई
खट्टी-मीठी यादों को
मन की बगिया में
खिला देता है फिर से
खिलखिलाते फूलों सा
करवा चौथ का चाँद
..…
सात फेरों का रिश्ता
प्यार मनुहार की
गलियों से गुजरते हुए
-बाप, दादा-दादी के
रिश्तों में उलझते हुए
उम्र जब साँझ की सीढ़ियाँ
चढ़ती है, उस पल को भी
फिर से नया नया सा कर देता है
करवा चौथ का चाँद
-0-
2-मंजूषा ‘मन’
2-मंजूषा ‘मन’
1
कितने पत्ते शाख से
जुदा हो जाएँगे
जब झूम के
चलती हवा
तो सोचती कहाँ !
2
दिल के भीतर
खिंची थी एक
चारदीवारी
दरवाजा अगर होता
तो आती दस्तक।
3
जीना जो चाहें तो
देने लगता है
दुःख भी सुख
लगने लगती है
टीस भी मीठी।
4
जीवन का खाका
खींचने की कोशिश में
उभर कर आते हैं
सिर्फ और सिर्फ
प्रश्नचिह्न ही।
5
जीवन में चलने का
सीखा है उसने
एक ही तरीका-
हर कदम पर
चलता है चालें।
6
नियति का खेल
कि सुख की तलाश में
हो ही न पाया
कभी किसी मोड़ पर
सुख से मेल।
7
मन की आँखों से
देखा तो पाया
हर एक इंसान
दिखाई देता है
अनुत्तरित प्रश्न सा।
-0-
कितने पत्ते शाख से
ReplyDeleteजुदा हो जाएँगे
जब झूम के
चलती हवा
तो सोचती कहाँ ...
बहुत ही सुन्दर ! अगर हवा ये सोच लेती तो फिर बात ही क्या थी :-)
सात फेरों का रिश्ता
ReplyDeleteप्यार मनुहार की
गलियों से गुजरते हुए
-बाप, दादा-दादी के
रिश्तों में उलझते हुए
उम्र जब साँझ की सीढ़ियाँ
चढ़ती है, उस पल को भी
फिर से नया नया सा कर देता है
करवा चौथ का चाँद
मनभावन करवा चौथ का चाँद .
जीवन में चलने का
सीखा है उसने
एक ही तरीका-
हर कदम पर
चलता है चालें।
दोनों रचनाकारों की सुंदर प्रस्तुति
बधाई
मंजू मिश्रा जी की चाँद पर लिखी कविता पसंद आयी .बधाई .मंजूषा जी की भी क्षणिकांए भावपूर्ण हैं .हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-10-2015) को "चाँद का तिलिस्म" (चर्चा अंक-2146) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
karvachauth ke chand par likhi kavita rishte ke gumfan ka ahsas karati bahut sunder rachna hai,mnjushha ji ki sabhi xanikayen bhavpurn hain. badhai.
ReplyDeletepushpamehra
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमाणु शक्ति राष्ट्र, करवा का व्रत और ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteजीवन में जीवन भरती मंजू मिश्रा जी की सुंदर कविता के लिए उन्हें बधाई !
ReplyDeleteमंजूषा जी की भावपूर्ण क्षणिकाएँ भावुक कर गईं ! बहुत-बहुत बधाई !
नियती का खेल
मन की आँखों से......बहुत ही सुंदर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeletebhavpurn rachnaye..hardik badhai...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएँ......बधाई।
ReplyDeleteबहुत प्यारा है करवा चौथ का चाँद ....हार्दिक बधाई मंजु मिश्रा जी !
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण क्षणिकाएँ मंजूषा जी ..बहुत-बहुत बधाई !
बहुत सुन्दर रचनाएँ...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteकितने पत्ते शाख से
ReplyDeleteजुदा हो जाएँगे
जब झूम के
चलती हवा
तो सोचती कहाँ !
सभी रचनाएँ बहुत गहन एवं अर्थपर्ण
आप सभी का हृदय से आभार क्षणिकाएँ पसन्द करने के लिए। यह प्रेम ही लेखन की प्रेरणा है ई बनाये रखिये।
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