1-रचना श्रीवास्तव
फागुन की झोली से
उड़ने लगे रंग
मौसम के भाल पर
इन्द्रधनुष चमके
गलियों और चौबारों के
मुख भी दमके
चूड़ी कहे साजन से
मै भी चलूँ संग ।
पानी में घुलने लगे
टेसू के फूल
नटखट उड़ाते चलें
पाँवो से घूल
लोटे में घोल रहे
बाबा आज भंग ।
सज गई रसोई आज
पकवान चहके
हर घर मुस्काते चूल्हे
हौले से दहके
गोपी कहे कान्हा से
न करो मोहे तंग ।
उड़ने लगे रंग
मौसम के भाल पर
इन्द्रधनुष चमके
गलियों और चौबारों के
मुख भी दमके
चूड़ी कहे साजन से
मै भी चलूँ संग ।
पानी में घुलने लगे
टेसू के फूल
नटखट उड़ाते चलें
पाँवो से घूल
लोटे में घोल रहे
बाबा आज भंग ।
सज गई रसोई आज
पकवान चहके
हर घर मुस्काते चूल्हे
हौले से दहके
गोपी कहे कान्हा से
न करो मोहे तंग ।
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2-अनिता ललित
पूनम के चाँद पर.. आया निखार,
आया फाल्गुन आया.. आया होली का त्योहार !
नीले, पीले ,लाल, गुलाबी...रंगों की बौछार,
खुशबू टेसू के फूलों की...लाई संग बहार...!
दिल में उमंग उठी ... महकी बयार
अँखियाँ छलकाए देखो ...प्रीत-उपहार !
भूलो सभी बैर, मिटे गर्द-गुबार
भर पिचकारी मारो... नेह अपार !
फुलवारी रंगों की.. साथी फुहार
एक रंग रंगे ... आज हुए एकसार !
रंग-रंगोली हो या दीप-दीपावली...
दिल यही बोले...जब हों साथ हमजोली...
तुम हो तो....
हर रात दीवाली
हर दिन अपनी होली है....
-0-
आया फाल्गुन आया.. आया होली का त्योहार !
नीले, पीले ,लाल, गुलाबी...रंगों की बौछार,
खुशबू टेसू के फूलों की...लाई संग बहार...!
दिल में उमंग उठी ... महकी बयार
अँखियाँ छलकाए देखो ...प्रीत-उपहार !
भूलो सभी बैर, मिटे गर्द-गुबार
भर पिचकारी मारो... नेह अपार !
फुलवारी रंगों की.. साथी फुहार
एक रंग रंगे ... आज हुए एकसार !
रंग-रंगोली हो या दीप-दीपावली...
दिल यही बोले...जब हों साथ हमजोली...
तुम हो तो....
हर रात दीवाली
हर दिन अपनी होली है....
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अनुभूति में डॉ ज्योत्स्ना शर्मा के दोहे पढ़ने के लिए
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दोहे :-डॉ सरस्वती माथुर
1
रिश्तों में कुछ दूरियाँ, होली कम कर जाय
मिलते हैं नजदीक से, प्रेम पनपता जाय !
2
जग-आँगन में गूँजती, फागुन की पदचाप
कहीं फाग के गीत हैं, कहीं चंग पर थाप !
रिश्तों में कुछ दूरियाँ, होली कम कर जाय
मिलते हैं नजदीक से, प्रेम पनपता जाय !
2
जग-आँगन में गूँजती, फागुन की पदचाप
कहीं फाग के गीत हैं, कहीं चंग पर थाप !
3
फागुन गाए कान में, होली
वाले राग
साजन की पिचकारियाँ, बुझे न मन की आग !
साजन की पिचकारियाँ, बुझे न मन की आग !
4
राधा-कान्हा साथ में, मन में आस अनंत
नाच रहीं हैं गोपियाँ, झूमें फाग दिगंत !
5
साजन की बरजोरियाँ, प्रीत-प्रेम के रंग
भीग रही हैं गोरियाँ, नैना बान-अनंग !
राधा-कान्हा साथ में, मन में आस अनंत
नाच रहीं हैं गोपियाँ, झूमें फाग दिगंत !
5
साजन की बरजोरियाँ, प्रीत-प्रेम के रंग
भीग रही हैं गोरियाँ, नैना बान-अनंग !
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सुंदर रचना.... रचना जी !
ReplyDelete"आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!" :-)
~सादर!!!
sabhi rachnaye bahut sundar lagi ,jyotsana ji ka geet , saraswati ji ke dohe , anil ji .sabhi ko badhai
Deleteसभी दोहे...एक से बढ़कर एक! बहुत सुंदर...डॉ सरस्वती माथुर जी!
ReplyDelete"आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!" :-)
~सादर!!!
happy holi...आपको रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ...!
ReplyDeleteHoli ke ye rang bahut khile sabhi ko meri shubhkamnaye...
ReplyDeleteहोली के रंगों में भीगी सुन्दर रचनाएं।
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाएं।
holi ka ye sandesh sabhi ko jaye sunder kavita
ReplyDeleteहोली पर अनुपम रचनाएँ. सभी को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteरंग बिरंगी रचनाओं की होली..
ReplyDeletedohe aur geet dono anupam hai .
ReplyDeleteaap dono ko badhai .
rachana
होली की रंगीन बौछारों जैसी मन को भिगो जाने वाली रचनाओं के लिए बहुत बधाई...|
ReplyDeleteप्रियंका
bahut shubh kaamanaayen ...badhaaii ...holi ke bahut sumdar rang .....aur unme ek rang hamaaraa bhii milaane ke liye bahut bahut dhanyawaad aapakaa !!
ReplyDeletesaadar
jyotsna sharma
Holi ke rangon se sarabor, rang birangi man bhavan rachnayen.... bahut pyari lagin
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