पथ के साथी

Tuesday, February 25, 2014

जीवन के बहाने -दो कविताएँ

1-कुर्सी और कविता
कमला निखुर्पा
कुर्सी जीने नहीं देती
कविता मरने नहीं देती
चारों पायों ने  मिलकर जकड़ रखा है
उड़ने को बेताब कदमों को

हाथों में थमी कलम
दौड़ने को विकल

कल्पना की घाटी में
जहां फूलों की महक में
कोई सन्देश छुपा है
जहां पंछियों के कलरव में
 मधुर संगीत गूंजा है
 अभी-अभी जहां बादलों ने
 सूरज से आंखमिचौली खेली है

वो प्यारी सी रंगीन डायरी
जाने कब से उपेक्षित है
धूल से सनी कोने पे पड़ी
हर रोज नजर आती है
और मैं नजरें चुरा लेती हूँ

फाइलों के ढेर में डूबती जा रही कविता
टूटती साँसों के बीच
कहीं दूर से इक हवा का झोंका
कानों में कुछ कह जाता है
बंद लिफ़ाफ़े से झाँककर
खिलखिला उठती है किताबें
किताबों में पाकर अपनी खोई सहेलियों को
फिर से जी उठती है कविता

सारे बंधनों  के बीच भी
आजादी के कुछ पल
पा लेती है कविता
जी लेती है कविता |
-0-

इस कविता को पढ़कर कुछ पंक्तियाँ अनायास कलम की नोक पर आईं, कुछ इस तरह-

2-जीने को जी चाहे ।
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

कुछ लोग हैं इतने शातिर
कि जीने नहीं देते
और कुछ है इतने प्यारे कि
प्राण होठों पे   लगे हों
मरने को मन करे
तो प्यार का इतना अमृत उडेल देते हैं कि
मरने नहीं देते ,
क्योंकि दुनिया उन्हीं के दम पर
इतनी खूबसूरत है कि
सदियों जीने को जी चाहे ।

-0-

13 comments:

  1. सुन्दर ,महकते सुमन रचती उर्वर भाव-भूमि को और उनकी सुगंध को हम तक पहुँचाते पावन पवन के झोंके को शत-शत नमन वंदन !!
    इस मोहक प्रस्तुति के लिए हृदय से बधाई ,शुभ कामनाएँ और आभार आदरणीय भैया जी एवं कमला जी !!

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  2. अपने मन कहना चाहे
    अपने मन से रहना चाहे।

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  3. वाह कितना सुन्दर वर्णन मन की ऊहापोह का ! व्यस्त ज़िन्दगी दिल से बातें भी नहीं करने देती... मगर दिल है कि चुपके से बहुत कुछ कानों में कह देता है...
    आदरणीया कमला निखुर्पा जी के सुन्दर भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति साथ ही हिमांशु भैया जी की दिल तक पहुँचने वाली पँक्तियों ने मन मोह लिया।
    आप दोनों को सादर नमन एवं हार्दिक शुभकामनाएँ !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  4. वाह...दिल से लिखी गई दोनों कविताएँ बहुत ही सुन्दर हैं...
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए कमला निखुर्पा जी एवं काम्बोज सर को हार्दिक बधाई !!

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  5. कवि का दिल तो कलम की नोंक में होता है ... जब जब कुछ चुभता है तो वो लिखता है और इक सुर्ख कतरा गिरता है ..
    कवि हिमांशुजी की कविता को सलाम |
    कमला निखुर्पा

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  6. "कुछ है इतने प्यारे कि
    प्राण होठों पे आ लगे हों
    मरने को मन करे
    तो प्यार का इतना अमृत उडेल देते हैं कि
    मरने नहीं देते ,
    क्योंकि दुनिया उन्हीं के दम पर
    इतनी खूबसूरत है कि
    सदियों जीने को जी चाहे ।"
    .......बहुत खूबसूरत कविता हिमांशु भाई ,आप कम शब्दों में ज्यादा कहने की कला को बखूबी जानते हैं ...दोनों कविताए मन मोह गईं
    कमला जी की यह पंक्तियाँ खूब मन भाई !.....
    "कविता मरने नहीं देती
    चारों पायों ने मिलकर जकड़ रखा है
    उड़ने को बेताब कदमों को
    हाथों में थमी कलम
    दौड़ने को विकल !"
    ....आप दोनों को बधाई व शुभकामनायें !
    डॉ सरस्वती माथुर

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  7. जीवन दर्शन की गहराई अभिव्यक्त करते हुई दोनों सशक्त रचनाएँ .

    बधाई .

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  8. kavita sahaj pravah hai jo avrodhon ko par karne ki disha khoj leta hai.jeevan nukile patharon se ahat hote hue bhi hansate phoolon va udate paxion ki chihukan sun kar uth khada hota hai. pavitr sneh ka ahsas jiine ki prerna deta hai. kamboj bhai ji va kamala ji ap dono ki
    rachna bahut hi bhavpurn hain. badhai.
    pushpa mehra.

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  9. kamla ji aapne sunder bhav likhe hain bhaiya aapki kavita shayad sabhi ke dil ki baat hai aapne ek sunder baad ko achchhe tarike se likha hai
    badhai aapdono ko
    Rachana

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  10. nikhurpa ji ki kavita behad khubsurat ..ek kavi hriday ki samvednaon se bharpur aur us par kamboj ji ki kavita...sone pe suhage jaisi...badhai

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  11. कल्पना जी,जीवन की रस्साकशी और उसमें कविता जैसी कोमल भावना को ढूँढना एक कवि ह्रदय ही कर सकता है और फिर जीवन की मिठास को अपना बना लेने की भावना से ओतप्रोत आदरणीय रामेश्वर जी की सुन्दर रचना ने मन मोह लिया | आप दोनों को बधाई | आज मुझे कुछ प्रिय पंक्तियाँ याद आ रही हैं --पल दो के जीवन से इक उम्र चुरानी है, ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं , तेरी मेरी कहानी है "|

    सादर,

    शशि पाधा

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  12. jeevan ke yatarth ko darshati dono hi kavitaye bahut sashakt hai kamla ji tatha himanshu ji ne bari hi khoobsoorti se man ke bhaavo ko hum tak pahuchaya hai.....badhai

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  13. सारे बंधनों के बीच भी

    आजादी के कुछ पल

    पा लेती है कविता

    जी लेती है कविता
    बहुत सही कहा है कमला जी ने...और आपकी इन पंक्तियों ने तो सच में मन मोह लिया क्योंकि ज़िंदगी की बहुत सारी कड़वी हकीकतों में से ऐसी मिठास भी है जो जीने का संबल बनती है...
    क्योंकि दुनिया उन्हीं के दम पर

    इतनी खूबसूरत है कि

    सदियों जीने को जी चाहे ।
    आप दोनों को बधाई...|

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