[रचना
श्रीवास्तव मूलत: कवयित्री हैं । आपकी संवेदनाओं की गहराई, भाषा के अनुरूप अभिव्यक्ति हर पंक्ति को बेजोड़ बना देती है । मातृ-दिवस के
इस अवसर पर माँ के विभिन्न रूपों को भावपूर्ण अभिव्यक्ति देती , दिल को छूने वाली छह छोटी बेजोड़ कविताएँ! रामेश्वर काम्बोज]
रचना
श्रीवास्तव
1
कल रात
कुछ खट्टे सपने
पलकों में उलझे थे
झड रही थी उनसे
भुने मसालों की खुशबू
माँ ने शायद फिर
आम का आचार
डाला होगा
2
मेरे माथे पर
हल्दी कुमकुम का टीका है
कल मेरे सपने में
शायद फिर से आई थी माँ
3
आज
उस पुराने बक्से में
मिली माँ की
कुछ धुँधली साड़ियाँ
जिनका एक कोना
कुछ चटकीला था
जानी पहचानी
गंध से भरा हुआ l
काम करते- करते
अक्सर यहीं
हाथ पोंछा करती थी माँ l
4
माँ की आँखों में
पलते रहे
बच्चों के सपने
पर बड़े हो कर
बच्चों की आँखें
देखती रही केवल अपना -अपना ही सपना
माँ के ख्वाबों के लिए
उनमे कोई जगह न थी ;
परन्तु
माँ की मोतियाबिन्द- भरी आँखें
आज भी
देख रहीं है
अपने बच्चों का सपना ।
5
उनके कुछ कहते ही
एक भारी रोबीली आवाज
और कुछ कटीले शब्द
यहाँ वहाँ उछलने लगे
रात मैने देखा
माँ
अपनी ख्वाहिशों पर
हल्दी- प्याज का लेप लगा रही थी
6
'नहीं जी ऐसा नहीं है '
आज माँ ने कहा था
जीवन भर
पिता के सामने 'हूँ ','हाँ '
करते ही सुना था
शायद
अब उसे
बड़े हुए बच्चों का
सहारा मिल गया था
कुछ खट्टे सपने
पलकों में उलझे थे
झड रही थी उनसे
भुने मसालों की खुशबू
माँ ने शायद फिर
आम का आचार
डाला होगा
2
मेरे माथे पर
हल्दी कुमकुम का टीका है
कल मेरे सपने में
शायद फिर से आई थी माँ
3
आज
उस पुराने बक्से में
मिली माँ की
कुछ धुँधली साड़ियाँ
जिनका एक कोना
कुछ चटकीला था
जानी पहचानी
गंध से भरा हुआ l
काम करते- करते
अक्सर यहीं
हाथ पोंछा करती थी माँ l
4
माँ की आँखों में
पलते रहे
बच्चों के सपने
पर बड़े हो कर
बच्चों की आँखें
देखती रही केवल अपना -अपना ही सपना
माँ के ख्वाबों के लिए
उनमे कोई जगह न थी ;
परन्तु
माँ की मोतियाबिन्द- भरी आँखें
आज भी
देख रहीं है
अपने बच्चों का सपना ।
5
उनके कुछ कहते ही
एक भारी रोबीली आवाज
और कुछ कटीले शब्द
यहाँ वहाँ उछलने लगे
रात मैने देखा
माँ
अपनी ख्वाहिशों पर
हल्दी- प्याज का लेप लगा रही थी
6
'नहीं जी ऐसा नहीं है '
आज माँ ने कहा था
जीवन भर
पिता के सामने 'हूँ ','हाँ '
करते ही सुना था
शायद
अब उसे
बड़े हुए बच्चों का
सहारा मिल गया था
-0-
रचना यूँ तो आपको पढना हमेशा ही अच्छा लगता है लेकिन आज तो बस आपने रुला ही दिया .... कुछ तो वैसे भी मन बस कच्चा कच्चा सा ही है अभी और कुछ आप की ये भावपूर्ण क्षणिकाएं मानों ... मेरे दिल का ही हाल लिख दिया हो आपने .... HAPPY MOTHERS DAY ...
ReplyDeleteManju Mishra
www.manukavya.wordpress.com
बेमिसाल - सुंदर रचनाएं माँ की यादों को संजोएं .
ReplyDeleteबधाई
अत्यंत भावपूर्ण और सुन्दर
ReplyDeleteइस तरह की कविताएँ , जिनमें ताज़गी ही नही बल्कि भाव की गहनता भी है , उन लोगों के वक्तव्य को झुठलाती हैं , जो अच्छी कविताओं की गैरहाज़री का रोना रोते रहते हैं। रचना जी को तहे दिल से शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ..
ReplyDeleteउनके कुछ कहते ही
ReplyDeleteएक भारी रोबीली आवाज
और कुछ कटीले शब्द
यहाँ वहाँ उछलने लगे
रात मैने देखा
माँ
अपनी ख्वाहिशों पर
हल्दी- प्याज का लेप लगा रही थी.......बेहतरीन ...अर्थपूर्ण
सच में! आँखें भर आईं.... ख़ासकर ५वीं क्षणिका ....
ReplyDeleteहर माँ के साथ यही क्यों होता है... :(
~सादर!!!
अद्भुत अभिव्यक्ति...ऐसी ही होती है माँ...
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर पंक्तियाँ और बहुत अपनापन सा भाव...बहुत बहुत बधाई!!
बहुत भावपूर्ण बहुत सुन्दर...रचना जी बधाई।
ReplyDeletebhavpurn rachnaayen ..... badhai
ReplyDeleteआपको हमेशा ही पढ़ना होता है ... लेकिन आज माँ के बारे में पढकर तो बस ...
ReplyDeleteमां तुम्हारा उदाहरण जब भी दिया
देव मुस्कराये पवन शांत भाव से बहने लगी
नदिया की कलकल का स्वर मधुर लगने लगा
हर शय छोटी प्रतीत होती है उस वक्त
जब भी बाँहें फैलाकर जरा-सा तुम मुस्करा देती हो
सोचती हूँ जब भी कई बार
तुम्हारा प्यार और तुम्हारे बारे में
aap sabhi ke sneh shabdon ka bahut bahut dhnyavad.aap apna sneh aese hi banaye rakhen.
ReplyDeletebahut bahut abhar.
Rachana
रचना जी...क्या कहूँ..बस मन भर आया...| कितनी प्यारी कवितायेँ हैं, दिल को छू जाती हैं...|
ReplyDeleteरात मैने देखा
माँ
अपनी ख्वाहिशों पर
हल्दी- प्याज का लेप लगा रही थी
ये पंक्तियाँ तो जैसे दिल चीर जाती हैं...| माँ भी तो एक औरत है...ये लेप तो कभी न कभी शायद हर औरत की नियति में बदा होता ही है...|
बधाई...|
प्रियंका
यूँ तो सभी ..विशेषत:.."ख्वाहिशों पर हल्दी प्याज का लेप "...और ..."नहीं जी ऐसा नहीं है ".आपकी ऐसी रचनाएं हैं जिसमें आपने भारतीय परिवेश में जी रही माँ को साक्षात उपस्थित कर दिया है ...रचना जी
ReplyDeleteबहुत बधाई !
शुभकामनाओं के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
Der se aana hua par dil men ghar kar gaya eak eak shab...bahut bhavpurn....bahut2 badhai...
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