पथ के साथी

Wednesday, November 1, 2023

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जय भारती

 डॉ. सुरंगमा यादव

 

देश वही जग का सरताज है,

हिमगिरि का पहने जो ताज है

            जय भारती, जय- जय भारती

             मिलकर उतारेंगे  आरती

              जय भारती,जय- जय भारती

 वेदों के गूँजें यहाँ मंत्र हैं

 रामायण- गीता- से ग्रंथ हैं

 ऋषियों ने दिये गूढ़मंत्र हैं

 यहीं हैं अपाला और गार्गी

                जय भारती, जय- जय भारती            

बंसी बजाई यहाँ श्याम ने

मर्यादा सिखलाई राम ने

 पावन किया चारों धाम ने

 प्रयाग-धार भव से उतारती

                 जय भारती, जय-जय भारती

 चरणों को सागर पखारता

 दिग्दिगंत ओम ही उचारता

 स्वर्ग से है इसकी समानता

 ऋतुएँ भी रूप आ निखारतीं

                 जय भारती, जय-जय भारती

 नदियों का माँ जैसा मान है

 अतिथि यहाँ देवता समान है

 वीरों ने वार दिये प्राण हैं

 जब-जब वसुंधरा पुकारती

                  जय भारती, जय- जय भारती।

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10 comments:

  1. बहुत सुन्दर गीत, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. ख़ूबसूरत गीत...हार्दिक बधाई।

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  3. बहुत सुंदर गीत है । सुरंगमा जी हार्दिक बधाई स्वीकारें। सविता अग्रवाल “सवि”

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  4. बहुत सुंदर मनमोहक गीत। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  5. बहुत सुन्दर रचना. हार्दिक बधाई सुरंगमा जी.

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  6. बहुत सुंदर गीत।
    हार्दिक बधाई आदरणीया 💐🌹

    सादर

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  7. सुंदर गीत के लिए हार्दिक बधाई सुरँगमा जी!

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  8. आदरणीय भैया का एवं आप सभी का हृदयतल से आभार।

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  9. बहुत सुंदर

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  10. बहुत सुंदर गीत!

    ~सादर
    अनिता ललित

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