रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
जीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
झटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
2
हँसकर कहा गुलाब ने , दु:ख ही सुख का मूल ।
मुस्कानों की सीख है, चुभ-चुभ महकें फूल ॥
3
हँसी ठहाके खो गए, अब सूनी चौपाल ।
कोठरियों में क़ैद हैं,राजबीर किरपाल ।।
4
कूप अँटे , पनघट घटे , गई नीम की छाँव ।
पीपल जिसका पीर था, खोया अब
वह गाँव । ।
5
नदिया सूखी इस बरस, रूठ गई
बरसात ।
रेत उड़ी नभ पर चढ़ी , बादल करें न बात ॥
6
जीवन-तरु को नोचकर, बाकी छोड़ा ठूँठ ।
फूल चुने पत्ते हरे , फिर भी जाते रूठ । ।
7
मन में ठहरा कौन है , मन के द्वार हज़ार ।
तुम प्राणों में आ बसो , बनकर प्राणाधार । ।
8
अपनों ने हम पर किये , सदा पीठ पर वार ।
दोष भला देते किसे, हम थे ज़िम्मेदार । ।
9
जीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
इन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप ! !
-0-
Jeevan ke Anubhavon ko vyakt karte sabhi Dohe
ReplyDeletesangrahaneey hain. Inke srijan ke liye apko Badhai! Jeevan ke kuchh pakshon ko darshate ye Dohe apnee bhavnaayen prakat karne ke liye "Quote" kiye ja sakte hain!
बधाई , इन्हें पढ़कर कबीरदास जी जैसे संदेशात्मक दोहे लगे .
ReplyDeleteजीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
ReplyDeleteइन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप ........बहुत सुंदर भाव है।
ReplyDeleteजीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
इन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप !
यूँ तो सभी दोहे बहुत सुन्दर भावपूर्ण हैं
लेकिन यह बहुत मन को छू गया।
jeevan darshan aur gahan anubhuti shabdon ka choga dharan kar, Kabir si vani ban man par gahra prabhaav chhod gayee . Atyant bhavpurn, ati sunder!
ReplyDeleteजीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
ReplyDeleteइन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप ! !
sahi kaha aapne bhaiya aesa hi hota hai
जीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
झटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
ye kala yadi sikh len to jeevan khushhal ho jayega
rachana
अपनों ने हम पर किये , सदा पीठ पर वार ।
ReplyDeleteदोष भला देते किसे, हम थे ज़िम्मेदार । ।
जीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
इन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप ! ! जीवन के यथार्थ को कहते बहुत प्रभावी दोहे ...बहुत बहुत बधाई आपको इस सुन्दर सृजन के लिए !!
1..हँसकर कहा गुलाब ने , दु:ख ही सुख का मूल ।
ReplyDeleteमुस्कानों की की सीख है, चुभ-चुभ महकें फूल ॥
2..कूप अँटे , पनघट घटे , गई नीम की छाँव ।
पीपल जिसका पीर था, खोया अब वह गाँव । ।....बहुत सुन्दर!
सभी दोहे बहुत भावपूर्ण हैं!
DR. SARASWATI MATHUR
इसी पहचान में तो जीवन निकल जाता है।
ReplyDeleteजीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
ReplyDeleteझटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
Iski prsansha ke liye shabd nahi hai...
नदिया सूखी इस बरस, रूठ गई बरसात ।
रेत उड़ी नभ पर चढ़ी , बादल करें न बात ॥
jvab nahi bahut gahan abhivyakti..
जीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
इन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप ! !
riston ki khub kalai kholi hai aapne,bahut gambheer soch ki suchka hain...dheron hardik badhai...
बहुत अच्छे भावपूर्ण दोहे! जीवन की सार्थकता दर्शाते हुए...!
ReplyDelete~अपनों ने हम पर किये , सदा पीठ पर वार ।
दोष भला देते किसे, हम थे ज़िम्मेदार ~कितना कटु सत्य है ये..!
आपकी लेखनी को नमन भाई साहब!:-)
~सादर!!!
जीवन भर देते रहे , तन-मन को सन्ताप ।
ReplyDeleteइन्हें सगे कहते रहे , कितने भोले आप ! !
जीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
झटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
पहले की गई गलती के क्षमा और आप की लेखनी को नमन । सभी दोहे बहुत ही भावपूर्ण
जीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
ReplyDeleteझटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
वाह...पढ़कर मन खुश हो गया !!
सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं...सादर बधाई !!
गहन अर्थ लिए सभी दोहे जीवन के यथार्थ शब्द बद्ध करते हैं | बधाई एवं आभार |
ReplyDeleteजीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
ReplyDeleteझटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
बहुत आशा जगा रहा ये दोहा...सभी दोहे जीवन की सच्चाई दर्शा रहे...|
आभार और बधाई...|
प्रियंका
बहुत ही भावपूर्ण दोहे,आभार.
ReplyDeleteजीवन का पाठ...
ReplyDeleteजीवन इक तूफ़ान है ,दु:ख है उड़ती धूल ।
झटको चादर गर्द की , खिल जाएँगे फूल ॥
हँसकर कहा गुलाब ने , दु:ख ही सुख का मूल ।
मुस्कानों की सीख है, चुभ-चुभ महकें फूल ॥
जीवन-दर्शन और सन्देश देते हुए सभी दोहे बहुत उत्कृष्ट हैं. सभी दोहे जीवन के बहुत करीब, धन्यवाद. शुभकामनाएँ.