रेनू सिंह
1-शंकर
छंद
[विधान-26
मात्रा,16,10 पर यति,अंत
21]
आदि अंत न कोई तिहारो,
कूट करौ निवास।
तुम्ही शक्ति हौ तुम्ही भक्ति हौ
जग की तुम्ही आस।।
कूट करौ निवास।
तुम्ही शक्ति हौ तुम्ही भक्ति हौ
जग की तुम्ही आस।।
जटा में गंगा विराज रही,
गले सर्पन माल।
हाथ त्रिशूल औ डमरू है,
चंदा सजौ भाल।।
गले सर्पन माल।
हाथ त्रिशूल औ डमरू है,
चंदा सजौ भाल।।
बाघाम्बर है वस्त्र तिहारौ,
नीलौ चढौ रंग।
भाँग धतूरौ तुमकूँ प्रिय है,
पार्वती कौ संग।।
नीलौ चढौ रंग।
भाँग धतूरौ तुमकूँ प्रिय है,
पार्वती कौ संग।।
थोड़े में तुम खुश होवत हो,
क्रोध बरसत आग।
पूरण बिगड़े काज सबन के,
गावत प्रेम राग।।
क्रोध बरसत आग।
पूरण बिगड़े काज सबन के,
गावत प्रेम राग।।
-0-
2-सुभंगी
छंद
[8,8,8,6 मात्राओं पर यति,पहली दूसरी यति और अंत तुकांत,चार चरण संतुकांत]
कान्हा मेरौ, चाकर तेरौ,
आस तिहारी, वर देऔ।
यशोदा लाल,मुझको सँभाल,
डूबे नैया,तुम खेऔ।।
एहि पुकारे,भाग सँवारे,
तोहि शरण अब,हौं लेऔ।
मिले जो कष्ट,करौ अब नष्ट,
अबगुण क्षमा,सब मेऔ।
आस तिहारी, वर देऔ।
यशोदा लाल,मुझको सँभाल,
डूबे नैया,तुम खेऔ।।
एहि पुकारे,भाग सँवारे,
तोहि शरण अब,हौं लेऔ।
मिले जो कष्ट,करौ अब नष्ट,
अबगुण क्षमा,सब मेऔ।
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3-सिंहनाद
छंद
[112 121 112 2]
दिन रैन हौ सुमिर तेरौ।
हिय श्याम दास यह मेरौ।।
मद मोद मान पद लेऔ।
यह दास आज वर देऔ।।
हिय श्याम दास यह मेरौ।।
मद मोद मान पद लेऔ।
यह दास आज वर देऔ।।
-0-
4-विमला छंद
[112 222 111 1 2]
मइया तेरौ लाल सबन कौं।
करि दाया तारै सुख दुख सौं।।
मन तै जाकी जौ शरण गयौ।
भव कूँ भूले वौ मगन भयौ।।
करि दाया तारै सुख दुख सौं।।
मन तै जाकी जौ शरण गयौ।
भव कूँ भूले वौ मगन भयौ।।
-0-
5-स्वागता
छंद
[212 111 211 22]
राम नाम जग कौ नित तारै।
जो जपे सबन कै दुख टारै।।
भूल कष्ट तुमसे जब रोवै।
काज भंग सब पूरण होवै।।
जो जपे सबन कै दुख टारै।।
भूल कष्ट तुमसे जब रोवै।
काज भंग सब पूरण होवै।।
-0-
6-सिंहनाद
छंद
[112 121 112 2]
बड़ भाग जौ दरस दीन्हीं।
किरपा सदा बहुरि कीन्हीं।।
हरलो प्रभू दुख हमारौ।
तुम आन भक्तन उबारौ।।
किरपा सदा बहुरि कीन्हीं।।
हरलो प्रभू दुख हमारौ।
तुम आन भक्तन उबारौ।।
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7-संयुत
छंद
[112 121 121 2]
अब ध्यान देकर के सुनौ।
मन प्रेम गीत सदा गुनौ।।
करि दृष्टि पूरण आस कौं।
किरपा करौ प्रभु दास हौं।।
मन प्रेम गीत सदा गुनौ।।
करि दृष्टि पूरण आस कौं।
किरपा करौ प्रभु दास हौं।।
-0-
8-मत्तगयन्द
छंद*
[211 211 211 211 211
211 211,22/12,11 पर यति]
खेल रहे ब्रज में अबकी हम,
नाच रहे सगरे अरु गावैं।
नैनन सूँ तकरार करें बड़,
रंग अबीर गुलाल उड़ावैं।।
तौं हँस आज भयौ सब आणद,
भांग चढै जिन वें मुसकावैं।
केशव मोह लियो सबको हिय,
हौं हरषे मन जौ सुख पावैं।।
नाच रहे सगरे अरु गावैं।
