रश्मि विभा त्रिपाठी
तुम बोलो सुनती रहूँ, मधुरिम ये आवाज।
तुमसे ही तो है सधा, साँसों का यह साज।।
2
तकिया तेरी बाँह का, थपकी देते हाथ।
मेरे सुख की नींद का, कारण तेरा साथ।।
3
मेरे दुख से हो दुखी, ढूँढा तुरत निदान।
पाया तेरे रूप में, ज्यों मैंने भगवान।।
4
उल्टा पड़ता आज तो, लू का हर इक दाँव।
तेरा प्यार मुझे हुआ, वट की प्यारी छाँव।।
5
धन- दौलत, पद, नाम की, कैसी है दरकार।
मुझको बरकत दे रहा, तेरा पावन प्यार।।
6
घोर अँधेरे में धरे, रोज दुआ के दीप।
प्रेम तुम्हारा चाँद- सा, चमका सदा समीप।।
7
इसीलिए तो कट गए, बाधाओं के जाल।
तुमने छोड़ा ही नहीं, मेरा कभी खयाल।।
8
कैसे मिलता है तुम्हें, मेरे मन का हाल।
दूरी अपने बीच की, धरती से पाताल।।
9
सरगम मेरी साँस की, छेड़ सुनाते राग।
तुमने मन का कर दिया, हरा- भरा यह बाग।।
10
करते हो नित नेम से, मेरी खातिर जाप।
मीत मुझे लगता नहीं, तभी समय का शाप।।
11
चुभ सकता है क्या भला, मुझको कोई शूल।
मीत तुम्हारा प्यार ये, है पूजा का फूल।।
प्रेम के माधुर्य से परिपूर्ण सुंदर दोहों के लिए रश्मि विभा जो को बधाई।
ReplyDeleteसुंदर, मधुर से दोहे। बधाई
ReplyDeleteमेरे दोहे प्रकाशित करने हेतु आदरणीय सम्पादक जी का हार्दिक आभार।
ReplyDeleteआदरणीय शिव जी श्रीवास्तव जी की टिप्पणी की हृदय से आभारी हूँ।
सादर
वाह, एक ही भाव को विविध दोहो में इतनी खूबसूरती से रचा जा सकता है, अदभुत, ये कमाल रश्मि विभा त्रिपाठी ही कर सकती है, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआदरणीया अनिता मण्डा का हार्दिक आभार।
ReplyDeleteआदरणीय भीकम सिंह जी, आपकी टिप्पणी आत्मबल प्रदायिनी है।
सादर
बहुत ख़ूबसूरत दोहे...हार्दिक बधाई रश्मि जी।
ReplyDeleteबढ़िया और सुंदर दोहे 👌
ReplyDeleteबधाई रश्मि जी 💐💐💐💐
रश्मि जी को प्रेम और ममता की छाँव में रचे बेस दोहों के लिए बधाई। सविता अग्रवाल”सवि”
ReplyDeleteप्रेम से परिपूर्ण बहुत सुंदर दोहे। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteप्रीत - रस से परिपूर्ण , मिठास भरे दोहे । हार्दिक बधाई रश्मि विभा आपको ।
ReplyDeleteसुंदर दोहे
ReplyDeleteप्रेम एवं स्नेह से लबाबब अतिसुन्दर दोहे प्रिय रश्मि जी! बहुत सुंदर!
ReplyDelete~सस्नेह
अनिता ललित
बेहतरीन दोहे के लिए रश्मि को बहुत बधाई
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