वक्त का पहिया
कमला घटाऔरा
जीवन की व्यस्तता ने
इतने भी पल न दिए
पूछो हाल उनका
छोड़ आए जिन्हें पीछे
परदेस आकर
बढ़ने को आगे
जमाने के साथ
वक्त इतना निर्मम नहीं
देता है हर क्षण
सब को उसके हिस्से का
तक़सीम करके
क्यों समझने लगे
खुद को कुछ ख़ास तुम
वक्त ठहर जाएगा
तुम्हारे लिए कुछ देर
को
एक और मौका देने को
की पा लो प्यार उनका,
तुम्हारी ख़ुशी के वास्ते
जिन्होंने चुन लिया वीराना
उगाकर जो सूर्य तेरे घर
का
चले गए उस पार
न आने के लिए।
बैठे रहे थे जो राह में
मिलने की चाह लिये
बाँटने को खुशियाँ
तुम्हारीं
पलक पाँवड़े बिछाए
अब याद आई उनकी ?
किसे करके फोन
पूछते हो हाल
अपनों का, बेगानों का
जिन के घर आँगन
चहकते घूमते थे
तुतलाते बतियाते
सवालों की झड़ी लगाते
सब छोड़कर चले गए
वो दिल से चाहने वाले
निःस्वार्थ प्यार
लुटाने वाले
वो वुज़ुर्ग अपने
अपनों से बढ़कर बेगाने
विदा हो गए
एक एक करके
फिर न लौटने के लिए
चेतना था वक्त से पहले
अब बैठो मलो हाथ
वक्त का पहिया
उल्टा नहीं घूमता।
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मन को उद्वेलित करती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ..
सादर नमन के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
निःशब्द करती रचना ! मन को कहीं बहुत गहरे छू गयी !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई आदरणीया कमला जी !
सादर नमन
अनिता ललित
वास्तव में आकांक्षाओं के सूरज की तेज रोशनी की चकाचौंध में हमारे मन की आँखें चुँधिया जाती हैं , ऐसी स्थिति में पीछे छूटे सभी अहम से अहम रिश्ते दूर होते जाते हैं , दूरियाँ मिट नहीं पातीं कि जीवन की साँझ ही ढल जाती है | कमला जी आपकी कविता
पीढ़ियों की सच्चाई बता रही है |
पुष्पामेहरा
सुंदर भावपूर्ण कविता।
ReplyDeleteचेतना था वक्त से पहले
ReplyDeleteअब बैठो मलो हाथ
वक्त का पहिया
उल्टा नहीं घूमता।
कितनी सच्ची बात है...| वक्त चला जाता और साथ ही चले जाते हैं वो अपने, जिन्हें ज़िंदगी की आपाधापी में हम जाने कितने पीछे छोड़-बिसरा आते हैं...| मर्मस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई...|
कमला जी आप की लेखनी इसी प्रकार हम सबको सन्मार्ग की ओर सदा प्रेरित करती रहे, इसी कामना के साथ आपको नमन |
ReplyDeleteBahut bhavpurn rachna...bahut bahut badhai..
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण और गहन!
ReplyDeleteआदरणीया कमला जी, नमन!
चेतना था वक्त से पहले
ReplyDeleteअब बैठो मलो हाथ
वक्त का पहिया
उल्टा नहीं घूमता।
मन को कहीं बहुत गहरे छू गयी !आदरणीया कमला जी !हार्दिक बधाई ..
सादर नमन !
मन में उतर गई आप की कविता कमला जी । हारदिक बधाई।
ReplyDeleteआप सब स्नेही जनों का हृदय से आभार जिन्होने प्रोत्साहन भरी टिप्पनी से मुझे प्रेरित किया ।आगे बढ़ने का उत्साह जगाया ।सम्पादक द्वय को भी धन्यवाद जिन्होंने मेरे छोटे से प्रयास को अपनी नेट पत्रिका में स्थान दिया । पुन: हृदय से आभार ।
ReplyDeleteकमला।
अब बैठो मलो हाथ
ReplyDeleteवक्त का पहिया
उल्टा नहीं घूमता।वाह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह जीवन सार को बखूबी निचोड़ दिया आपने आदरणीया ,हार्दिक बधाई |
क्या बात है !बेहद उम्दा
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