कबीर की पोथी के साथ ही अनुभव में आई कड़वी सच्चाई को भी सहज शब्दों में व्यक्त करता उत्कृष्ट लेखन भैया जी.. सादर वंदन 🙏🏻🙏🏻
कितनी सच बात कही आपने। सरल सहज रूप में तंज करता बेहतरीन आलेख। सुदर्शन रत्नाकर
क्या कहूँ सर... आप तो कथा शिल्पी हैं... और आपकी अभिव्यक्ति वास्तव स्थिति को परिभाषित करती है.... यह सदैव सत्य है कि पुस्तकें आज के समय में एक सजावट की वस्तु है...... एवं पढ़ना एक अनिच्छापूर्ण कार्य.... 🙏🌹 अनंत शुभकामनाएँ सर 🙏🌹
कबीर की पोथी के साथ ही अनुभव में आई कड़वी सच्चाई को भी सहज शब्दों में व्यक्त करता उत्कृष्ट लेखन भैया जी.. सादर वंदन 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteकितनी सच बात कही आपने। सरल सहज रूप में तंज करता बेहतरीन आलेख। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteक्या कहूँ सर... आप तो कथा शिल्पी हैं... और आपकी अभिव्यक्ति वास्तव स्थिति को परिभाषित करती है.... यह सदैव सत्य है कि पुस्तकें आज के समय में एक सजावट की वस्तु है...... एवं पढ़ना एक अनिच्छापूर्ण कार्य.... 🙏🌹 अनंत शुभकामनाएँ सर 🙏🌹
ReplyDelete