1-सूना आशियाना
-अनिता ललित
किस क़दर सूना हो जाता होगा
उस चिड़िया का आशियाना …
उड़ जाते होंगे जब
उसके नन्हें-नन्हें बच्चे ,
अपने छोटे-छोटे पंख पसारकर ,
किसी नई दुनिया की ओर,
अपनी नई पहचान बनाने।
शायद तभी …
बुनती है वह, एक बार फिर,
एक नया नीड़ !
और नहीं लौटती
उस घर में अपने …
कि गूँजती रहती हैं उसमें,
यादों की मासूम किलकारियाँ …
रीता हो जाने के बाद … और भी ज़्यादा …
बेपनाह, बेहिसाब …
दिल को चीरती हुई।
और चलता रहता है ...
यही क्रम सिलसिलेवार।
बनना, बिगड़ना, टूटना, फिर बनना …
कि थकती नहीं वह !
टूटती नहीं वह !
सहते-सहते यह दर्द !
काश! सीख पाते हम इंसाँ भी !
इस दर्द के इक क़तरे को भी,
दिल में उतारने का हुनर ।
सहते-सहते पीने,...
पीते-पीते गुनगुनाने का फ़न !
-0-
2-हार मानो न तुम
गूढ़ रहस्य हमें यह पढ़ाने लगी
बात कोई पते की बताने लगी
गलतियों से सभी लोग लो सीख अब
हर कदम पर हमें यह सिखाने लगी
आसमाँ में पंखों को लगा कर उड़े
रोज सपने नये ही दिखाने लगी
प्यार का पाठ सबको पढ़ा रोज ही
हर सुबह शाम हमकों रिझाने लगी
हार मानो न तुम आज समझा रही
वो बना आज बच्चा हँसाने लगी
-0-
अनिता जी सूना आशियाना बेहद खूबसूरत रचना है ।मधु जी आपकी भी रचना हार न मानने का सन्देश देती सुन्दर रचना है आप दोनों को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteप्रेरक कविता मधु जी !
ReplyDeleteबहुत बधाई आपको!
मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार!!!
आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार सविता जी !!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुन्दर और असल ज़िन्दगी से जुडी कविता अनिता ललित जी।
ReplyDeleteप्रेरणा देती कविता डा.मधु त्रिवेदी जी।
आप दोनों को बधाई।
sunder kavitaen.Anita va Madhu ji ko badhai.
ReplyDeletepushpa mehra
जीवन से जुड़ी बहुत सुन्दर कविता अनिता जी, प्रोत्साहित करती सुन्दर रचना मधु जी आप दोनों को बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteबढ़िया कविताएँ
ReplyDeleteअनीता जी...आपकी कविता तो बिलकुल दिल चीर गई...| बहुत सुन्दर रचना, हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteमधु जी...आशावादी सुन्दर रचना के लिए बहुत बधाई...|
बहुत भाव भरी कविता अनिता जी ...दिल को छू गई !हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteसुन्दर ,प्रेरक रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई मधु जी !!
सुन्दर ,प्रेरक कविताएँ !!
ReplyDeleteअनिता जी , मधु जी ...हार्दिक बधाई !!