पथ के साथी

Wednesday, October 19, 2011

धरती मिली (चोका)


धरती मिली
गगन से जब भी
पुलक उठी
क्षितिज हरषाया .
बदली मिली
पहाड़ों के गले
बरस गई
सावन लहराया.
ओ मेरे मीत !
मिलना तेरा मेरा
मिले हैं जैसे
नदिया का किनारा
मन क्यों घबराया ?
-0- 
'कमला'

17 comments:

  1. पूरा चोका ही मर्मस्पर्शी है , लेकिन ये पंक्तियाँ तो लाज़वाब हैं और उत्तम काव्य का उदाहरण हैं-
    बदली मिली
    पहाडों के गले से
    बरस गई
    सावन लहराया.

    ओ मेरे मीत !
    मिलना तेरा -मेरा
    मिले हैं जैसे
    नदिया का किनारा .
    -मेरी हार्दिक बधाई , उत्कृष्ट साहिय -सर्जन के लिए कमला जी ।

    ReplyDelete
  2. बहुत भावपूर्ण, हृदयस्पर्शी और उत्कृष्ट चोका...मेरी बधाई|

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर चोका... धरती से गगन का मिलना, पहाड़ों से बदली का गले मिलना.. और सुख का बरस जाना अत्यन्त सुन्दर कल्पना... बहुत बहुत बधाई कमला जी !

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर ...कुदरत के जरिये से भावनापूर्ण मिलन को दर्शाना ...बधाई...

    ReplyDelete
  5. बदली मिली

    पहाडों के गले

    बरस गई

    सावन लहराया.
    bahut khub lage ye bhaav bahut achha manviykaran..

    ReplyDelete
  6. bahut sundar komal bhaavpurn abhivyakti. Kamla ji ko badhai.

    ReplyDelete
  7. कोमल एहसास के साथ बहुत ख़ूबसूरत चोका! शानदार प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  8. यह हर्षमिश्रित घबराना है।

    ReplyDelete
  9. bahut sunder prstuti...............badhai
    saadr,
    amita kaundal

    ReplyDelete
  10. Bahut bhaopoorna aur marm sparshi choka. Bahut badhai

    ReplyDelete
  11. ओ मेरे मीत

    मिलना तेरा मेरा

    मिले हैं जैसे

    नदिया का किनारा .
    हृदयस्पर्शी.

    ReplyDelete
  12. शब्दों की सुन्दर कारीगरी

    ReplyDelete
  13. प्रकृति के माध्यम से प्रेम की बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति है...सुन्दर...।
    मेरी बधाई...।

    प्रियंका

    ReplyDelete
  14. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ....


    कमला जी को बधाई |

    ReplyDelete
  15. prakriti ka chitran behad achha laga..
    Deepawali kee haardik shubhkamnayen!!

    ReplyDelete
  16. कमाल का चोका है कमला जी का

    उमेश मोहन धवन, 13/134, कानपुर

    ReplyDelete