त्रिलोक सिंह ठकुरेला
किस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
माली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।
कपट भरे हैं आदमी, विष से भरी बयार।
कितने मुश्किल हो गये, जीवन के दिन चार।।
खो बैठा है गॉंव भी, रिश्तों की पहचान ।
जिस दिन से महॅंगे हुए, गेहूँ, मकई, धान।।
खुशियाँ मिली न हाट में, खाली मिली दुकान।
हानि–लाभ के जोड़ में, उलझ रहे दिनमान।।
चौराहे पर आदमी, जायेगा किस ओर।
खडे हुए हैं हर तरफ, पथ में आदमखोर।।
जीवन के इस गणित का, किसे सुनायें हाल।
कहीं स्वर्ण के ढेर हैं, कहीं न मिलती दाल।।
सीख सुहानी आज तक, आई उन्हें न रास।
तार- तार होता रहा, बया तुम्हारा वास।।
घर रखवाली के लिए, जिसे रखा था पाल।
वही चल रहा आजकल, टेढ़ी -मेढ़ी चाल।।
द्वारे -द्वारे घूमकर, आखिर थके कबीर।
किसको समझाएँ यहॉं, मरा आँख का नीर।।
शेर सो रहे माँद में, बुझे हुए अंगार।
इस सुषुप्त माहौल में, कुछ तू ही कर यार।।
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किस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
ReplyDeleteमाली सोया बाग में, अपनी चादर तान।। bahut achchi prastuti.
बड़े ही रोचक दोहे, सामयिक व सटीक।
ReplyDeleteसुंदर दोहे ! बेहतरीन प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
मेरी नई रचना ख्वाबों में चले आओ
धन्यवाद......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, शानदार एवं रोचक दोहे! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
किस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
ReplyDeleteमाली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।
बहुत खूब...
त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी के ये दोहे बेमिसाल हैं… इतने सुन्दर दोहों को पढ़वाने के लिए आपका शुक्रिया।
ReplyDeleteत्रिलोक सिंह ठकुरेला जी के ये दोहे बेमिसाल हैं… इतने सुन्दर दोहों को पढ़वाने के लिए आपका शुक्रिया।
ReplyDeletebahut hi sundar,satik aur bhawpurn dohe....dhanyawaad.....
ReplyDeleteकिस से अपना दु:ख कहें, कलियॉं लहूलुहान।
ReplyDeleteमाली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।
bahut khub ! bemishaal...
सराहना के लिए सभी का आभारी हूँ. कृपया मेरे ब्लॉग
ReplyDeleteनया सवेरा (triloksinghthakurela.blogspot.com) पर भी आयें.
बहुत अच्छे दोहे
ReplyDeleteमाली सोया बाग में, अपनी चादर तान।।
ReplyDeleteबहुत सारगर्भित दोहे हैं सर....
सादर.
द्वारे -द्वारे घूमकर, आखिर थके कबीर।
ReplyDeleteकिसको समझाएँ यहॉं, मरा आँख का नीर।।
charch manch pr apki rachan padhane ka avsar prapt hua .. bahut sundr pravishti ... abhar.
बहुत सुंदर दोहे ,...अच्छी प्रस्तुती,
ReplyDeleteक्रिसमस की बहुत२ शुभकामनाए.....
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वातावरण प्रधान दोहे -बधाई .
ReplyDeleteजमीन से जुड़े बेहतरीन दोहे।
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