डॉ.जेन्नी शबनम की क्षणिकाएँ
1.चाँद का दाग़
ऐ चाँद! तेरे माथे पर जो दाग़ है
क्या
मैंने तुम्हें मारा था?
अम्मा
कहती है -मैं बहुत शैतान थी
और
कुछ भी कर सकती थी।
2- शगुन
हवा हर सुबह चुप्पी ओढ़
अँजुरी में अमृत भर
सूर्य को अर्पित करती है
पर सूरज है कि जलने के सिवा
कोई शगुन नहीं देता।
3- उजाला पी लूँ
चाहती हूँ दिन के उजाले की कुछ किरणें
मुट्ठी
में बंद कर लूँ
जब घनी काली रातें लिपटकर डराती हों मुझे
मुट्ठी खोल, थोड़ा उजाला पी लूँ
थोड़ी-सी, ज़िन्दगी जी लूँ।
4-शुभ-शुभ
हज़ारों
उपाय, मन्नतें, टोटके
अपनों
ने किए ताकि अशुभ हो,
मगर
ग़ैरों की बलाएँ, परायों की शुभकामनाएँ
निःसंदेह कहीं तो जाकर लगती हैं
वर्ना जीवन में शुभ-शुभ कहाँ से होता।
5-स्त्री की डायरी
स्त्री की डायरी उसका सच नहीं बाँचती
स्त्री की डायरी में उसका सच
अलिखित छपा होता है
इसे वही पढ़ सकता है, जिसे वो चाहेगी,
भले ही दुनिया अपने मनमाफ़िक़
उसकी डायरी में हर्फ़ अंकित कर ले।
6- सुख-दुःख जुटाया है
तिनका-तिनका
जोड़कर सुख-दुःख जुटाया है
सुख
कभी-कभी झाँककर
अपने
होने का एहसास कराता है
दुःख
सोचता है कभी तो मैं भूलूँ उसे
ज़रा
देर वो आराम करे
मेरे मायके की टिन की पेटी में।
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बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ ,हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर क्षणिकाएँ।
ReplyDeleteअम्मा कहती है मैं बहुत शैतान थी और कुछ भी कर सकती थी।
मन को छू गई यह क्षणिका।
हार्दिक बधाई आदरणीया।
सादर
वाह,अलग अलग भाव की सुंदर क्षणिकाएँ,हर क्षणिका अपने मे विशिष्ट है ,चाँद का दाग और स्त्री की डायरी में को गहरे तक छू गईं।बधाई डॉ.जेन्नी शबनम जी।
ReplyDeleteबेहद सुंदर क्षणिकाएँ जेन्नी जी विशेषतः उजाला पी लून, शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत सुंदर लेखन, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर.... हार्दिक बधाई 🌹🙏
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत
ReplyDeleteमेरी क्षणिकाओं को आप सभी का प्रेम मिला, हृदय से आभारी हूँ. मुझे यहाँ स्थान देने के लिए काम्बोज भाई की कृतज्ञ हूँ. आप सभी का स्नेह यूँ ही मिलता रहे, इसी उम्मीद के साथ आप सभी को प्रणाम.
ReplyDeleteजेन्नी जी की सभी क्षणिकाएँ एक से बढ़कर एक हैं | मन प्रसन्न हो गया पढ़कर | हार्दिक बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteबहुत सुंदर, विविध भावों से परिपूर्ण रचनाएं, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएँ...हार्दिक बधाई जेन्नी शबनम जी।
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ बहुत पसंद आई, पर इस वाली ने तो जैसे मन मोह लिया-
ReplyDeleteऐ चाँद! तेरे माथे पर जो दाग़ है
क्या मैंने तुम्हें मारा था?
अम्मा कहती है -मैं बहुत शैतान थी
और कुछ भी कर सकती थी।
हार्दिक बधाई