कुछ छोटी कविताएँ/ हरभगवान चावला
1.
औरतों ने जादू के ज़ोर से
शैतान को इन्सान बनाना चाहा
कामयाब नहीं हुईं तो
जादू से ख़ुद को पत्थर कर लिया
पत्थर से इन्सान होने का जादू
उन्हें नहीं आता था।
2.
मैं बनी बनाई दुनिया में
कुछ लोगों के साथ रह रहा था
मैंने कल्पना में एक और दुनिया बसाई
उस दुनिया में सिर्फ़ वही लोग रहते हैं
मैं जिनके साथ रहना चाहता आया था।
3.
गौरैया के पास तिनकों के अलावा
कोई सम्पत्ति नहीं होती
उसे इससे अधिक चाहिए भी नहीं।
4.
मर चुके रीति रिवाज़ों के शव सड़ांध मार रहे थे
और हम उन्हें कन्धों पर ढोए जा रहे थे
ये शव हमारी आत्मा पर काबिज़ हुए
और हम इन्सानों से प्रेत हो गए।
5.
माँ अचानक नींद से जागती है
और चिल्लाती है - भागो, हमला आया
बदहवास सी वह सबको ग़ौर से देखती है
फिर कहती है -सो जाओ, सब ठीक है
विस्थापित माँ का हर सपना
दरअसल विस्थापन से शुरू होता है।
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अद्भुत
ReplyDeleteबेहतरीन, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविताएँ।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबेहतरीन कविताएँ, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteवाह ! एक से बढ़कर सुन्दर रचनाएँ
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीय
अति सुन्दर कविताएँ। हार्दिक बधाई हरभगवान जी।
ReplyDeleteजुदा सा अंदाज़ लिए बेहतरीन कविताएँ। बधाई, शुभकामनाएं आदरणीय चावला जी।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर कविताएँ... हार्दिक बधाई चावला जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteदिल को छू गई ये रचनाएँ...हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविताएँ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएं।
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