1-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
रूपान्तर : रचना श्रीवास्तव
1
दैईके नेह
दिन रात पीर कै
फसल काटे
2
बुढाय गये
लुटाय दिन्ह सब
कछु न पाये
3
बेटवा रहे
करेजा के टुकरा
भुलाय गये
भुलाय गये
4
दै कै अमृत
सीचिस कुल रिस्ता
पईस विस
5
मईया याद
मन्दिर कै दियवा
जरे हमेसा
6
मन्दिर कै दियवा
जरे हमेसा
6
खेतवा हसें
दुरिया कै तलक
खुस सीवान
7
मस्ताने खेत
मस्ताने खेत
मुडिया कै डुलावें
पाक बालियाँ
8
काटे फसल
नाचत जवनवा
बाजत चंग
9
चन्दा रतियाँ
गावें खलिहनवा
सुने गनवा
10
ढोल कै थाप
भाँगड़वा कै जोस
बंहियाँ डोले
11
चुकाई काव
चुकाई काव
जौउन तू दिहऔ
हम लिहन
12
तोहार हँसी
भिगाय दे हमरा
मनवा -प्रान
13
भिगाय दे हमरा
मनवा -प्रान
13
गीली अँखियाँ
लौउटाये दे चैन
मीठ बतियाँ
14
लौउटाये दे चैन
मीठ बतियाँ
14
रिस्तों कै डोर
परेम मा लिपटी
उज्जर भोर
15
कल्हियां मिले
पहिचानल लागे
नीक विचार
16
16
तुहीं जोडैव
पवितर हृदय
कै, नीक रिश्ता
17
-0-
2- सुधा गुप्ता के हाइकु
2- सुधा गुप्ता के हाइकु
रूपान्तर : रचना श्रीवास्तव
1
पेड़वा बान्धे
फुलवा केरी डार
लागे बारात
2
फुलवा केरी डार
लागे बारात
2
अमवा पात
तपत लोहवा - सा
उकसावत
3
तपत लोहवा - सा
उकसावत
3
किसोरी डार
किसलय लपेट
सरम लाग
4
फुलवा टोपी
हरियाली कै कुर्ता
दुल्हा वसन्त
5
फुलवा भरी
अनरवा कै झारी
लज्जा निहुरी
6
मीठ कै बोली
नाचत बयार मा
बुलबुल कै
7
चेरी पेड़वा
गुलाबी फुलवा से
खूबय सजा
8
भभक गैय
हरियाली कै कुर्ता
दुल्हा वसन्त
5
फुलवा भरी
अनरवा कै झारी
लज्जा निहुरी
6
मीठ कै बोली
नाचत बयार मा
बुलबुल कै
7
चेरी पेड़वा
गुलाबी फुलवा से
खूबय सजा
8
भभक गैय
बुरूँश-फुनगी पै
चिनगारियाँ
9
चनार -पात
कहाँ पाईस आग
बतावा जरा
9
चनार -पात
कहाँ पाईस आग
बतावा जरा
10
दियवा लागे
घटिया मा खिलत
डैफ़ोडिल हैं
घटिया मा खिलत
डैफ़ोडिल हैं
11
बोगनबिला
के मरोरिस गार
कउन मिला
12
फूटी कोंपल
अंजीर कै पेडवा
कूका ‘बसन्ता’-
13
नाचत हवा
कउन मिला
12
फूटी कोंपल
अंजीर कै पेडवा
कूका ‘बसन्ता’-
13
नाचत हवा
बजावत डफली
प्रेमी महुआ
14
बसौउडा मा
बसौउडा मा
बौरान हवईया
मारत सीटी
15
फुलवा राखी
कलाई मा सजाये
खुस बसन्त
16
अमवा डारी
कलाई मा सजाये
खुस बसन्त
16
अमवा डारी
कोयलिया गावत
आग लगावे
-0-
बसौउडा=बाँसों के वन
-0-
3-डॉ हरदीप सन्धु
रूपान्तर : रचना श्रीवास्तव
1
तडपी हम
जैईसन मछरी
तोहरे बिना
2
मिलै बुंदिया
तोहरे पियर कै
अचरा भरी
3
तोहरे पियर कै
अचरा भरी
3
जिन्नगी भर
बनयो परछाई
दुःख -सुख मा
4
सपनवा मा
भी, गरवा लगाऊँ
अपनन का
5
भी, गरवा लगाऊँ
अपनन का
5
कँटवा बोये
उनहूँ माफ़ करा
गरवा लगा
6
गरवा लगा
6
पियार नाही
पनिया बुलबुला
फुटि जो जाये
7
हिलत नाही
जडिया पियार कै
तुफन्वा आवे
8
दरद भगा
8
दरद भगा
सीच दिहौ पिरेम
से, जीवनवा
9
9
दुःख -दरद
पिरेम दवईया
कष्ट मिटावे
10
मन मा आसा
पिघलन जो लागी
मोम जैसन
11
गलती भई
जीवन कै किनारा
बन ना पाईस
12
दिलवा टूटे
तो आपन इच्छा के
मरे न दिहौ
तो आपन इच्छा के
मरे न दिहौ
-0-
बहुत अच्छे लगे पढ़कर....बधाई...
ReplyDeleteहिन्दी हाइकु को अवधी में पढ़ना एक सुखद अहसास देता है। रचना श्रीवास्तव जी का रूपान्तर बहुत बढ़िया है और कहीं कहीं तो लगता है जैसे ये हाइकु मूल अवधी में ही लिखे गए हों। रचना जी को बधाई तथा रचनाकारों को भी !
ReplyDeleteबढ़िया!
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अवधी भाषा पहली बार पढ़ी ..अच्छा लगा !
ReplyDeleteयह भाषा कई बार टी. वी. पर किसी सीरियल में सुनी थी मगर पता नहीं था कि यह अवधी भाषा है !
कितना अच्छा लगता है किसी नई भाषा के बारे में जानकर !
रचना जी को तथा रामेश्वर जी को बहुत-बहुत बधाई !