1- (योग-दिवस पर विशेष ज्योत्स्ना प्रदीप के हाइकु)
1
2
अनुलोम -विलोम
करें लहरें ।
3
सुनो समीर !
भ्रामरी -गुंजन से
दूर हो पीर ।
4
जगाओ नहीं
शवासन में लेटें
नग योगी को।
5
सारे आसन
समय -योग -गुरु
खूब सिखाए ।
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
नींद छीनते
बरसा कर मोती
खज़ाने वाले ।
2
लोभी है मन
बटोरना चाहता
बिखरा धन।
3
रस का लोभी
जगे रजनी भर
नींद उड़ी है ।
4
मन के मोती
मिलते हैं जिसको
वह क्यों सोए?
5
अमृत खोया
चाँदनी रातों में भी
जो कभी सोया।
6
झरे चाँदनी
सब खुले झरोखे
नींद नहाए।
7
शान्त रात में
टिटिहरी जो चीखी
जंगल जागा।
8
नींद उचाट
यादों की तरी लगी
मन के घाट ।
9
याद जो
आए
सभी साथी पुराने
भीगी
पलकें ।
10
स्नेह की बातें
फिर से याद आईं
फूटी रुलाई ।
11
भोर सुहानी
उतरी है अँगना
मुदितमना।
-0-
( चित्र: गूगल से साभार)
( चित्र: गूगल से साभार)
ReplyDeleteज्योत्सना प्रदीप जी ने इंसानों को पीछे धकेल कर , आप के वृक्ष योग-दिवस मनाने आ खड़े.बहुत ही सुंदर हाइगा चित्र की कथा कहता। लहरों को भी अनुलोम-विलोम सिखा दिया। अनुपम रचना।
और हिमांशु जी आपने रात के , चांदनी के मन भावन चित्रों से हाइकु सजा कर अनुपम बात कही हम प्रकृति की आधी सुंदरता से तो वंचित ही रह जाते हैं। निंद्रा मग्न हो कर… अमृत खोया/चांदनी रातों में /जो कभी सोया/… । और जागने पर … स्नेह की बातें /फिर से आई याद /फूटी रुलाई / … यह भी अनुभव सिद्ध बात कही। … सरस्वती की कृपा आप जैसे साहित्य रत्नो पर सदा बनी रहे। बहुत बहुत वधाई।
सरस्वती की कृपा आप जैसे साहित्य रत्नो पर सदा बनी रहे। बहुत बहुत वधाई।
योग दिवस पर बहुत सुन्दर ,मोहक , रोचक हाइकु ..बधाई ज्योत्स्ना प्रदीप जी !
ReplyDelete'झरे चाँदनी' ,'यादों की तरी '..बहुत भावपूर्ण हाइकु भैया जी ..हार्दिक बधाई ...सादर नमन !
बहुत ही प्यारे हाइकु सभी सुंदर, सामयिक, सार्थक...!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ...ज्योत्स्ना जी एवं आदरणीय भैया जी !
~सादर
अनिता ललित
"अनुलोमविलोम/ करती लहरें, शवासन में लेटे / नग योगी, समय- योग-गुरू-" जैसे सुंदर चित्रों के लिए आदरणीया ज्योत्स्ना जी तथा "अमृत खोया/चांदनी रातों में भी/ जो कभी सोया " जैसी विशद् चेतना एवं मनोभावों के लिए श्री रामेश्वर काम्बोज जी को साधुवाद एवं हार्दिक बधाई!!! डॉ कुंवर दिनेश
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-06-2015) को "पितृ-दिवस पर पिता को नमन" {चर्चा - 2014} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस की के साथ-साथ पितृदिवस की भी हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
योग का चित्रण करते ज्योत्स्ना जी के बहुत खूबसूरत हाइकु!
ReplyDeleteकाम्बोज जी के "झरे चाँदन”, "नींद उचाट" बहुत भाव प्रवण हाइकु .....आप दोनों को हार्दिक बधाई!
prakriti ko adhar bana kar yog par likhe haiku bahut sunder hain. vastav me.n man ki chandani yadi khili ho to nee.nd me.n bhi man usake ahasas me.n Dooba rahata hai. bahut hi sunder bhav hai.nirasha ke band jharokhon ko khol kar din -rat asha ki chandani ki baaT dekhani chahiye. sandesh deta haiku. kamboj bhai ji va jyotsna ji ko badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
बहुत सुन्दर हाइकु !
ReplyDelete१. सारे आसन
समय -योग -गुरु
खूब सिखाए ।
२. नींद उचाट
यादों की तरी लगी
मन के घाट । विशेष लगे!
ज्योत्सना जी, काम्बोज सर अभिनन्दन!!
अमृत खोया
ReplyDeleteचाँदनी रातों में भी
जो कभी सोया।
नींद उचाट
यादों की तरी लगी
मन के घाट ।bahut bhaavpurn haiku! man mein anuthi kalpna ukerne wale.badhai
bhaiya ji aapne mujhe bhi yahan sthaan diya uske liyebhi dil se abhaar!
अमृत खोया
ReplyDeleteचाँदनी रातों में भी
जो कभी सोया।
याद जो आए
सभी साथी पुराने
भीगी पलकें ।
javab nahi...dono ko hardik badhai...
aadarniy kamla ji ,jyotisna ji ,anita ji ,dinesh ji ,mayank ji ,krishna ji ,pushpa ji ,amit ji v bhawna ji ...aap sabhi ka dil se abhaar!
ReplyDeletesundar rachanayen
ReplyDeletesabhi rachnakaron ko badhaiyan
रस का लोभी
ReplyDeleteजगे रजनी भर
नींद उड़ी है ।
अमृत खोया
चाँदनी रातों में भी
जो कभी सोया।
सारे आसन
समय -योग -गुरु
खूब सिखाए ।
वाह क्या बात है ....बधाइयाँ
बहुत सुन्दर कविता... वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर हाइकु और हाइगा।
ReplyDeleteयोग दिवस जैसे अनछुए-से विषय पर बहुत सुन्दर हाइकु...बधाई...|
ReplyDeleteआदरणीय काम्बोज जी के हाइकू के लिए तो कभी कभी शब्द कम लगते हैं...| अप्रतिम...सीधा दिल को छूने वाले हाइकु...| बहुत बहुत बधाई...|
बहुत सुन्दर कविता.
ReplyDeleteसुंदर शिल्प में सार्थक हाइकु | बधाई काम्बोज जी
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