नैनन सूँ तकरार करें बड़,
रंग अबीर गुलाल उड़ावैं।।
तौं हँस आज भयौ सब आणद,
भांग चढै जिन वें मुसकावैं।
केशव मोह लियो सबको हिय,
हौं हरषे मन जौ सुख पावैं।।
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9-चौपाई
प्यार बहिन भाई में ऐसा।
धूप छाँव के संगम जैसा।।
धूप छाँव के संगम जैसा।।
संग संग में सुख दुख बाँटे।
चुने परस्पर मग के काँटे।।
चुने परस्पर मग के काँटे।।
नेह रहे आपस में सच्चा।
रिश्ता कब होता ये कच्चा।।
रिश्ता कब होता ये कच्चा।।
मन की सारी बातें जानें।
लड़ना भिड़ना हक वो मानें।।
लड़ना भिड़ना हक वो मानें।।
बचपन के सब खेल खिलौने।
हरदम होते साथ बिछौने।।
हरदम होते साथ बिछौने।।
एक साथ रहना कम होता।
अपनापन कभी नहीं खोता।।
अपनापन कभी नहीं खोता।।
भाई के माथे की रोली।
होती विदा बैठती डोली।।
होती विदा बैठती डोली।।
कष्ट पड़े वो उनसे हारे।
मिल रहते जीवनभर सारे।।
मिल रहते जीवनभर सारे।।
-0-
रेनू जी को बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteभक्तिरस में पगे सरस मधुर पद !!
छंद के सफल निर्वाह के साथ बेहद उम्दा अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचनाएँ रेनू जी! बधाई आपको।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16-04-2017) को
ReplyDelete"खोखली जड़ों के पेड़ जिंदा नहीं रहते" (चर्चा अंक-2619)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर रचनाएँ । बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ ..हार्दिक बधाई 💐💐
ReplyDeleteभक्ति रस छलकाती बहुत सुन्दर रचनाएँ रेनू जी...हार्दिक बधाई🌹🌺🌹
ReplyDeleteRenu Ji ,
ReplyDeleteYour Chhand are really very interesting and heart touching. I think You are very close to Meera Bai. They have the same echo. Good luck. Shiam Tripathi Hindi Chetna
sundar rachnaaye
ReplyDeleteBehtreen prastuti, shastriy chhndon ko bachaye rakhne aur banaye rakhne ke kshetr me sakaratmak pryaas. Sadhuvaad Renu Singh ji.
ReplyDeleteवाह रेनू जी भक्ति रस में सने हुए छंद और भाई बहन के प्यार में रची चौपाई अत्यंत मनभावन हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteबहुत मनोहारी हैं ये सभी छंद...| इतनी प्यारी रचनाओं के लिए बहुत बधाई...|
ReplyDeleteअनुपम सृजन उकृष्ठ सभी रचनाएं....👌👌👌👌
ReplyDeleteबधाई रेनू जी
रेनू जी बहुत सुंदर मनभावन छंद ..हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएँ रेनू जी बधाई
ReplyDeleteआज के कम्प्युटर युग में भक्ति रस के छींटे .....और इतने विभिन्न छंदों का उपयोग ... बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति |रेनू जी आपको बहुत-बहुत बधाई |
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन रेनू जी हार्दिक बधाई।
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