रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
रात और दिन
काम ही काम
आराम न भाया है;
किसी मशीन के
पुर्ज़े-जैसा
ये जीवन पाया है ।
कब जिए
अपने लिए हम
याद नहीं पड़ता है ;
हर पल मेरी
यादों में अब
काँटे-सा गड़ता है ।
इन काँटों को
सेज बनाकर
मन को बहलाया
है ।
जिधर गए
आरोप बहुत –से
स्वागत करने
आए;
खाली आँचल
देख हमारा
भरने को
अकुलाए ।
आँचल भरने पर
दिल- दरिया ये
भर-भर आया है ।
खाली हाथ
चले थे घर से
आज भी
खाली हाथ ;
शाम हो गई
चले गए सब
छोड़-छोड़ कर साथ;
दिन-रात जिया है
रिश्तों को
फिर धोखा खाया
है ।
-0-
यही जीवन का यथार्थ है जो आपने सहज और सरल शब्दों में
ReplyDeleteदर्शाया है। सुन्दर गीत ।
जीवन के कटु सत्य का मार्मिक गीत....बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteखाली हाथ
ReplyDeleteचले थे घर से
आज भी
खाली हाथ ;
शाम हो गई
चले गए सब
छोड़-छोड़ कर साथ; kadva sach, sahi kaha aapne is matlbi duniya men rishon ki yahi halat hai bhavpurn rachna ke liye meri hardik badhai...
जीवन का सच...
ReplyDeleteदिन-रात जिया है
रिश्तों को
फिर धोखा खाया है ।
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई !!
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई !
ReplyDeleteसुन्दर नवगीत के लिए बधाई !
ReplyDeleteखाली हाथ
ReplyDeleteचले थे घर से
आज भी
खाली हाथ ;
शाम हो गई
चले गए सब
छोड़-छोड़ कर साथ;
jeevan ki kadvi sachchaie ko darshata eak sundar geet ....badhai bhaiya ji .
शाम हो गई
ReplyDeleteचले गए सब
छोड़-छोड़ कर साथ;
दिन-रात जिया है
रिश्तों को
फिर धोखा खाया है...
bahut hi sundar likha hai, sir!
कब जिए
ReplyDeleteअपने लिए हम
याद नहीं पड़ता है
हर पल मेरी
यादों में अब
कांटे सा गढ़ता है
इन काँटों को
सेज बना कर
मन को बहलाया है
बहुत ही मन को छूने वाली पंक्तियाँ हैं | इतने सुन्दर नवगीत के लिए हार्दिक बधाई |इसी तरह लिखते रहिये और हमें प्रोत्साहित करते रहिये |
सुन्दर
ReplyDeleteआज की स्थिति का सुन्दर चित्रण है इस गीत में.अच्छा गीत.
ReplyDeleteजीवन का कटु सत्य ! सबकी राहों में फूल बिछाते रहें... फिर भी अपना दामन काँटों से भर जाता है ...
ReplyDeleteमन को छूने, भिगोने वाला नवगीत !
इस सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई !
~सादर
अनिता ललित
बहुत खूब
ReplyDeleteजीवन का कटु यथार्थ कहता मर्मस्पर्शी नवगीत ...हार्दिक बधाई, सादर नमन आपको !
ReplyDeleteआप सबकी सहृदयता के लिए बहुत आभारी हूँ। अपना स्नेह-भाव यूँ ही बनाए रखिएगा।
ReplyDeleteरामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई
ReplyDeleteदिन-रात जिया है
ReplyDeleteरिश्तों को
फिर धोखा खाया है ।
दुर्भाग्यवश रिश्तों को दिल से जीने वाले लोगों को ही इस दुनिया में धोखे मिलते हैं...| सत्य की बहुत सटीक प्रस्तुति...| हार्दिक बधाई...|
दिन रात जिया है रिश्तों को / फिर धोखा खाया है ।रिश्तो को इमानदारी से जीने वालों को यही इनाम मिलता है ।इस कड़वी सच्चाई को प्रकट करता गीत बहुत सुन्दर बन गया है ।वधाई रामेश्वर जी
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