रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
पथ में साथी घोर अँधेरा ,बैरी चारों ओर ।
मत घबराना , बढ़ते जाना ,दूर नहीं है भोर ।
हम हारे वे लोग हँसेगे, जो हैं पथ के शूल ।
वे तो चाहते चूर-चूर
हो , हम बन जाएँ धूल ।
2
अभी तो धूप है गहरी,कभी
तो छाँव आएगी ।
गुलाबों की
कभी खुशबू,हमारे गाँव आएगी ।
गगन में आँधियाँ छाईं,समन्दर
बौखलाया है ।
न छोड़ो आस का दामन,किनारे
नाव आएगी।।
3
सभी दिन कर दिए स्वर्णिम,
रातों को किया चंदन ।
हज़ारों ताप सह करके , शीतल कर दिया जीवन ।
तुम्हें तो दे नहीं पाए, हम मुस्कान दो पल की ।
फिर भी दे दिया तुमने,हमें खुशबू -भरा उपवन ।
-0-
यह मुक्तक बहुत ही सुंदर हैं भैया ....आपका आभार ॥बधाई व शुभकामनायें !
ReplyDeleteडॉ सरस्वती माथुर ..
Vaah bahut khubsirat aur prernadayak
ReplyDeleteवाह! वाह! तीनों मुक्तक बहुत ही प्यारे व भावपूर्ण... भैया जी!
ReplyDeleteइस सुंदर अभिव्यक्ति के लिए हृदय से आपको बधाई !
दो पंक्तियाँ हमारी तरफ़ से-
~नहीं है रुकना , नहीं है थमना, नहीं हमें है डरना,
रोकेगी क्या धूल धरा की, हमें है ऊँचा उड़ना।~
~सादर
अनिता ललित
सकारात्मक सोच लिए तीनों मुक्तक बहुत सारगर्भित हैं !
ReplyDeleteपथ में साथी घोर अँधेरा ,बैरी चारों ओर ।
मत घबराना , बढ़ते जाना ,दूर नहीं है भोर ।
हम हारे वे लोग हँसेगे, जो हैं पथ के शूल ।
वे तो चाहते चूर-चूर हो , हम बन जाएँ धूल ।....बहुत ही सुन्दर सन्देश !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
तीनों मुक्तक ऊर्जा से परिपूर्ण हैं जो सार्थक सन्देश और प्रेरणा दे रहे हैं. जीवन को सकारत्मक दृष्टिकोण से देखने के अत्यंत आवश्यकता है, अन्यथा जीवन व्यर्थ हो जाएगा. बहुत सही कहा...
ReplyDeleteहम हारे वे लोग हँसेगे, जो हैं पथ के शूल ।
वे तो चाहते चूर-चूर हो , हम बन जाएँ धूल ।
सन्देश जो हमारे जीवन में शक्ति भर दे... सार्थक रचना के लिए बधाई. आभार!
सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (28-02-2015) को "फाग वेदना..." (चर्चा अंक-1903) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
sabhi muktak prenanadayak hain.bhai ji apako badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
बहुत सुन्दर पैगा़म देते अर्थपूर्ण मुक्तक....हार्दिक बधाई भाईसाहब!
ReplyDeleteभावपूर्ण मुक्तक … बहुत अच्छे संदेश के साथ !
ReplyDeleteजीवन को देखने का नया दृष्टिकोण।
खुशबू भरा उपवन देने वाला अपने आपको धन्य मानता होगा जिसे यह अर्पित करने का सौभाग्य तो मिला क्योंकि जिसे ये अर्पित हो रहा है वह सब कुछ नौछावर करके भी बोल रहा है कि उसने कुछ नहीं दिया।
बधाई तथा शुभकामनाएँ !
हरदीप
वाह! तीनों मुक्तक बहुत ही बढ़िया ..सादर नमस्ते
ReplyDeleteAwesome! Full of positive energy!!
ReplyDeletesakaaraatmak सोच और आशावादिता से लबरेज़ मुक्तक , काम्बोज जी आपको बधाई. सुरेन्द्र वर्मा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक मुक्तक...
ReplyDeletebahut sundar muktak hain..badhai aapko
ReplyDelete"हजारों ताप सह करके, शीतल कर दिया जीवन " - सभी मुक्तक उत्कृष्ट!!! बधाई!!! - कुंँवर दिनेश
ReplyDeleteअभी तो धूप है गहरी,कभी तो छाँव आएगी ।
ReplyDeleteगुलाबों की कभी खुशबू,हमारे गाँव आएगी ।
गगन में आँधियाँ छाईं,समन्दर बौखलाया है ।
न छोड़ो आस का दामन,किनारे नाव आएगी। ati sundar! ashavadita se bharee, prerak rachna ,bhaisahab .... badhai !!!
सकारात्मक ऊर्जा से भरे बहुत प्रेरक मुक्तक है...| हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteइस प्रोत्साहन के लिए मैं आप सबका मैं चिर ॠणी रहूँगा ।
ReplyDelete-रामेश्वर काम्बोज
jitni tareef karun kam hai..mere paas shabd nahi hai dil se badhai...
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